लेकिन राजनीति का यह नशा! सफलता का नशा! सफलता की दौड़ में कोई थकता नहीं... इस दौड़ का कोई पड़ाव या मंजिल होती नहीं....सफल व्यक्ति सिर्फ दौड़ता रह जाता है..और दौड़ना ही उसकी सफलता बन जाती है। क्योंकि दौड़ते-दौड़ते वह यह भूल जाता है कि उसने दौड़ना क्यों शुरू किया था। सफलता की मंजिल सिर्फ सफलता है! राजनीति में जो सबसे बड़ा छल है वह यही है कि दौड़ने वाला हमेशा कहता है- हम तुम्हारे लिए दौड़ रहे हैं! जबकि सही यह होता है कि खुद वह अपने लिए भी दौड़ नहीं रहा होता..और इस दौड़ का नुकसान भुगतता है वह दौर, जो सफलता की इस राजनीति की चपेट में आ जाता है। इतिहास की बड़ी-बड़ी सफलताओं के दौर असल में भयानक असफलताओं के दौर रहे हैं... - कमलेश्वर, काली आँधी
किताब लिंक: किंडल
FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.
बहुत बधिया।
ReplyDeleteजी आभार....
Deleteबिल्कुल सही। कुछ इससे मिलती-जुलती बातें स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा ने भी 'वर्दी वाला गुंडा' में कही थीं।
ReplyDeleteजी...
Delete