![]() |
मार्च में पढ़ी गयी किताबें |
अब आते हैं मार्च में पढ़े गयी कृतियों के ऊपर तो इस बार पढ़ने में काफी विवधता रही। इस बार पिछले महीने की तुलना में उपन्यासों की संख्या भी ज्यादा रही वरना मैं लघु उपन्यास ज्यादा पढ़ रहा था। इस बार अगर देखें तो मैंने सात उपन्यास पढ़े। इनमें मूलतः हिन्दी के दो, अंग्रेजी के दो और तीन अनुवाद थे। एक मराठी से हिन्दी में अनुवाद, एक बांग्ला से हिन्दी में अनुवाद और एक अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद था। इसके अलावा तीन कॉमिक बुक और एक लम्बी कहानी या उपन्यासिका पढ़ी। यही नहीं मैंने इस बार कई पत्रिकाएँ भी पढ़ीं। लॉकडाउन में मेरा ध्यान पत्रिकाओं के ऊपर ज्यादा जा रहा है। मैंने तीन चार पत्रिकाओं की सदस्यता ले रखी हैं लेकिन अक्सर मैं समय की कमी के कारण उन्हें पूरा नहीं पढ़ पाता हूँ। इस बार मैं धीरे धीरे करके हर एक पत्रिका को देख रहा हूँ। उसमें मौजूद लेख और कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और अपनी किताबों की सूची में किताबों के नाम बढ़ा रहा हूँ।
किताबों के नाम के ऊपर आये तो मैंने निम्न किताबें मैंने इस बार पढ़ी हैं:
- समन्दर - मिलिंद बोकील (उपन्यास)
- The Room on the Roof - Ruskin Bond (उपन्यास)
- The Bad Lady - John Meany (उपन्यास)
- फ्रेंडी 3(कॉमिक बुक)
- सादा लिफाफा - मति नंदी (उपन्यास)
- बदला - जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा (उपन्यास)
- फ्रेंडी 4(कॉमिक बुक)
- The Boggart - R J Stone(कहानी)
- फेमस फाइव खजाने के टापू पर - एनिड बलाइटन (बाल उपन्यास)
- फ्रेंडी 5(कॉमिक बुक)
- उसके हिस्से की धूप - मृदुला गर्ग (उपन्यास)
(मार्च में पढ़ी गयी कुछ किताबों के विषय में लिखा है और कुछ के विषय में लिखना बाकि है। जिनके विषय में लिखा है उनके ऊपर मेरे विस्तृत विचार आप नाम पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।)
मार्च की पहली किताब समन्दर थी। यह किताब मिलिंद बोकील के मराठी उपन्यास समुद्र का हिन्दी अनुवाद है। यह एक ऐसी दम्पति की कहानी है जिनके बीच वक्त के साथ दूरियाँ बढ़ गयी हैं। वह समन्दर के दो किनारे बनते जा रहे हैं और ऐसे में इन दूरियों को पाटने के लिए भास्कर अपनी पत्नी नन्दिनी के साथ समुद्र के किनारे वक्त बिताने आता है। उसे उम्मीद है यह दो तीन दिन जो वो साथ बिताएं वो उनके बीच की दूरियाँ कम करने में काम आएंगे।
यह दूरियाँ क्यों आई हैं और यह दम्पति इस मुश्किल घड़ी से अपने रिश्ते की किश्ती को कैसे निकालता है यही उपन्यास में पता चलता है। यह एक रोचक उपन्यास है जिसकी नायिका काफी कुछ सोचने के लिए पाठक को दे देती है। उपन्यास मुझे पसंद आया।
मार्च में मेरे द्वारा पढ़ी गयी दूसरी किताब रस्किन बांड का लिखा उपन्यास रूम ऑन द रूफ थी। यह एक आत्मकथात्मक उपन्यास है जो कि रस्किन बांड ने तब लिखा था जब वो भारत से लन्दन जा चुके थे। उस वक्त वो सत्रह साल के थे। उपन्यास एक ऐसे लड़के रस्टी की कहानी है जो कि अपनी पहचान तलाश रहा है। वह भारत में पैदा हुआ है लेकिन शक्ल से अंग्रेज दिखता है। लेकिन वह न खुद को पूरी तरह अंग्रेज ही पाता है और न भारतीय ही पाता है। अकेला अलग थलक अपनी दुनिया में रहने वाले इस लड़के की दुनिया