नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

लेखक चंदन पाण्डेय को कीर्तिगान के लिए 'स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान'

 

लेखक चंदन पाण्डेय को कीर्तिगान के लिए 'स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान'


वर्ष 2023 के 'स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान' की घोषणा साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत 'स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास' द्वारा की जा चुकी है। वर्ष 2023 का 'स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान' लेखक चंदन पांडेय को उनके उपन्यास 'कीर्तिगान' के लिए प्रदान किया जाएगा। जनवरी में आयोजित होंने वाले समारोह में लेखक चंदन पांडेय को ग्यारह हजार रुपये की सम्मान राशि, प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट किए जाएँगे। 

मूलतः उत्तर प्रदेश देवरिया से आने वाले चंदन पांडेय एक बहुतराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर हैं और फिलहाल बेंगलुरू में रहते हैं। अब तक उनका एक कहानी संग्रह और दो उपन्यास (वैधानिक गल्प और कीर्तिगान) आ चुके हैं। वर्ष 2022 में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उनका उपन्यास दूसरा उपन्यास कीर्तिगान मॉब लिंचकिंग की घटनाओं और उसके इर्द गिर्द मौजूद राजनीति और मीडिया की इसमें भूमिका को दर्शाता है। 

ज्ञात हो 'स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास' हर वर्ष साहित्य के लिए यह वार्षिक पुरस्कार प्रदान करता रहा है। इस वर्ष उपन्यास विधा पुरस्कार के लिए चुनी गई थी। पुरस्कार के लिए 1 जनवरी 2019 से 31 दिसम्बर 2022 के बीच में प्रकाशित वो उपन्यास ही मान्य थे जिनके लेखकों के उम्र पचास वर्ष से कम थीं। 

 इस वर्ष सम्मान के लिए देश भर से बड़ी संख्या में प्रविष्टियाँ हासिल हुई थी जिनमें से प्राथमिक चयन के बाद पाँच सर्वश्रेष्ठ कृतियों को चुनकर निर्णायकों के पास भेजा गया था। इस निर्णायक समिति में वरिष्ठ लेखक काशीनाथ सिंह, कविकथाकर राजेश जोशी और कवि नाटककार और गद्यकार प्रियदर्शन शामिल थे। 

बताते चलें वर्ष 2021 और 2022 का स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान मनोज कुमार पांडेय और शिरीष खरे को दिया गया था। मनोज कुमार पांडेय को यह सम्मान उनके कहानी संग्रह 'बदलता हुआ देश' और शिरीष खरे को उनकी पुस्तक 'एक देश बारह दुनिया' के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया था। 

स्वयं प्रकाश?

स्वयं प्रकाश हिंदी के कथाकार और उपन्यासकार थे। 20 जनवरी 1947 को इंदौर में वह जन्मे थे। वह मूलतः राजस्थान केअजमेर  निवासी थे। 

अपने जीवन में उन्होने ढाई सौ के आसपास कहानियाँ लिखी थीं। उनके पाँच उपन्यास भी प्रकाशित हुए थे। इसके अतिरितक नाटक, रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध और बाल साहित्य में भी अपने योगदान के लिए वह जाने जाते हैं। अपने लेखन के लिए वो भारत सरकार की साहित्य अकादेमी सहित देश भर की अनेक संस्थाओं द्वारा पुररस्कृत हुए थे। 

7 दिसंबर 2019 को कैंसर के कारण उनका देहांत हो गया था। वह काफी लंबे समय से भोपाल में निवास कर रहे थे और वहाँ की पत्रिकाओं ‘वसुधा’ और ‘चकमक’ के संपादन से भी जुड़े थे। 


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