नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

अनोखा दोस्त - सतीश डिमरी

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट:
पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: समय साक्ष्य 
किताब लिंक: अमेज़न

पुस्तक समीक्षा: अनोखा दोस्त - सतीश डिमरी


'अनोखा दोस्त' लेखक सतीश डिमरी की पाँच कहानियों का संग्रह है। संकलन के ऊपर बाल कथा संग्रह जरूर लिखा गया है लेकिन मुझे लगता है कहनी 'सिपाही की गाथा' और 'एक साया सी' को बाल कथा में शायद ही रखा   जाए।

संग्रह की पहली कहानी माँ की ममता है। यह एक किसान परिवार की कहानी है। मनस्व एक छोटा बालक है जो अपनी किसान पिता और गृहणी माँ को काम करते देखता है तो उसे अहसास होता है कि वह कितनी मेहनत करते हैं। उनकी इस मेहनत का जब वह अपने बाल मन से जायजा लेता है तो उसे छोटी सी उम्र में भी मातापिता के प्रति अपने कर्तव्यों का अहसास हो जाता है। कहानी में मनस्व के अलावा उसके चिंतित पिता भी दिखते हैं जिन्हें पता है कि किसानी में जितनी मेहनत है उसके अनुरूप फल नहीं मिलता है। वहीं इस परिवार को ढाढस बंधाती माँ भी दृष्टिगोचर होती है जो इन्हें बताती है कि चिंता करने से कुछ नहीं होने वाला है।  वही घर की सबसे छोटी सदस्या राधिका के मन के भाव भी कहानी के अंत में पता लगते हैं जो कि पढ़ते हुए बरबस ही आपके चेहरे पर मुस्कान ला देते हैं।

कहानी की बात करूँ तो इसके पीछे का विचार मुझे पसंद आया है। परन्तु कहानी जिस तरह से लिखी गयी है उससे न वो शीर्षक के साथ न्याय कर पाती है और न ही कहानी के पीछे के विचार के साथ। कहानी के शुरुआती हिस्से में लेखक चीजें दिखाने के बजाए बताने में ध्यान देते हैं जो कि खलता है।  फिर कहानी की विषय वस्तु माँ की ममता है लेकिन इस कहानी के केंद्र में ये पूरा किसान परिवार है। अगर कहानी का नाम बापू की चिंता या समझदार मनस्व होता तो वह किस कहानी की विषय वस्तु से ज्यादा न्याय कर पाता। माँ के किरदार को अभी शीर्षक के मुताबिक़ जितना उभार कर रखना चाहिए था वो लेखक द्वारा नहीं किया गया है। हाँ, अगर मनस्व के नजरों से माँ की जीवन शैली दिखलाई जाती और इस कारण उस पर होता असर उभारा जाता तो शायद कहानी शीर्षक के साथ न्याय कर पाती। 


सिपाही की गाथा इस संग्रह की दूसरी कहानी है। यह मध्ययुगीन कालखण्ड की कहानी है जिसकी कथावस्तु खैरगढ़ और राजगढ़ दो राज्यों, जो कि मित्र देश थे, में घटित होती है। खैरगढ़ के राजा नरोत्तम सिंह अपने सिपाही माधोसिंह का काफी मान सम्मान करते थे। यही नहीं खैरगढ़ की प्रजा भी उसे काफी चाहती थी।  फिर ऐसी घटना घटी की राजगढ़ एक राजा रूप सिंह भी माधोसिंह का सम्मान करने लगे और उसकी कीर्ति राजगढ़ में भी फ़ैल गयी। ऐसा क्यों हुआ यही कहानी बनती थी। अब तक तो यह बात साफ हो गयी है कि यह माधोसिंह की वीरता की कहानी है। कहानी पठनीय है और इसमें थोड़ा सा प्रेम कहानी का पुट भी होता है लेकिन लेखक ने उस वक्त के हालातों का सटीक चित्रण करते हुए उस प्रेम की वही परिणिति दिखाई है जो कि असल में होती। हाँ कहानी में एक प्रसंग है जिसमें माधोसिंह एक राक्षस से लड़ता है। यह प्रसंग और बेहतर तरीके से लिखा जा सकता था। ऐसा जिससे रोमांच बढ़ता। 