तब बदल जाती है जब इसकी दुनिया में कुछ दोस्त आते हैं। इन दोस्तों के आने से इसकी जिंदगी में क्या असर पड़ता है? यह खुद के विषय में क्या जान पाता है और इससे इसकी जिंदगी की दिशा कैसे बदलती है यही उपन्यास में देखने को मिलता है। रस्किन बांड मुझे हमेशा से ही पसंद रहे हैं और यह उपन्यास भी मेरे पसंदीदा उपन्यासों की सूची में शामिल हो चुका है। दोस्ती, अकेलापन, जीवन को लेकर संशय,ख़ुशी, दुःख, प्रेम, विरह, सभी कुछ इस उपन्यास के माध्यम से आप महसूस करते हैं।
मार्च महीने की तीसरी किताब जॉन मीनी की द बैड लेडी थी। यह किताब बिली नाम के एक बच्चे के विषय में है जिसका बचपन में यौनिक शोषण एक अधेड़ औरत द्वारा किया गया था। इस घटना के बाद उसकी जिंदगी में क्या बदलाव आते हैं उसी की कहानी बिली सुना रहा है। कहानी आत्मकथा के रूप में तो सही है लेकिन किताब का प्रचार थ्रिलर और हॉरर के तौर पर किया था जो कि ठीक नहीं है। अगर थ्रिलर या हॉरर पढ़ने की अपेक्षा के साथ इसे पढेंगे तो निराश होंगे।
इसी महीने मैंने फ्रेंडी सीरीज के आखिरी के तीन कॉमिक्स पढ़े। यह श्रृंखला हनीफ अजहर साहब द्वारा लिखी गयी थी। यहाँ इतना ही कहूँगा कि अच्छा होता अगर सीरीज में पाँच के जगह तीन ही भाग होते। अभी कहानी थोड़ा खिंची हुई लगती है।
मार्च के महीने में पढ़ा गया अगला उपन्यास मति नंदी जी का लिखा उपन्यास सादा लिफाफा था। सादा लिफाफा मूल तौर पर बांग्ला में लिखे गये उपन्यास का हिन्दी अनुवाद है। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो कि जवानी में एक गड़बड़ कर देता है और फिर पूरी जिंदगी उसी का खामियाजा भुगतता है, घुट घुट कर रहता है। इस उपन्यास को साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। अच्छा उपन्यास है। किरदार की घुटन और उसके आस पास के समाज का सजीव चित्रण लेखक ने इधर किया है।
अगर अपराध साहित्य की बात करें तो अपराध साहित्य में मैंने दो उपन्यास मार्च में पढ़े। एक जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा जी का उपन्यास बदला था और एक एनिड ब्लाइटन द्वारा लिखी फेमस फाइव श्रृंखला का पहला उपन्यास फेमस फाइव खजाने की टापू पर। दोनों ही उपन्यास ठीक ठाक थे।
बदला जनप्रिय लेखक जी का पहला उपन्यास था जो मैंने पढ़ा। यह जगत सीरीज का उपन्यास है। दिल्ली और आस पास के इलाके में एक युवती अपनी गैंग के साथ लूट पाट करके जब दहशत फैला देती है तो केन्द्रीय खूफिया विभाग के विराट शंकर और जहीर अहमद को यह मामला सुलझाने का जिम्मा दिया जाता है। वह कैसे इसे सुलझाते है यही उपन्यास में दिखता है। रोचक उपन्यास था। ओमप्रकाश शर्मा जी ने जिस तरह से किरदारों का चरित्र चित्रण किया है वह देखना बनता है। उनके दूसरे उपन्यास पढ़ने की ललक यह मन में जगाता है।
फेमस फाइव श्रृंखला के आगाज के तौर पर फेमस फाइव खजाने के टापू पर मुझे पसंद आया। जोर्जीना मुझे काफी पसंद आई। टिमोथी जूलियन, एन और डिक से मिलना अच्छा लगा। कहानी श्रृंखला के अगले उपन्यासों के प्रति उत्सुकता जगाती है।
