रेटिंग : ३ /५
पहला वाक्य :
आज शतरंज का खेल बड़े इतमीनान से हो रहा था, इसलिए खेल का भरपूर आनंद हासिल हो रहा था।
आज पाठक जी कि लघु कथा 'शतरंज के मोहरे' के विषय में कुछ कहना चाहूँगा। मेरा पहले से इस लघुकथा को पढ़ने का कोई इरादा नहीं था लेकिन हुआ यूँ की दफ्तर जाने के लिए जो लोकल मैंने पकड़ी उसमे गर्दी (भीड़) इतनी थी कि मुझे गेट के नज़दीक ही जगह मिली। अब ऐसी परिस्थिति में जिस उपन्यास को पढ़ने की सोची थी उसे बैग से निकालकर पढ़ना मुमकिन नहीं था। फिर कुछ देर तो मैं गेट और लोकल के शोर शराबे (जिसमे गालियों के साथ साथ भजन के मंजीरे की करताल शामिल थी) से जूझता रहा। जब वक़्त काटना दूभर होने लगा तो पाठक साहब की इस लघु कथा की याद आई जो कि कल मैंने न्यूज़ हंट से खरीदी थी। फिर क्या था , वक़्त ऐसे कटा कि पता भी नहीं चला कब विरार से दादर कब आया।
'शतरंज के मोहरें' शुरू होती है शतरंज के एक खेल से जो कि पाठक साहब अपने एक पुलिस ऑफिसर मित्र, अमीठिया , के साथ खेल रहे थे।उसी खेल के दौरान उधर कैप्टेन कौल आता है। कैप्टेन कौल आर्मी के इंटेलिजेंस के लिए काम करते थे और फिलहाल पुलिस के साथ मिलकर प्रोफेसर प्रभाकर के मौत की तहकीकात कर रहे थे।
प्रोफेसर प्रभाकर भारतीय एटॉमिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर तो थे ही साथ में एक ऐसे प्रोजेक्ट के ऊपर काम कर रहे थे जो कि आर्मी के अंतर्गत आता था। उनकी मृत्यु गोली लगने की वजह से हुई थी। अमीठिया और कौल के इस बाबत में अलग अलग विचार हैं कि असल में ये क़त्ल था या आत्महत्या। कौल की माने तो ये आत्महत्या है और अमिठिया के हिसाब से ये क़त्ल की वारदात है।
तो क्या था ये - क़त्ल या आत्महत्या? क्या था इस घटना के पीछे कारण? और क्या पाठक साब इस बाबत उन लोगों की कुछ मदद कर पायेंगे ? जानने के लिए इस लघु कथा को पढ़ना न भूलियेगा।
लघुकथा मुझे बेहद मनोरंजक लगी। ये एक रहस्य कथा थी और जिस अंदाज से इसका रहस्योद्घाटन हुआ वो भी अच्छा लगा। एक बार इसे पढ़ा जा सकता है। एक अच्छी रहसयकथा मेरे हिसाब से वो होती है जो पाठक को पन्ने पलटने के लिए मज़बूर करे और ये कहानी इस पैमाने में पूरी तरह से खरी उतरती है।
आप इस लघुकथा को न्यूज़ हंट एप्प के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं।
शतरंज की मोहरें
पहला वाक्य :
आज शतरंज का खेल बड़े इतमीनान से हो रहा था, इसलिए खेल का भरपूर आनंद हासिल हो रहा था।
'शतरंज के मोहरें' शुरू होती है शतरंज के एक खेल से जो कि पाठक साहब अपने एक पुलिस ऑफिसर मित्र, अमीठिया , के साथ खेल रहे थे।उसी खेल के दौरान उधर कैप्टेन कौल आता है। कैप्टेन कौल आर्मी के इंटेलिजेंस के लिए काम करते थे और फिलहाल पुलिस के साथ मिलकर प्रोफेसर प्रभाकर के मौत की तहकीकात कर रहे थे।
प्रोफेसर प्रभाकर भारतीय एटॉमिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर तो थे ही साथ में एक ऐसे प्रोजेक्ट के ऊपर काम कर रहे थे जो कि आर्मी के अंतर्गत आता था। उनकी मृत्यु गोली लगने की वजह से हुई थी। अमीठिया और कौल के इस बाबत में अलग अलग विचार हैं कि असल में ये क़त्ल था या आत्महत्या। कौल की माने तो ये आत्महत्या है और अमिठिया के हिसाब से ये क़त्ल की वारदात है।
तो क्या था ये - क़त्ल या आत्महत्या? क्या था इस घटना के पीछे कारण? और क्या पाठक साब इस बाबत उन लोगों की कुछ मदद कर पायेंगे ? जानने के लिए इस लघु कथा को पढ़ना न भूलियेगा।
लघुकथा मुझे बेहद मनोरंजक लगी। ये एक रहस्य कथा थी और जिस अंदाज से इसका रहस्योद्घाटन हुआ वो भी अच्छा लगा। एक बार इसे पढ़ा जा सकता है। एक अच्छी रहसयकथा मेरे हिसाब से वो होती है जो पाठक को पन्ने पलटने के लिए मज़बूर करे और ये कहानी इस पैमाने में पूरी तरह से खरी उतरती है।
आप इस लघुकथा को न्यूज़ हंट एप्प के माध्यम से डाउनलोड कर सकते हैं।
शतरंज की मोहरें
अगर आपने इस कहानी को पढ़ा है तो इसके विषय में अपनी राय देना न भूलियेगा।
FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.
टिप्पणी-4
ReplyDelete.
पाठक साहब उपन्यास और चुटकुलोँ के अलावा लघुकथाएँ भी लिखते हैँ।
पहली बार पता चला है।
धन्यवाद।
जी,अक्सर उनके उपन्यास के पीछे कभी कभी आती है उनकी लघुकथाएँ। न्यूज़ हंट पे अब सीधे डाउनलोड कर सकते हैं।
ReplyDelete