नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

नीलम जासूस की नवीन पुस्तकें हुई रिलीज

 

नीलम जासूस कार्यालय (Neelam Jasoos Karyalay) द्वारा अपनी नवीन पुस्तकों की रिलीज की घोषणा कर दी गई है। वैसे तो नीलम जासूस कार्यालय (Neelam Jasoos Karyalay) लोकप्रिय उपन्यासों के पुनः मुद्रण के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है लेकिन बीच-बीच में लोकप्रिय साहित्य से संबंधित अलग विधा की पुस्तकें भी यह प्रकाशन लेकर आता रहता है। इसकी शुरुआत नीलम जासूस कार्यालय में फरवरी में लेखक योगेश मित्तल (Yogesh Mittal) की संस्मरणों की पुस्तक 'प्रेत लेखन का नंगा सच' के प्रकाशित होने से शुरू हुई थी और अब इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए नीलम जासूस कार्यालय (Neelam Jasoos Karyalay) दो नवीन पुस्तकें पाठकों के समक्ष लेकर आ रहा है। 

इस नवीन सेट की पहली पुस्तक 'कम्बोजनामा: किस्सा किस्सागोह का' है। यह पुस्तक पाठकों को लोकप्रिय लेखक वेद प्रकाश काम्बोज (Ved Prakash Kamboj) की लेखन यात्रा से परिचित करवाएगी। अगर आप हिन्दी लोकप्रिय साहित्य में रुचि रखते हैं तो आप वेद प्रकाश काम्बोज  (Ved Prakash Kamboj) के नाम से भली भाँति परिचित ही होंगे। उनका प्रथम उपन्यास कंगूरा (Kangoora) 1960 में प्रकाशित हुआ था और प्रकाशित होते ही पाठकों के बीच उसने अपनी जगह बना दी थी। अब तक वो 400 से ऊपर उपन्यास लिख चुके हैं और आज भी निरंतर लेखन कर रहे हैं। उनकी एक वृहद लेखन यात्रा रही है और इस यात्रा से परिचय करवाने का जिम्मा लेखक राम पुजारी (Ram Pujari) ने लिया है। लेखक राम पुजारी अब तक चार से ज्यादा उपन्यास लिख चुके हैं। जहाँ 'देव भक्ति', 'एक और दामिनी' और 'लव जिहाद' नामक उनके उपन्यास समसामयिक समाज पर टिप्पणी करते हैं वहीं 'अनु और स्वामी विवेकानंद' जैसे उपन्यास बाल पाठकों का  प्रसिद्ध भारतीय विभूतियों से परिचय करवाने का कार्य करते हैं। 

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इस सेट की दूसरी पुस्तक 'वेद प्रकाश शर्मा: यादें बातें और अनकहे किस्से' है। यह पुस्तक जैसे की नाम से ही जाहिर है वेद प्रकाश शर्मा (Ved Prakash Sharma) से जुड़ी यादों और उनसे जुड़े अनसुने किस्सों से जुड़ी हुई है। हिंदी लोकप्रिय लेखन में जो प्रसिद्धि वेद प्रकाश शर्मा ने हासिल की थी वह कम ही लेखकों को नसीब हुई है। अपने लेखन के चलते उन्होंने अपने पाठकों को रोमांच के वो पल मुहैया करवाए हैं जिसने उनके पाठकों के मन में एक अमिट सी छाप छोड़ दी। यही वेद प्रकाश शर्मा लेखक योगेश मित्तल (Yogesh Mittal) के दोस्त भी हुआ करते थे। अब योगेश मित्तल (Yogesh Mittal) ने वेद प्रकाश शर्मा से जुड़ी बातों को एक पुस्तक की शक्ल दी है जिसमें वह उनसे जुड़ी यादें, बातें और किस्से पाठकों के साथ साझा कर रहे है। 

योगेश मित्तल (Yogesh Mittal) की पहली रचना 1964 में सन्मार्ग नामक अखबार में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद से ही वह निरंतर लेखन की दुनिया में रहे हैं। लोकप्रिय हिंदी लेखन के संसार में उन्होंने कई ट्रेड नामों से लेखन किया है और कई लोकप्रिय लेखकों का सानिध्य उन्हें प्राप्त हुआ है। अपनी इन यादों को उन्होंने फेसबुक में साझा करना शुरू किया और अब यह यादें पुस्तकों के रूप में प्रकाशित हो रही है। जो लोग योगेश मित्तल (Yogesh Mittal) को सोशल मीडिया पर पढ़ते रहे हैं वो जानते हैं कैसे योगेश मित्तल (Yogesh Mittal) की लेखनी आपको उस कालखण्ड में ले जाती है जिसकी वो बात कर रहे होते हैं। ऐसे में वेद प्रकाश शर्मा (Ved Prakash Sharma) के जीवन के कौन से पहलुओं से इस बार योगेश मित्तल पाठकों का परिचय करवाते हैं यह देखना रोचक होगा। 

यह भी पढ़ें: लेखक योगेश मित्तल से उनकी पुस्तक 'प्रेतलेखन का नंगा सच' पर बातचीत

इन दोनों ही पुस्तकों की पृष्ठ संख्या 300 पृष्ठों से अधिक है और प्रकाशक ने इनकी 350 रुपये रखी है। आप निम्न नंबर पर ऑनलाइन ऑर्डर देकर इन पुस्तकों को प्राप्त करते हैं:

9310032466 / 9310032470 

(पुस्तकों के लिए सहयोग राशि फोनपे/गूगलपे/व्हाट्सएप्प के माध्यम से दी जा सकती है।)


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2 Comments
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  1. काफी समय से इन दोनों पुस्तकों का इंतजार था।

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    1. जी उचित फरमाया। मैं भी इन्हें पढ़ने को आतुर हूँ।

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