नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

आज का उद्धरण

कमलेश्वर | काली आँधी | हिंदी कोट्स


लेकिन राजनीति का यह नशा! सफलता का नशा! सफलता की दौड़ में कोई थकता नहीं... इस दौड़ का कोई पड़ाव या मंजिल होती नहीं....सफल व्यक्ति सिर्फ दौड़ता रह जाता है..और दौड़ना ही उसकी सफलता बन जाती है। क्योंकि दौड़ते-दौड़ते वह यह भूल जाता है कि उसने दौड़ना क्यों शुरू किया था। सफलता की मंजिल सिर्फ सफलता है! राजनीति में जो सबसे बड़ा छल है वह यही है कि दौड़ने वाला हमेशा कहता है- हम तुम्हारे लिए दौड़ रहे हैं! जबकि सही यह होता है कि खुद वह अपने लिए भी दौड़ नहीं रहा होता..और इस दौड़ का नुकसान भुगतता है वह दौर, जो सफलता की इस राजनीति की चपेट में आ जाता है। इतिहास की बड़ी-बड़ी सफलताओं के दौर असल में भयानक असफलताओं के दौर रहे हैं...

  - कमलेश्वरकाली आँधी

किताब लिंक: किंडल

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4 Comments
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  1. बिल्कुल सही। कुछ इससे मिलती-जुलती बातें स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा ने भी 'वर्दी वाला गुंडा' में कही थीं।

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