मार्च ही महीने में ही मैंने आर जे स्टोन की कहानी द बोगार्ट पढ़ी। द बोग्गार्ट इंग्लैंड के एक मिथकीय जीव को लेकर लिखी गयी कहानी है। इंग्लैंड के लोक क्थाओं में बोगार्ट एक जंगल और दलदल में रहने वाला जीव है जो कभी कभार घरों में भी आ पाया जाता है। यह बहुत शरारती जीव है जो यदा कदा चीजें चुरा देता है, इसके होने से दूध फट जाता है और कुत्ते मंदबुद्धि बन जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि अगर आपने बोगार्ट का नाम रख दिया तो वह बेहद खतरनाक और उग्र हो जाता है और परिवार को मारकर ही चैन लेता है। यह कहानी जेफ़ और उसके परिवार की है जिन्हें विरसे में घर के साथ एक बोगार्ट भी मिलता है। रोचक कहानी है लेकिन मुझे लगा कि इसका अंत जल्दबाजी में किया गया है। थोड़ा डर का माहौल अगर लेखक बनाते तो कहानी और जोरदार बन पड़ती।
मार्च के महीने का आखिरी उपन्यास मृदुला गर्ग जी का लिखा उसके हिस्से की धूप था। यह एक प्रेम त्रिकोण तो है ही लेकिन एक औरत की खुद की तलाश की दास्तान भी है। मृदुला गर्ग जी की लेखन शैली मुझे पसंद आती है और यह उपन्यास भी मुझे पसंद आया। मनीषा जीतेन और मधुकर के बीच प्रेम तलाशती फिरती है और खुद को इनसे असंतुष्ट पाती है। काफी देर बाद उसे इस बात का अहसास होता है कमी उन दोनों में नहीं उसके अंदर है। उन दोनों के पास प्रेम के अलावा भी बहुत कुछ है जो उनके जीवन को उद्देश्य देता है जबकि मनीषा के पास केवल दूसरे का प्रेम ही है। ये एक कन्फ्यूज्ड पात्र की बेहद दिलचस्प कहानी है।
तो ये थे मार्च में मेरे द्वारा पढ़ी गयी कृतियाँ। कुछ के बारे में मैंने विस्तृत तौर पर लिखा है। आप उनके विषय में ऊपर मौजूद सूची पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। कुछ के विषय में लिखना बाकि है तो जैसे ही लिखूँगा उनका लिंक भी अपडेट कर दूँगा।
आपने मार्च में क्या क्या पढ़ा? मुझे जरूर बताइयेगा।
©विकास नैनवाल 'अंजान'
मार्च महीने की तीसरी किताब जॉन मीनी की द बैड लेडी थी। यह किताब बिली नाम के एक बच्चे के विषय में है जिसका बचपन में यौनिक शोषण एक अधेड़ औरत द्वारा किया गया था। इस घटना के बाद उसकी जिंदगी में क्या बदलाव आते हैं उसी की कहानी बिली सुना रहा है। कहानी आत्मकथा के रूप में तो सही है लेकिन किताब का प्रचार थ्रिलर और हॉरर के तौर पर किया था जो कि ठीक नहीं है। अगर थ्रिलर या हॉरर पढ़ने की अपेक्षा के साथ इसे पढेंगे तो निराश होंगे।
इसी महीने मैंने फ्रेंडी सीरीज के आखिरी के तीन कॉमिक्स पढ़े। यह श्रृंखला हनीफ अजहर साहब द्वारा लिखी गयी थी। यहाँ इतना ही कहूँगा कि अच्छा होता अगर सीरीज में पाँच के जगह तीन ही भाग होते। अभी कहानी थोड़ा खिंची हुई लगती है।
मार्च के महीने में पढ़ा गया अगला उपन्यास मति नंदी जी का लिखा उपन्यास सादा लिफाफा था। सादा लिफाफा मूल तौर पर बांग्ला में लिखे गये उपन्यास का हिन्दी अनुवाद है। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो कि जवानी में एक गड़बड़ कर देता है और फिर पूरी जिंदगी उसी का खामियाजा भुगतता है, घुट घुट कर रहता है। इस उपन्यास को साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था। अच्छा उपन्यास है। किरदार की घुटन और उसके आस पास के समाज का सजीव चित्रण लेखक ने इधर किया है।
अगर अपराध साहित्य की बात करें तो अपराध साहित्य में मैंने दो उपन्यास मार्च में पढ़े। एक जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा जी का उपन्यास बदला था और एक एनिड ब्लाइटन द्वारा लिखी फेमस फाइव श्रृंखला का पहला उपन्यास फेमस फाइव खजाने की टापू पर। दोनों ही उपन्यास ठीक ठाक थे।
