नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

मैनड्रेक | शक्ति कॉमिक्स | ली फाक

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपर बैक | पृष्ठ संख्या: 28 | प्रकाशक: शक्ति कॉमिक्स | शृंखला: मैनड्रेक #1 

टीम

किरदार एवं कहानी: ली फाक | चित्रांकन: फ्रेडरिक्स | कवर आर्ट एवं प्रो. अ.: शुभमोय कुण्डू | ग्राफिक डिजाइन: विपिन सिंह | संपादक: शंकर 

कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न


 

शक्ति कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित मैनड्रेक #1 में दो कॉमिक बुक्स को प्रकाशित किया गया है। जहाँ संकलन की पहली कहानी बदमाशों का गिरोह 17 पृष्ठ की है वहीं इसकी दूसरी कहानी अदृश्य मानव केवल 9 पृष्ठों की है। इससे पहले मैंने मैनड्रेक की कहानियाँ नहीं पढ़ी थी तो उन्हें पढ़ने का मेरा यह पहला अनुभव था। कहानी सीधी सरल हैं पर चूँकि काफी वर्षों पहले लिखी गई थी तो जटिल प्लॉटलाइन की अपेक्षा मैं कर भी नहीं रहा था।

कॉमिक बुक की आर्ट वर्क चूँकि न्यूजप्रिन्ट का था तो यहाँ पर पैनल कुछ खिंचे खिंचे से लगते हैं। कॉमिक का साइज़ छोटा होता तो शायद ये पैनल ज्यादा निखर कर आते। यह बात दोनों ही कहानियों पर लागू होती है। इसके अलावा प्रूफिंग की भी कुछ गलतियाँ दिखाई देती है। अनुनासिक (चन्द्रबिन्दु) के बजाए अनुस्वार (बिन्दु) का प्रयोग कुछ जगह किया गया है लेकिन कई जगह वह भी गायब है। इधर थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है। हाँ, कॉमिक्स के प्रकाशन की बात करूँ तो उसकी गुणवत्ता मुझे ठीक लगी। कागज भी अच्छा प्रयोग किया गया है। चलिए अब इन कॉमिक बुक पर अलग-अलग बात करते हैं। 


1) बदमाशों का गिरोह 


कहानी 

मैनड्रेक एक विद्यालय में अपनी जादू की कला दिखाने पहुँचा रहता है जब कि उसके करतबों में कुछ शरारती बच्चे व्यवधान डाल देते हैं। मामला बढ़ता है और मैनड्रेक और उसका दोस्त लोथार खुद को उस इलाके के खूँखार गुण्डों की गैंग के आगे के आमने-सामने पाते हैं। 

आखिर जादूगरी के तमाशे में ऐसा क्या हुआ कि मैनड्रेक से लड़ने उस इलाके के गुण्डे पहुँच गए?

इस टकराव का नतीजा क्या निकला? 

विचार 

‘बदमाशों का गिरोह’ इस संकलन की पहली कहानी है। यह मैनड्रेक के कॉमिक द बुलीज़ का हिन्दी अनुवाद है। यह कहानी कॉमिक स्ट्रिप के रूप में अप्रैल 18 1999 को शुरू हुई थी और अगस्त 1 1999 को 16 स्ट्रिपस के बाद खत्म हुई थी। यहाँ मैनड्रेक की 178वीं कहानी थी। यह जानकारी मुझे ये लेख लिखते हुए ही गूगल करके पता चली। मैं अक्सर जो चीज पढ़ रहा होता हूँ उसे गूगल करना पसंद नहीं करता हूँ। ऐसे में पढ़ते हुए लगे कि कथानक में अधूरापन है तो वह खलता है। इस स्ट्रिप के प्रकाशन की जानकारी और शृंखला में इसके नंबर की जानकारी अगर कॉमिक ही दिया होता तो शायद बेहतर होता। 

खैर, 17 पृष्ठों में फैली यह कहानी मैनड्रेक और शीर्षक वाले बदमाशों के गिरोह की टकराव की कहानी है। यह टकराव क्यों होता है और इस टकराव का क्या नतीजा निकलता यह इसमें दिखता है। कॉमिक बुक में यह भी दिखता है कि अगर हम अपराध को चुपचाप सहते हैं तो अपराधी का मनोबल बढ़ता ही है। वहीं दूसरी तरफ अगर हम शुरू में  ही उसके खिलाफ खड़े हो जाए तो कई अपराधी पनपने न पाएँ। 

चूँकि मैं पहली बार मैनड्रेक से वाकिफ हो रहा था तो पहली बार मैनड्रेक की शक्ति को देखना रोचक था।

मैनड्रेक और लोथार के बीच का समीकरण भी मुझे रोचक लगा। यहाँ पर मैनड्रेक और लोथार के बीच में भले ही लोथार 12 देशों का राजा हो लेकिन वह मैनड्रेक का साइड किक ही प्रतीत होता है। कॉमिक से हमें यह पता लगता है कि लोथार दुनिया का सबसे ज्यादा ताकतवर व्यक्ति है। ऐसे में पढ़ते हुए यह सोचने से मैं  खुद को रोक नहीं पाया कि ऐसे व्यक्ति की मैनड्रेक से सामना कैसे हुआ और उसे क्यों मैनड्रेक का साइडकिक(सहायक) बनने की हामी भरी। मैं ये कहानी जरूर पढ़ना चाहूँगा। 

कथानक रैखिक है और आपको पता है परिणाम क्या होगा। बस वह किस तरह इस तक पहुँचेंगे यह देखने के लिए आप पढ़ते हैं। चूँकि कहानी 17 ही पृष्ठ की है तो ज्यादा ट्विस्ट भी कहानी में नहीं दिखते हैं। एक बार पढ़ कर देख सकते हैं।

2) अदृश्य मानव 

कहानी 

नारदा उस दिन सुपर मार्केट घूम रही थी जब उसे उस आदमी ने परेशान करना शुरू किया। 

नारदा का कहना था कि वह व्यक्ति गायब हो सकता था और एक बार में उसका आधा हिस्सा ही दिखाई देता था। 

जिससे भी नारदा ने अपनी व्यथा कही उसी ने उसे मतिभ्रम का शिकार समझा। वहीं नारदा पर गहनों की चोरी का इल्जाम लग गया था और उस कारण उसे मनोचिकित्सक के पास पहुँचा दिया गया था। 

आखिर कौन था वो आदमी? 

