बात मैंने मज़ाक में कही थी। वह हँसा था और मैं भी हँस दी थी। कई बार मज़ाक मज़ाक में हम अनजाने कितना बड़ा सच बोल जाते हैं! पर यह मैंने बहुत बाद में सोचा था। सोचते हम हमेशा बाद में हैं। सच के अनुभव के बाद..
-मृदुला गर्ग, चितकोबरा
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चितकोबरा
बहुत सही
ReplyDeleteजी शुक्रिया...
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