नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

भ्रामक शीर्षक लिए एक रोमांचक कॉमिक बुक है 'डेथ डॉट कॉम' | राज कॉमिक्स | हनीफ अजहर

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: ई-बुक | प्लैटफॉर्म: किंडल | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | लेखक: हनीफ अजहर | परिकल्पना: विवेक मोहन | पेंसिलिंग: सुरेश डीगवाल | इंकिंग: आत्माराम मुंड | कैलीग्राफी: टी आर आजाद | रंग संयोजक: सुनील पाण्डेय 

कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न
समीक्षा: डेथ डॉट कॉम | राज कॉमिक्स | हनीफ अजहर


कहानी 

ह्यूकॉम एक ऐसा खलनायक था जिससे पार पाने के लिए सुपरमैन को भी नाकों चने चबाने पड़े थे। लेकिन फिर भी सुपरमैन ने उसे हराकर ऐसा इंतजाम कर दिया था कि वह अब किसी को नुकसान नहीं पहुँचा सकता था।

परन्तु अब वंडरवुमन की नजर ह्यूकॉम पर थी। ह्यूकॉम के द्वारा वह अपना एक काम करवाना चाहती थी और इसलिए डॉक्टर डील के साथ मिलकर उसने ह्यूकॉम को फिर से सक्रिय करने की योजना बना ली थी। लेकिन इस योजना के लिए उसे परमाणु की जरूरत थी। 

आखिर वंडरवुमन को ह्यूकॉम के विषय में कैसे पता चला? 
वंडरवुमन ह्यूकॉम के द्वारा ऐसा कौन सा कार्य करवाना चाहती थी? 
वंडरवुमन को परमाणु की जरूरत क्यों थी? क्या परमाणु जानते बूझते उसकी मदद को तैयार हो गया?
क्या वंडरवुमन अपनी योजना पूरा कर पाई?

विचार

21 वीं सदी को आईटी की सदी कहा गया है। इन्टरनेट ने लोगों के लिए ज्ञान तो मुहैया करवाया ही है साथ ही लोगों के बीच की दूरी को  इतना कम कर दिया  है कि  पूरा विश्व एक ग्लोबल गाँव बन चुका है जहाँ हर कोई एक क्लिक की दूरी पर ही मौजूद है। आपके संदेश हों या कोई जानकारी बस क्लिक करके हम उसे पा सकते हैं। अब काफी जानकारी नेट पर मौजूद है जिन्हें आप विभिन्न वेबसाइट्स पर जाकर हासिल कर सकते हैं। इसके बाद यह आप पर निर्भर करता है कि आप इस जानकारी का उपयोग किस तरह करते हैं। 

प्रस्तुत कॉमिक बुक की कहानी इसी अवधारणा को लेकर शुरू होती है। दुनिया में कई वेबसाईट मौजूद हैं और ऐसी ही एक वेबसाईट थी डेथ डॉट कॉम जिसमें खलनायिका वंडर वुमन को अपने काम की जानकारी मिली थी। वह जानकारी थी खलनायक ह्यूकॉम की। इसके बाद वंडरवुमन उस जानकारी के मदद से कैसे ह्यूकॉम को आजाद करती है और उसकी मदद लेकर क्या क्या करती है और उसे परमाणु और शक्ति किस तरह रोकते हैं यही सब कॉमिक की कहानी बनता है। 

कॉमिक एक्शन से भरपूर है और शुरुआत से ही आपको बाँध लेती है। वंडरवुमन एक कुटिल खलनायिका है और वह जिस तरह परमाणु का इस्तेमाल अपने मकसद के लिए करती है उससे ये तो पता लग जाता है कि वह परमाणु को तगड़ी टक्कर देने वाली है और इसलिए कॉमिक में रोमांच की कमी नहीं होने वाली है। यही होता भी है। परमाणु की वंडररोबो से लड़ाई हो, या ह्यूकॉम से हुई लड़ाई वह सभी रोमांच पैदा करती हैं। शक्ति की कॉमिक में मौजूदगी कॉमिक में रोमांच का एक और आयाम जोड़ती है।  ह्यूकॉम एक तगड़ा खलनायक साबित होता है जो परमाणु और शक्ति को कई बार पटकनी भी देता है। जहाँ एक तरफ कहानी में भरपूर एक्शन है वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर रंगनाथन की कहानी और बच्चों का उससे मिलने आना कॉमिक में भावनात्मक पक्ष भी जोड़ता है। कॉमिक में कुछ संयोग भी होते हैं लेकिन चूँकि यह एक कॉमिक बुक है तो इतना चलता है। कॉमिक का अंत संतुष्ट करता है। 

कॉमिक बुक में चूँकि डी सी कॉमिक्स के सुपर मैन का जिक्र है तो जाहिर सी बात है कि खलनायिका वंडरवुमन नाम सुनने पर डीसी की नायिका वंडरवुमन का ख्याल मन में आना लाजमी ही है। चूँकि इस कॉमिक में सुपरमैन का जिक्र आ चुका है तो अगर आगे किसी कॉमिक में दूसरी वंडरवुमन भी आए तो वो सीक्वन्स भी मजेदार रहेगा। दोनों वंडरवुमन को मैं साथ साथ जरूर देखना चाहूँगा। 