संग्रह की तीसरी कहानी एक पेड़ का रहस्य है। कुमार जब भी अपने दोस्त शिवांश के साथ विद्यालय जाता तो रास्ते में पड़ता एक पेड़ उसका ध्यान आकर्षित कर लेता था। जब वह दोनों पेड़ के नीचे से गुजरते पेड़ उन पर पानी की बूँदे बरसाता। अचरज की बात यह थी न उस वक्त पेड़ पर ओंस रहती और न ही वर्षा ही हो रही होती। आखिर पेड़ से गिरती पानी की बूंदों के पीछे क्या रहस्य था? क्या कुमार और शिवांश इसका पता लगा पाए? इन्हीं सवालों का जवाब कहानी की विषय वस्तु बनता है।

पेड़ का रहस्य शीर्षक और शुरुआती हिस्सा जब मैंने पढ़ा तो मेरा दिमाग एक दूसरी दिशा में दौड़ने लगा लेकिन लेखक ने इसे एक भावनात्मक कहानी के रूप में गढ़ा है। कहानी में फंतासी के तत्व मौजूद हैं पर यह मन को भाती है। हाँ, कहानी में एक प्रसंग ऐसा है जिसमें लड़की किसी से बचने के लिए पेड़ का इस्तेमाल करती है। यह प्रसंग लेखक चाहते तो और अच्छा लिख सकते थे। अभी पेड़ की भूमिका इसमें ज्यादा नहीं दिखती है। चूँकि लेखक ने इसमें फंतासी का तत्व इस्तेमाल किये हैं तो वह पेड़ की इस भूमिका को और उघाड़ सकते थे जिससे कहानी और रोमांचक बन सकती थी। वही लड़की की पेड़ के प्रति जो भावना रखती है उसका एक मजबूत आधार भी मिल सकता था।

अनोखा दोस्त इस संग्रह की चौथी कहानी है। अनोखा दोस्त वैदेही की कहानी है। कोई है जो वैदेही की स्कूल की फीस उसे बिना बताये ही भर दिया करता है। वह कौन है जो ऐसा कर रहा है? और उसका ऐसा करने के पीछे क्या मकसद है? यही प्रश्न वैदेही को परेशान कर रहे हैं। वैदेही जानती है कि उसके परिवार की आर्थिक हालत कमजोर है लेकिन फिर भी वह नहीं चाहती कि यह अनजान व्यक्ति उसकी मदद करे। आखिर कौन है ये अनोखा दोस्त? क्या वैदेही इस राज को जान पायेगी? इन्हीं प्रश्नों का उत्तर इस कहानी में लेखक देते हैं। 

देश में ऐसे कई काबिल बच्चे हैं जो कि स्कूल की फीस के न होने के चलते अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाते हैं। वह समय से पूर्व स्कूल छोड़ देते हैं और काम काज में लग जाते हैं। कहानी की नायिका वैदेही का नाम ऐसे ही बच्चों की सूची में शामिल हो जाता अगरचे उसका वह अनोखा दोस्त न होता। कहानी का विचार मुझे पसंद आया परन्तु मुझे लगता है इसे और बेहतर तरीके से लिखा जा सकता था। अनोखे दोस्त का रहस्य वैदही खुद पता लगाती तो कहानी रोमांचकथा भी बन सकती थी लेकिन लेखक इस दिशा में इस कहानी को नहीं ले गये। वही जो आखिर में अनोखा दोस्त निकलता है वह ऐसा नहीं है जिसका पता आसानी से न लगाया जा सकता हो। मुझे लगता है कि वैदेही ने जब अपने माता पिता को अपनी परेशानी बताई तो वह विद्यालय जाकर आसानी से अनोखे दोस्त का पता लगा सकते थे। परन्तु वह ऐसा नहीं करते हैं जो कि कहानी का कमजोर हिस्सा लगता है। बेहतर होता अनोखा दोस्त ऐसा व्यक्ति होता जिसका विद्यालय जाकर पता न लगाया जा सकता हो। ऐसे में रहस्योद्घाटन जो इस कहानी का हाई पॉइंट है वह और अच्छा बन सकता था।


