नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

पुस्तक अंश: फेमस फाइव और कारवाँ का सफर

'फेमस फाइव और कारवाँ का सफर' एनिड ब्लाइटन द्वारा लिखे गए उपन्यास 'Five Go Off in a Caravan' का हिंदी अनुवाद है। यह अनुवाद डॉक्टर सुधीर दीक्षित और रजनी दीक्षित द्वारा दिया गया है। आज एक बुक जर्नल पर पढ़िए इस उपन्यास के एक अध्याय सर्कस में मौज-मस्ती का एक रोचक अंश। उम्मीद है यह अंश आपको इस उपन्यास को पढ़ने के लिए लालायित करेगा।

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पुस्तक अंश: फेमस फाइव और कारवाँ का सफर | Book Excerpt: Famous Five aur Caravan Ka Safar



उन्होंने उसके अंदर झाँककर देखा। यह उनके कारवाँ जितना बढ़िया नहीं था। यह बहुत छोटा और बेहाल था। यह बड़ा गंदा दिख रहा था और इसमें से बदबू भी आ रही थी। एन को यह ज्यादा पसंद नहीं आया। 

नॉबी बोला, “यह तुम्हारे कारवाँ जितना अच्छा नहीं है! काश मेरे पास भी तुम लोगों जैसा सुंदर कारवाँ होता! तब मैं किसी राजा महाराजा की तरह महसूस करता। अब तुम लोग सबसे पहले क्या देखना चाहते हो? हाथी? तो फिर चलो।”

वे उस पेड़ के पास गए, जहाँ सर्कस का हाथी बँधा था। हाथी ने अपनी सूँड नॉबी के चारों तरफ लपेटी और अपनी समझदारी भरी छोटी आँखों से बच्चों को देखा। 

“प्यारे हाथी!”नॉबी बोला। “क्या हमारे साथ नहाने चलोगे?”

हाथी चिंघाड़ने लगा और बच्चे उछल पड़े। नॉबी ने वादा किया, “मैं तुम्हें बाद में ले चलूँगा। अब - हप - हप, हप!”

इन शब्दों को सुनकर हाथी ने अपनी सूँड नॉबी की कमर में लपेटी और उसे हवा में उठाकर अपने बड़े सिर पर बैठा लिया!

एन का मुँह हैरानी से खुला रह गया। 

“ओह! तुम्हें चोट तो नहीं लगी, नॉबी?’

“बिल्कुल  नहीं!’, नॉबी बोला। “इस हाथी ने आज तक किसी को चोट नहीं पहुँचाई है, है ना?’

एक नाटा आदमी वहाँ आया। उसकी आँखें इस तरह चमक रही थीं, जैसे उन पर अभी-अभी पॉलिश की गई हो। उसकी मुस्कान भी काफी चौड़ी थी। उसने कहा , “गुड मॉर्निंग, तुम लोगों को मेरा हाथी कैसा लगा? उसे क्रिकेट खेलते हुए देखना चाहोगे?’

“ओह, हाँ!’ सभी ने कहा। नाटे आदमी ने हाथी को क्रिकेट का बैट पकड़ा दिया। हाथी ने अपनी सूँड में बैट पकड़ा। तभी नॉबी उसके सिर पर से फिसलता हुआ जमीन पर आ गया। 

उसने कहा, “लैरी उसके साथ मैं खेलता हूँ।” नॉबी ने उस नाटे आदमी के हाथ से गेंद ले ली। उसने हाथी की तरफ गेंद फेंकी, जिसने उसे बैट से कसकर मार दिया। गेंद उनके सिर के ऊपर से उड़ती हुई चली गई। 

जूलियन गेंद उठाकर लाया। उसने उसे दोबारा हाथी की तरफ फेंका और एक बार फिर उसने गेंद को धम्म से मार दिया। जल्दी ही सारे बच्चे हाथी के साथ क्रिकेट खेल रहे थे और उन्हें इसमें बहुत मज़ा आ रहा था। 

सर्कस के कुछ छोटे बच्चे भी क्रिकेट का यह खेल देखने आ गए। जैसे ही जूलियन या जॉर्ज उनसे कुछ बोलते थे, वे खरगोशों की तरह घबरा जाते थे और अपने-अपने कारवाँ की तरफ भाग जाते थे। वे गंदे थे और उनके कपड़े फटे हुए थे, लेकिन उनमें से ज्यादातर की आँखें सुंदर थीं और बाल घने काले थे। 

नॉबी पोंगो को लेने गया, जो अपने पिंजरे में चीख रहा था और इधर-उधर नाच रहा था। उसे लग रहा था कि सब लोग उसे भूल गए हैं। वह बच्चों को दोबारा देखकर बहुत खुश हुआ और उसने झट से एन की कमर में हाथ डाल दिया। उसने जॉर्ज के बाल खींचे और इसके बाद अपना चेहरा अपने पंजों में छिपाकर शरारत से झाँकने लगा।

नॉबी ने कहा, “पोंगो, तुम बहुत खराब हो? अब तुम मेरे साथ ही रहना, वरना मैं तुम्हें पिंजरे में बंद कर दूँगा, समझे?”

वे सर्कस के कुत्तों को देखने गए और नॉबी ने उन सभी को पिंजरे से बाहर निकाल दिया। उनमें ज्यादातर टेरियर कुत्ते थे या संकर नस्ल के थे। वे फुर्तीले कुत्ते नॉबी को देखते ही उसके आस-पास उछलने लगे और उसे लाड़ करने लगे। यह साफ दिख रहा था कि वे उससे प्यार करते थे और उस पर भरोसा करते थे। 

“कुत्तों को फुटबॉल खेलते देखना चाहोगे?”, नॉबी ने कहा। “बार्कर, तुम जाकर गेंद ले आओ। जल्दी!”