क्या वह असल में गायब हो पा रहा था या नारदा सचमुच का मतिभ्रम का शिकार थी?

मैनड्रेक क्या नारदा को बचा पाया? 

विचार 

‘अदृश्य मानव’ मैनड्रेक की 179वीं कहानी है जो कि ‘बदमाशों का गिरोह’ के बाद प्रकाशित हुई थी। यह अंग्रेजी में प्रकाशित हुई कहानी 'द इनविसिबल पर्सन' का हिन्दी अनुवाद है। यह कहानी अगस्त 8 1999 से लेकर अक्टूबर 10 1999 तक 10 कॉमिक स्ट्रिपस में प्रकाशित की गई थीं। यहाँ ये देखकर हैरानी होती है कि शक्ति कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित इस संस्करण में इस कहानी को आठ-नौ पृष्ठों में ही निपटा दिया गया है। वहीं कई पाठकीय टिप्पणियों में यह बात भी पाठकों ने की है कि शक्ति ने इस अंक में केवल आधी कहानी ही छापी है। 

कहानी पर कुछ लिखने से पहले मैं यह कहना चाहूँगा कि जब पहली बार मैंने इस कहानी को पढ़ा था तो एडिटिंग में मुझे लगा नहीं था कि कोई काट-छाँट करी गई है। पर जब अमेज़न पर रिव्यू पढ़ने के बाद इसे पढ़ा तो वह काट-छाँट दृष्टिगोचर हो गई। 

मसलन कहानी की शुरुआत नारदा के सुपरमार्केट जाने से होती है जहाँ उसका सामाना अदृश्य मानव से होता है। वह उसके पीछे पड़ता है और उसे एक पुलिस केस में फँसा देता है। फँसी हुई नारदा को मैनड्रेक कैसे बचाता है और इस दौरान उसे क्या परेशानी आती है यही कथानक बनता है। पहले पहल पढ़ने पर मुझे इस कथानक में कोई दिक्कत नहीं लगी। कथानक छोटा था सरल था और एक बार पढ़े जाने लायक था। हाँ, इस बीच कुछ प्रश्न मन में उठे थे लेकिन फिर मैंने सोचा वो तो बदमाशों के गिरोह में भी उठे थे तो उन पर मैंने गौर नहीं किया। लेकिन अब जब पता चला है तो कई प्रश्न मन में उठ रहे हैं और उनके उत्तर मैं जरूर जानना चाहूँगा। अगर आपने मूल कहानी पढ़ी है तो मुझे जरूर बताइएगा कि निम्न प्रश्नों में से कितनों के उत्तर उसमें थे। 

नारदा अपराध करते हुए पकड़ी जाती है। उसे पुलिस ले जाती है और जज एकदम से सजा सुना देता है। क्या असल में इतनी द्रुत गति से चलने वाली न्यायव्यवस्था मूल कहानी में दर्शाई गई थी। या फिर पकड़े जाने और सजा दिए जाने के बीच कुछ वकफ़ा था। 

जब नारदा को सजा दी जा रही थी तो मैनड्रेक कहाँ था? उसे एक व्यक्ति नारदा के गायब होने की बात बताता है। वहीं एक पैनल में मैनड्रेक  जाकाडू के केस में  जाने की बात करता है। यह जाकाडू कौन था और इसका केस क्या था? क्या मूल कथानक में इसका जवाब दिया गया था। 

सबसे आखिरी बात। कहानी के अंत में अदृश्य मानव पकड़ा जाता है लेकिन हमें बताया नहीं जाता कि वो ये कारसितानी क्यों कर रहा था। कहानी में एक बार उसने गोपनीय दस्तावेज चोरी किए थे। क्या उसने जिस किरदार पर उसका इल्जाम लगाया था केवल उसी चीज के लिए दस्तावेज चोरी किये थे या उसका कुछ और भी मकसद था। वह अदृश्य मानव कैसे बना इस पर भी कोई रोशनी नहीं डाली जाती है। क्या इन सब बातों को मूल कहानी में बताया गया था? 

तो यह कुछ बातें हैं जो मुझे खटकी थीं। अगर आपने मूल कहानी पढ़ी है तो मुझे जरूर बताइएगा कि उन बाकी पृष्ठों में क्या था? वैसे हो सकता है कुछ दिनों बाद मैं खुद ही मूल कहानी पढ़ लूँ। 

अंत में यही कहूँगा कि मैनड्रेक की यह कहानियाँ एक बार पढ़ी जा सकती हैं। इनमें कुछ ऐसी विशेष बात नहीं है कि पढ़ेंगे नहीं तो कुछ खोएँगे। चूँकि कहानी की लंबाई छोटी है तो जल्दी खत्म भी हो जाती है तो आप बोर भी नहीं होती है। 

अगर आपने इस पढ़ा है तो आपको यह कैसा लगा? मुझे जरूर बताइएगा। 

कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न


यह भी पढ़ें






FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

2 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-09-2022) को  "सूखी मंजुल माला क्यों?"   (चर्चा-अंक 4562)  पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी पोस्ट को चर्चाअंक में स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।

      Delete

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल