नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

ओवरडोज़ - सुरेन्द्र मोहन पाठक

रेटिंग: ४ /५
उपन्यास २१ नवम्बर २०१५ से  २२ नवम्बर २०१५  के बीच पढ़ा गया

संस्करण विवरण :
फॉर्मेट : पेपरबैक
प्रकाशक : रवि पॉकेट बुक्स,न्यूज़हंट
पृष्ठ संख्या : २९७
सीरीज : सुधीर सीरीज # १७
ओवरडोज़ - सुरेन्द्र मोहन पाठक 

पहला वाक्य :
सुबह के साढ़े बारह बजे थे।



अम्बर लॉज एक शांत और संभ्रांत जगह थी। वो बात जुदा थी कि पुलिस की माने तो उधर से पिछले दो सालों  में तीन स्मगलर,एक बलात्कारी, छः कॉल गर्ल्स, एक पासपोर्ट का रैकेट चलाने वाला और दो लश्करे तैयबा के दहशतगर्द गिरफ्तार हो चुके थे।
ऐसे में ऐसी जगह के बाशिंदे भले ही अपने आप को शांत और संभ्रान्त कहें  लेकिन उनको देखने की नज़र में फर्क आना लाजमी था। और जब उधर डिंपल कोठारी नामक लड़की अपने फ्लैट में हेरोइन के ओवरडोज़ के कारण मरी हुई पाई गयी तो पुलिस का उसकी तरफ ख़ास तवज्जो न देना लाजमी था। ऊपर से कोढ़ में खाज ये कि डिंपल कोठारी एक बार बाला थी जिसका काम का इलाका रेड ड्रैगन क्लब था। वहाँ के विषय में मशहूर था कि रेड ड्रैगन की अधिकतर बार बालायें बार में नाचने के इलावा वैश्यावृति के धंधे में भी लिप्त थीं। पुलिस को डिंपल भी ऐसी ही युवती जान पड़ी। और उसकी मृत्यु उसकी  नशाखोरी की आदत से जुडी हुई दुर्घटना।
लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति था जो जानता था इस मामले में जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं। डिंपल कोठारी भले उस वक्त कैसी रहती हो उसका मन गवाही देता था कि वो वैसी नहीं थी जैसा पुलिस उसे समाझ रही थी। वो तो ये भी समझता था कि डिंपल डिंपल ही नहीं थी। वो कोई और थी। और डिंपल का हेरोइन के ओवरडोज़ से मरना
कोई आम बात नहीं थी बल्कि एक खून को दुर्घटना का रूप देने की सोची समझी कोशिश थी।
अपने इस मत की पुष्टि के लिए इस आदमी ने सुधीर कोहली का सहारा लेने की सोची।
कौन था ये आदमी ? क्या सच में डिंपल की मौत में दाल में कुछ काला था? क्या सुधीर कोहली द लकी बास्टर्ड इस गुत्थी को सुलझाने में कामयाब हो पाया? और इस काम के दौरान किन किन खतरों का सामना उसे करना पड़ा ?
सवाल बहुत सारे जवाब एक कि उपन्यास पढ़िए और अपने मन में उठे सवालों का निवारण कीजिये।


ओवरडोज़ सुधीर कोहली सीरीज का १७वाँ उपन्यास है। सुरेन्द्र मोहन पाठक जी की लिखी श्रृंखलाओं  में सुधीर को लेकर लिखे गये उपन्यास मेरे पसंदीदा उपन्यासों में हैं। इसका एक कारण ये भी है कि इनका घटनाक्रम दिल्ली में दिखाया गया है और दिल्ली में रहते हुये इसे पढने का अपना अलग ही लुत्फ़ है।
खैर अगर इस उपन्यास की बात करें तो उपन्यास शुरुआत से अंत तक रोचक था। सुधीर इस बात एक अंडरवर्ल्ड के भाई के लिए काम करता है और जिस तरह से वो उससे और उसके गुर्गों से पेश आता है वो पढ़कर मज़ा ही आ गया था।  कहानी रोचक है और इसने मुझे कहीं भी बोर नहीं किया। हाँ दो तीन बातें जो मुझे कहीं खली वो निम्न हैं :
लाल सिंह चौहान को जब सुधीर ने फ़ोन दिया तो कुछ देर बाद उसने बोला कि फ़ोन कट किया। फिर उसने दोबारा फ़ोन किया लेकिन सुधीर को ये शुबहा क्यों नहीं हुआ कि लाल सिंह ने फ़ोन किसी और को भी मिलाया जा सकता है। क्यों वो  बात  एक शातिर अपराधी की थी न कि किसी आम आदमी की। उसका धोखा देने के लिए ये हथकंडा अपनाना लाजमी है।
दूसरी बात जो मुझे जमी नहीं वो ये कि अनीता जोशी की मृत्यु कैसे हुई इस पर से कभी भी पर्दा नहीं उठ सका। सुधीर ने इस पर केवल एक अंदाजा जताया था और उसी में बात टल गयी थी। कोई ठोस कारण जिसकी वजह से अनीता जोशी ट्रेन से उतरकर सुधीर के फ्लैट में लायी गयी थी वो नहीं पता चला।
खैर, ये दो मामूली बातें हैं जो इस उपन्यास में मुझे खटकी। अन्य कुछ रही होगी तो मेरे को उनका पता भी नहीं चला। इससे वैसे तो कहानी में इतना फर्क नहीं पढ्ता लेकिन चूँकि खटकी ये मुझे खटकी थी तो अगर मैं इधर भी न लिखता तो ठीक न होता।
अंत में इतना कहूँगा कि उपन्यास पूरा पैसा वसूल था। सुधीर का टिपिकल हरामीपन  और एक रहस्मयी गुत्थी इस उपन्यास की यूएसपी हैं जो की आपको इसकी तरफ आकर्षित करेंगे। अगर आपको रहस्यमय उपन्यास पसंद है तो ये उपन्यास शर्तिया आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा।
उपन्यास अगर आपने पढ़ा है तो आप अपनी राय से मुझे ज़रूर अवगत कराईयेगा और अगर आपने इसे नही पढ़ा है तो आप निम्न लिंक से जाकर इसे प्राप्त कर सकते हैं :
न्यूज़हंट
FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल