नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

किताब परिचय: यू ब्लडी शिट पंजाबी - लोकेश गुलयानी



किताब परिचय:

यू ब्लडी शिट पंजाबी - लोकेश गुलयानी
'यू ब्लडी शिट पंजाबी' लेखक लोकेश गुलयानी की पाँचवी किताब है। वो कहानी यही है के पश्चात यह इनका दूसरा कहानी संग्रह है। 

किताब में दस कहानियाँ हैं, और सभी एक दूसरे से जुदा रंग लिए हुए हैं।  ज़्यादातर कहानियाँ ऐसी भी हैं, जो एक पंक्ति में ही सिमट सकती हैं। ऐसी कुछ पंक्तियाँ, आपको पढ़ते वक़्त किसी कहानी के शुरू या अंत में मिल भी जायेंगी। 

हम पहली कहानी 'तारीख़' पढ़ते हैं तो महसूस करते हैं उस ठहराव को, जिससे हम सब बंधे हैं। हमारी ज़िन्दगी रुक सी जाती है किसी घटना के उस समय के बीतने को लेकर जिस समय उसे घटित होना है। 

उसी प्रकार से दूसरी कहानी 'माय डिअर त्रिपाठी ग्रो अप' समय का वो खंडित काल है जो हर हृदय में अंकित रहता है, और संदर्भ एवं स्मृतियों के सहारे-सहारे रिसता है।

अगली कहानी 'गली में दुपहर' लड़कपन की उस अवस्था की कहानी कहती है जब मौसम तेज़ी से रंग बदलते हैं। सब कुछ नियंत्रण में लगता है। पर असल में हमारे उपर हमारा ही नियंत्रण नहीं होता।

 'विंडो सीट' में बेतहाशा तेज़ ज़िन्दगी जीते लोगों को, थोड़ा थम कर जीवन को महसूस करने की बात लिखने की कोशिश की है। 

कहानी 'यूनिवर्सिटी' जवाँ दिलों के बीच पनपते और उजड़ते रिश्तों का ताना बाना बयाँ करती है।

'यू ब्लडी शिट पंजाबी' जो कि इस किताब का शीर्षक भी है एक विलक्षण घटना कहती है। बहुत हलके तरीक़े से अपनी बात रखते हुए, ये आपको सोचने पर मजबूर करेगी और सचेत भी करेगी।

'कोशी' एक ऐसी स्थिति कहती है जिसमें कभी-कभी हम अपने साथी के प्यार से भी ज़्यादा, उसके न होने की कमी सताती है।

'रिजु की दुल्ली' एक कश्मीरी कहानी है। प्यार के कच्ची उम्र से परवान चढ़ने की कहानी और फिर उसके आँखों के सामने किसी दूसरे के हो जाने का दर्द। जिन्होनें महसूस किया है, वो जानते हैं उस दरख़्त को, उस पल को उस बाग़ को और उसकी बेंच को जहाँ वो कभी अपने माशूक़ से आखिरी बार मिले थे। 

'इंडिया गेट' अपने अंदर विश्वास रखने को कहती है।

और अंत में 'गूंगी' जिसमें कमली न कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती है।

किताब आप निम्न लिंक्स के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं:
अमेज़न 



लेखक परिचय:
लोकेश गुलयानी लेखन के क्षेत्र मे अभी उग रहे हैं और वह उग कर एक ऐसा सुंदर पेड़ बनना चाहते हैं, जिसके नीचे बैठ कर लोग अपनी परेशानी, थकन और झंझट कम से कम कुछ समय के लिए तो भूल ही जायें। यक़ीनन प्रतिस्पर्धा के युग में उगना अति-विकट है पर जब अंकुर फूट ही गया है तो कोई न कोई आकार लेना तो निश्चित है। 

जो इन्हें जानते हैं वे यह भी जानते हैं कि यह यायावर किस्म के प्राणी हैं। कहानियाँ इन्हें अकस्मात् पड़ी मिल जाती है जिसे झाड़ कर यह अपना चमन सजाने लगते हैं। कहने को अंतर्मुखी हैं पर मंच पर माइक नहीं छोड़ते। जयपुर में घर है, नौकरी फिलहाल भोपाल है।

लेखक से आप निम्न माध्यमों से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:
ई मेल  :  lokesh.gulyani@yahoo.in | फेसबुक | ट्विटर


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नोट: 'किताब परिचय' एक बुक जर्नल की एक पहल है जिसके अंतर्गत हम नव प्रकाशित रोचक पुस्तकों से आपका परिचय करवाने का प्रयास करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुस्तक को भी इस पहल के अंतर्गत फीचर किया जाए तो आप निम्न ईमेल आई डी के माध्यम से हमसे सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं:

(Kitab Parichay is an initiative by Ek Book Journal to bring into reader's notice interesting newly published books. If you want to us to feature your book in this initiative then you can contact us on following email:)

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© विकास नैनवाल 'अंजान'

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6 Comments
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  1. पुस्तक के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए धन्यवाद।

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  2. बहुत दिनों के बाद एक अच्छा कहानी संग्रह पढ़ने को मिला, जिंदगी के अनेक एहसासों का जिवंत चित्रण लेखक ने बेहद करीन से किया है। कहानियाँ कही न कही हमें खुद से रूबरू भी कराती है एक अच्छी किताब जिसे मैं बार बार पढ़ना चाहूंगा

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    1. जी संग्रह आपको पसन्द आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।

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