बार्कर नाम का कुत्ता नॉबी के कारवाँ की तरफ भागकर गया। कारवाँ का दरवाजा बंद था, लेकिन चतुर कुत्ते ने अपने पिछले पैरों पर खड़े होकर अपनी नाक से हैंडल को धक्का दिया। दरवाजा खुल गया और बार्कर अंदर चला गया। वह अपनी नाक से फुटबॉल को धकेलता हुआ बाहर निकला। गेंद पायदानों से नीचे लुढ़कती हुई मैदान में पहुँच गई। सभी कुत्ते खुशी से भौंकते हुए उसकी तरफ लपके। 

“यैप-यैप-यैप! यैप-यैप!” वे फुटबॉल को इधर-उधर मार रहे थे, जबकि नॉबी ने अपने पैर चौड़े करके उनके लिए गोल पोस्ट बना दिया था। 

गोल पोस्ट में गेंद डालकर गोल करना बार्कर और ग्राउलर का काम था। बाकी कुत्ते उन्हें गोल करने से रोक रहे थे। यह खेल बहुत ही मजेदार था। कुछ समय बाद बार्कर गेंद पर कूदा और उसे नॉबी के पैरों के बीच से डालकर गोल कर दिया। यह देखते ही पोंगो भी मैदान में कूद पड़ा और गेंद उठाकर भागने लगा। 

“फ़ाउल, फ़ाउल!” नॉबी चिल्लाया और सभी कुत्ते शरारती वनमानुष के पीछे भागे। वह उछलकर एक कारवाँ की छत पर चढ़ गया और वहाँ पर गेंद को टप्पे खिलाने लगा। वह नीचे खड़े गुस्सैल कुत्तों को देख-देखकर मुस्करा रहा था। 

“ओह, यह बहुत मजेदार है!”, एन अपनी आँखों से खुशी के आँसू पोंछते हुए बोली। “ओह! हँसते-हँसते मेरे तो पेट में दर्द होने लगा है।” 

गेंद उठाने के लिए नॉबी को कारवाँ की छत पर चढ़ना पड़ा। पोंगो दूसरी तरफ से कूद गया, लेकिन गेंद को वह कारवाँ की चिमनी के ऊपर छोड़ आया। वह सचमुच बहुत ही शरारती वनमानुष था। 

फिर वे सर्कस के सुंदर घोड़ों को देखने गए, जिनकी चमड़ी चमक रही थी। रॉसी नाम का एक दुबला-पतला लंबा युवक घोड़ों को बड़े मैदान में घुमा रहा था और वे उसके हर आदेश का पालन कर रहे थे। 

नॉबी ने उत्सुकता से पूछा, “क्या मैं ब्लैक क्वीन की सवारी कर सकता हूँ? प्लीज, मुझे उसकी सवारी करने दो!”

“ठीक है,”रॉसी बोला। उसने काले बाल भी घोड़ों की चमड़ी की तरह ही चमक रहे थे। फिर नॉबी ने बच्चों को हैरान कर दिया, क्योंकि वह बड़ी काली घोड़ी ब्लैक क्वीन पर उछलकर चढ़ा और उसकी पीठ पर खड़े होकर पूरे मैदान में चारों तरफ चक्कर लगाने लगा। 

एन चिल्लाई, “वह गिर जाएगा!” लेकिन वह नहीं गिरा। फिर वह अचानक पैर करके अपने हाथों के बल खड़ा हो गया। 

“बहुत बढ़िया!” रॉसी चिल्लाया। “तुम घोड़ों के साथ करतब दिखा सकते हो! अब तूफान की सवारी करो!”

तूफान एक छोटी और गुस्सैल घोड़ी थी, जिसकी चमकती आँखों से शोले बरस रहे थे। नॉबी उसकी तरफ भागा और उस पर उछलकर चढ़ गया। घोड़ी उठकर खड़ी हुई और उसे गिराने की कोशिश करने लगी। लेकिन नॉबी टस से मास नहीं हुआ। तूफान की तमाम कोशिशों के बाद भी नॉबी उससे उसी तरह चिपका रहा, जिस तरह घोंघा चट्टान से चिपका रहता है। 

आखिरकार तूफान इससे थक गई और मैदान में चलने लगी। फिर वह तेजी से भागी - और अचानक रुक गई, क्योंकि वह नॉबी को अपने सिर के ऊपर से आगे की तरफ गिराना चाहती थी। 

नॉबी को इस चालाकी की उम्मीद थी, इसलिए उसने फौरन खुद को पीछे की तरफ कर लिया। रॉसी चिल्लाया, “बहुत बढ़िया! नॉबी, जल्दी ही वह तुम्हारे इशारे पर नाचने लगेगी!”

एन चिल्लाई, “नॉबी, तुम बहुत चतुर हो! ओह, काश मैं भी वे काम कर पाती, जो तुम कर सकते हो! काश मैं कर पाती!”

नॉबी खुश होता हुआ तूफान की पीठ से नीचे उतर आया। 'बड़े घर के' के दोस्तों के सामने थोड़ी शान झाड़ना उसे अच्छा लग रहा था। फिर वह पलटा और बोला, “ओह!, वह वनमानुष कहाँ गया? मुझे लगता है, वह फिर कोई शरारत कर रहा होगा! चलो, चलकर उसे ढूँढते हैं।”


पुस्तक विवरण

पुस्तक: फेमस फाइव और कारवाँ का सफर | लेखक: एनिड ब्लाइटन | शृंखला: फेमस फाइव | पुस्तक लिंक: अमेज़न


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