कहानी की खूबी की करूँ तो उन्होंने वैदेही के स्कूल का जो विवरण इसमें दिया है वह मुझे पसंद आया। इस कहानी में लेखक जिस तरह वैदेही के विद्यालय का विवरण करते हैं वह एक आदर्श विद्यालय लगता है। ऐसा विद्यालय जिसे दूसरे विद्यालयों  के शिक्षक और छात्र दोनों ही सीख ले सकते हैं।

एक साया सी इस संग्रह की आखिरी कहानी है और मुझे लगता है इस संग्रह की सबसे कमजोर कहानी भी है। कहानी की शुरुआत में एक व्यक्ति एक जंगल में जा रहा होता है जिसे एक साया दिखता है। आगे उस साया और व्यक्ति के बीच क्या होता है यही कहानी बनती है। 

काहनी की शुरुआत एक अँधेरी रात से होती है जहाँ एक व्यक्ति को एक साया दिखता है। यह दृश्य हॉरर के साथ रोमांच पैदा करने के लिए काफी होना चाहिए था लेकिन लेखक इसमें सफल नहीं हो पाते हैं। 

मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण दुनिया का विनाश कर रहा है। लेखक इस कहानी से यही दर्शाना चाहते थे। साया की दुनिया को उन्होंने एक आदर्श लोक की तरह प्रस्तुत किया है जिससे मनुष्यों को सीख लेनी चाहिए लेकिन वह लेता नहीं है। कहानी के पीछे लेखक का विचार मुझे पसंद आया लेकिन मुझे लगता है कि वह ठीक तरह से उसे प्रस्तुत नहीं कर पाए। 

वहीं कहानी की शुरुआत प्रथम पुरुष में होती है जहाँ व्यक्ति अपनी कहानी सुना रहा है लेकिन अंत तक आते आते कहानी तृतीय पुरुष में हो जाती है। यह भी एक चीज थी जो मुझे खटकी थी। 

अंत में यही कहूँगा कि सतीश डिमरी का कहानी संग्रह की कहानियाँ मुझे कमजोर लगीं। लेखक कहानी की शुरुआत में ही यह बता देते हैं कि इस संग्रह में संकलित कहानियाँ उनके लेखन के शुरूआती वर्षों की हैं। कहानियों में यह बात झलकती भी है। कहानियों का विषय और उनके पीछे के विचार रोचक हैं लेकिन लेखक उनके साथ न्याय कर पाने मे सफल नहीं हो पाते हैं। कोई न कोई बिंदु कहानी में रह जाता है फिर चाहे वह किसी कहानी का  शीर्षक हो, कहानियों के किसी हिस्से का ट्रीटमेंट हो या फिर लेखन शैली ही हो। कहानियों में प्रूफ की कई गलतियाँ भी है जो कि पढ़ते हुए व्यवधान पैदा करती हैं। 

यह संग्रह 2017 में प्रकाशित हुआ था। लेखक का उसके बाद एक उपन्यास भी आ चुका है। मुझे लगता है लेखक को एक बार फिर इन कहानियों से गुजरना चाहिए ताकि वह इन्हें संशोधित कर इन्हें उस तरीके से लिख सकें जो कि इनके साथ न्याय करे। 

किताब लिंक: अमेज़न 

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2 Comments
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  1. I used Google Translate to read this post. I like your honest review and hope to see more such detailed reviews in the future.

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