बदला जनप्रिय लेखक जी का पहला उपन्यास था जो मैंने पढ़ा। यह जगत सीरीज का उपन्यास है। दिल्ली और आस पास के इलाके में एक युवती अपनी गैंग के साथ लूट पाट करके जब दहशत फैला देती है तो केन्द्रीय खूफिया विभाग के विराट शंकर और जहीर अहमद को यह मामला सुलझाने का जिम्मा दिया जाता है। वह कैसे इसे सुलझाते है यही उपन्यास में दिखता है। रोचक उपन्यास था। ओमप्रकाश शर्मा जी ने जिस तरह से किरदारों का चरित्र चित्रण किया है वह देखना बनता है। उनके दूसरे उपन्यास पढ़ने की ललक यह मन में जगाता है।
फेमस फाइव श्रृंखला के आगाज के तौर पर फेमस फाइव खजाने के टापू पर मुझे पसंद आया। जोर्जीना मुझे काफी पसंद आई। टिमोथी जूलियन, एन और डिक से मिलना अच्छा लगा। कहानी श्रृंखला के अगले उपन्यासों के प्रति उत्सुकता जगाती है।
मार्च ही महीने में ही मैंने आर जे स्टोन की कहानी द बोगार्ट पढ़ी। द बोग्गार्ट इंग्लैंड के एक मिथकीय जीव को लेकर लिखी गयी कहानी है। इंग्लैंड के लोक क्थाओं में बोगार्ट एक जंगल और दलदल में रहने वाला जीव है जो कभी कभार घरों में भी आ पाया जाता है। यह बहुत शरारती जीव है जो यदा कदा चीजें चुरा देता है, इसके होने से दूध फट जाता है और कुत्ते मंदबुद्धि बन जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि अगर आपने बोगार्ट का नाम रख दिया तो वह बेहद खतरनाक और उग्र हो जाता है और परिवार को मारकर ही चैन लेता है। यह कहानी जेफ़ और उसके परिवार की है जिन्हें विरसे में घर के साथ एक बोगार्ट भी मिलता है। रोचक कहानी है लेकिन मुझे लगा कि इसका अंत जल्दबाजी में किया गया है। थोड़ा डर का माहौल अगर लेखक बनाते तो कहानी और जोरदार बन पड़ती।
मार्च के महीने का आखिरी उपन्यास मृदुला गर्ग जी का लिखा उसके हिस्से की धूप था। यह एक प्रेम त्रिकोण तो है ही लेकिन एक औरत की खुद की तलाश की दास्तान भी है। मृदुला गर्ग जी की लेखन शैली मुझे पसंद आती है और यह उपन्यास भी मुझे पसंद आया। मनीषा जीतेन और मधुकर के बीच प्रेम तलाशती फिरती है और खुद को इनसे असंतुष्ट पाती है। काफी देर बाद उसे इस बात का अहसास होता है कमी उन दोनों में नहीं उसके अंदर है। उन दोनों के पास प्रेम के अलावा भी बहुत कुछ है जो उनके जीवन को उद्देश्य देता है जबकि मनीषा के पास केवल दूसरे का प्रेम ही है। ये एक कन्फ्यूज्ड पात्र की बेहद दिलचस्प कहानी है।
तो ये थे मार्च में मेरे द्वारा पढ़ी गयी कृतियाँ। कुछ के बारे में मैंने विस्तृत तौर पर लिखा है। आप उनके विषय में ऊपर मौजूद सूची पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। कुछ के विषय में लिखना बाकि है तो जैसे ही लिखूँगा उनका लिंक भी अपडेट कर दूँगा।
आपने मार्च में क्या क्या पढ़ा? मुझे जरूर बताइयेगा।
©विकास नैनवाल 'अंजान'
FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.
2 और 10 नंबर अभी पढनी बाकी है या इन पर लिखना बाकी है?
ReplyDeleteपढ़ तो लिया लेकिन लिखना बाकी है इसलिए लिंक नहीं दिया है। जब लिखूँगा तब लिंक अपडेट कर दूँगा।
DeleteBahut achhe
ReplyDeletePadhte rahiye,likhte rahiye,swasth rahiye aur mast rahiye. 😊😊😊
जी आभार।
Delete