नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

महशूर ओड़िया लेखिका वीणापाणि मोहंती का हुआ निधन

 

महशूर ओड़िया लेखिका वीणापाणि मोहंती का हुआ निधन

मशहूर ओड़िया लेखिका वीणापाणि मोहंती (Binapani Mohanty) का रविवार रात को अपने आवास पर निधन हो गया। वह 85 वर्ष की थी और बढ़ती उम्र के कारण उपजी जटिलताओं के साथ जूझ रही थीं। उनके परिवार के सदस्यों ने लेखिका के देहांत की जानकारी दी। पद्मश्री से सम्मानित लेखिका वीणापाणि मोहंती अविवाहित थीं और अपने भतीजे के साथ रहा करती थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेखिका की मृत्यु पर दुख जाहिर किया। उन्होंने ट्वीट करके लेखिका को अपनी श्रद्धांजलि दी और कहा कि, "प्रसिद्ध लेखिका वीणापाणि मोहंती जी के देहांत से मुझे बहुत दुख हुआ है। उन्होंने ओड़िया साहित्य विशेष रूप से गल्प के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनकी कृतियों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद हो चुका था और उनके लेखन लोगों के बीच काफी लोकप्रिय था। उनके परिवार और प्रशंसकों को मेरी संवेदनाएँ। ओम शांति।" 



कौन थीं वीणापाणि मोहंती (Binapani Mohanty)?

वीणापाणि मोहंती का जन्म बहरामपुर में 11 नवंबर 1936 को हुआ था। वैसे तो उनका परिवार चंदोल (उस वक्त अविभाजित कटक जिले का एक इलाका) से आता था लेकिन चूँकि उनके पिता सरकारी नौकरी में थे तो वह बहरामपुर बसे हुए थे। वीणापाणि मोहंती ने 1953 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर आगे जाकर अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। 1957 में स्नातक की डिग्री और 1959 में स्नातकोत्तर की डिग्री कटक के रेवनशॉ कॉलेज से प्राप्त करने के बाद वह एक लेक्चरर के तौर पर कार्य करने लगीं। कई कॉलेजों में कार्य करते हुए वह सेलाबाला वुमन्स कॉलेज में 1992 में रिटाइर हो गईं। 


सौ से ऊपर किताबों की थीं रचीयता

वीणापाणि मोहंती ने ओड़िया साहित्य में अपना एक अलग जगह बनाई थी। उनकी पहली कहानी  गोती रातिरा कहानी (Gotie Ratira Kahani) 1960 में प्रकाशित हुई थी। ‘पटादेई’, ‘नाईकु रास्ता’, ‘वस्त्रहरण’, ‘अंधकार’, ‘कस्तूरी मृगा ओ सबुजा अरण्य’ और ‘मिछि मिछिका’ जैसी कहानियों के लिए वह जानी जाती हैं। अपने जीवन काल में उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखी थीं।  

उनकी कहानी ‘पटादेई’ का हिन्दी अनुवाद ‘लता’ नाम से फेमिना में 1986 में प्रकाशित हुआ था। वहीं 1987 में इसी कहानी के ऊपर कशमकश नाम का एक सीरीअल दूरदर्शन पर दिखाया गया था। 

उनकी कई कहानियों का हिन्दी, अंग्रेजी, रूसी, कन्नड, मलयालम, मराठी, बांग्ला, उर्दू और तेलुगु में अनुवाद हो चुका है। उनकी एक कहानी अन्धाकारा छाई पर आधारित एक फिल्म भी बनी थी जिसे दर्शकों ने काफी सराहा था। 

वीणापाणि मोहंती ने कहानियों के साथ तीन उपन्यास (सितारा सोनिता, मनसविनी, कुंती) भी लिखे थे। इसके अलावा उन्होंने क्रांति नामक एकाँकी भी लिखी थी। वह अनुवादिका भी थीं और कई रूसी लोककथाओं का उन्होंने ओड़िया में अनुवाद किया था। 

वीणापाणि मोहंती इन पुरस्कारों से हुई थीं सम्मानित

अपने लेखन के लिए वीणापाणि मोहंती कई पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुकी थीं। संडे प्रजातन्त्र पुरस्कार (1951 में कविता के लिए), झंकार (1961 में कविता के लिए), ओड़ीसा साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1968 में कहानी संग्रह ‘कस्तूरी मृग ओ सबुजा अरण्य’ के लिए),साहित्य अकादमी पुरस्कार (1990  पटादेई तथा अन्य कहानियों के लिए), साहित्य भारती पुरस्कार (2002), कादंबिनी सम्मान (2009), पद्मश्री (2020), अतिबाड़ी जगन्नाथ दास सम्मान (2020 ) इत्यादि इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं। 



पंजाब केसरी में प्रकाशित एक खबर पर आधारित



FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल