गांधी भी बेनाम पैदा हुआ थे और गोडसे भी। जन्म लेने के लिए आज तक किसी को नाम की जरूरत नहीं पड़ी है। पैदा तो केवल बच्चे होते हैं। मरते-मरते वह हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, नास्तिक, हिन्दुस्तानी, पाकिस्तानी, गोरे, काले और जाने क्या क्या हो जाते हैं।
- राही मासूम रज़ा, टोपी शुक्ला
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (22-02-2021) को "शीतल झरना झरे प्रीत का" (चर्चा अंक- 3985) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जी चर्चाअंक में मेरी प्रविष्टि को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार....
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteजी आभार....
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