कॉमिक की कमियों की बात करूँ तो कुछ बातें थी जो मुझे थोड़ा बहुत खटकी। ह्यूकॉम को सुपरमैन ने जब कैद किया तो कैद करते वक्त उसके हथियारों को उसके शरीर से अलग क्यों नहीं किया? अगर मैं उसकी जगह होता तो जरूर कुछ न कुछ करके उसके हाथियारों को उससे अलग करता या उन्हें नष्ट ही कर देता ताकि वह कभी आजाद भी हो तो उसके खतरनाक हथियार उसे न मिले।   लेकिन इस विषय पर कॉमिक में बात नहीं की गयी है जो कि करनी चाहिए थी। 

पृष्ठ 16 में डॉक्टर डील कहता है कमाल है ये अमेरिकी है फिर भी इसे हिन्दी बोलने में मुश्किल नहीं हो रही है लेकिन इससे पहले ह्यूकॉम हिन्दी बोलते हुए दिखता नहीं है। अगर उसने कुछ बोला है तो वह साफ तौर दिखा नहीं है। 

ह्यूकॉम इतना तगड़ा खलनायक था। ऐसे में उसका  वंडरवुमन के लिए गुलामों की तरह इतनी आसानी से कार्य करने के लिए तैयार होना थोड़ा अटपटा लगता है। अगर ऐसा करने के पीछे कोई ठोस कारण देते तो बेहतर होता। 

इसके अलावा कॉमिक का नाम 'डेथ डॉट कॉम' मुझे भ्रामक लगा। शीर्षक पढ़ने पर आपको लगता है कि इस वेबसाईट का कॉमिक बुक में बहुत ज्यादा महत्व होगा लेकिन ऐसा कुछ मुझे लगा नहीं। माना की डेथ डॉट कॉम नाम की वेबसाईट से खलनायिका को ह्यूकॉम के विषय में पता लगा था लेकिन वह इतनी बड़ी बात नहीं थी कि इसके नाम पर शीर्षक बना दिया जाए। ह्यूकॉम इतना तगड़ा खलनायक था। उसे लेकर तो न जाने कितनी वेबसाईट बनी होंगी। वैसे  इस कॉमिक के आवरण चित्र (कवर पेज ) पर  परमाणु और ह्यूकॉम एक कंप्युटर पर लड़ते हुए दिखते हैं। आवरण चित्र देखने पर मुझे लगा था कि डेथ डॉट कॉम ऐसी कोई वेबसाईट होगी जिसमें परमाणु को किसी खलनायक से लड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया होगा। इसे लेकर मेरे मन में अलग कहानी बनने लगी थी। यहाँ अगर ऐसा कुछ भी होता तो शायद यह नाम सार्थक होता लेकिन फिलहाल यह नाम इस कॉमिक के लिए अतार्किक ही लग रहा है। इसका कुछ बेहतर नाम रखा जा सकता था। 

एक और चीज है जो मुझे कमी तो नहीं लगी लेकिन फिर भी अटपटी लगी। इंस्पेकटर विनय अपनी वर्दी के नीचे परमाणु की ड्रेस पहनकर रखता है जो कि मुझे अजीब लगा। पुलिस की वर्दी ऐसी नहीं होती कि उसके अंदर के कपड़े मौके बे मौके दिखे नहीं। ऐसे में विनय का, जिसके पास चीजों को सूक्ष्म करने की ताकत है, का वर्दी के नीचे परमाणु की ड्रेस डालना समझ नहीं आता है। कोई भी वर्दी के नीचे मौजूद पीली पोशाक की झलक पा ही सकता है। वहीं वर्दी आधे बाजू की है तो ऐसे में बाकी पोशाक के साथ वो क्या करता है यह भी सोचने का विषय है। हो सकता है इसे लेकर कोई तर्क पहले दिया हो लेकिन चूँकि मैंने कॉमिक काफी कम पढ़ी हैं तो मुझे इसका ज्ञान नहीं है। आपको परमाणु की ड्रेस वर्दी के नीचे डालने का कारण पता हो तो मुझे जरूर बताइएगा। 

कॉमिक बुक के आर्टवर्क की बात करूँ तो यह ठीक ठाक है। थोड़ी बहुत गलती है। प्रोफेसर डील एक दाईं आँख में चश्मा पहनता है लेकिन एक आध फ्रेम में वह बाईं आँख में आ जाता है। वहीं एक फ्रेम में उसकी मूँछे भी गायब हो जाती हैं। इन एक दो चीजों को छोड़ दें तो आर्टवर्क से मैं संतुष्ट हूँ। 

अंत में यही कहूँगा कि अपने भ्रामक शीर्षक के साथ भी डेथ डॉट कॉम एक रोमांचक कॉमिक है जो शुरुआत से अंत तक पाठक को बांधकर रखता है। मुझे तो कॉमिक बुक पसंद आया।  अगर नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़ा जा सकता है। 

कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न

यह भी पढ़ें:


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल