नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

शब्द चित्र: ज्यां जेने

गजानन रैना साहित्यानुरागी हैं। साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखते रहते हैं।

आज एक बुक जर्नल पर पढ़िए फ्रांसीसी साहित्यकार ज्याँ जेने (Jene Genet) पर लिखा उनका शब्द चित्र। 

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शब्द चित्र: ज्यां जेने । Jean Genet
स्रोत: विकिपीडिया


वो एक वेश्या का बेटा था ।

एक बढई ने उसे गोद लिया था । 

चौदह बरस की उम्र में वो चोरी चकारी और जेब काटने के लिये किशोर संरक्षणगृह में सजा काट रहा था । 

सत्रह साल का हुआ तो लीजेंडरी फ्रेंच फारेन लीग में भर्ती हो गया।

समलैंगिकता तथा अनुशासनहीनता के आरोपों के चलते सेना छोड़नी पड़ी।

फिर से चोरी चकारी और पाकेटमारी के आसरे यूरोप भ्रमण !!!

लौटने पर उसने फर्जी कागजात बनाने का काम भी किया था।

वेश्याओं , दलालों, नशे की सामग्री बेचने वालों,  ठगों, चोरों और जेबकतरों से उसकी दोस्ती थी।

वह यह सब था लेकिन यही भर नहीं था। वह उपन्यासकार था , 

नाटककार था,

कहानीकार था,  

कवि था, 

निबंधकार था । 

उसकी रचनाओं पर कई बेहद सफल नाटक खेले गये ।

कई सफल फिल्में बनीं ।

वह अपने रचनाकर्म में एक बिल्कुल ही अलग अनुशासन लेकर आया था। 

वह एक वाद का जन्मदाता था , 

एक आन्दोलन का माई बाप था ।

वह ज्यां जेने था।

यूरोप से लौटने के बाद जेने को फोर्जरी, अभद्र हरकतों और चोरियों के लिये कई बार जेलयात्रा करनी पड़ी थी ।

जेल में ही जेने ने अपनी पहली कविता लिखी थी,  " le condamne mort " , जिसका अंग्रेजी अनुवाद है, A man condemned to death. 

इन्हीं दिनों जेने का परिचय ज्याँ काकट्यू से हुआ ।

एक समय  ऐसा आया था कि जेने के सर पर आजीवन कारावास का खतरा मँडरा रहा था ।

विश्वप्रसिद्ध चित्रकार पाब्लो पिकासो और ख्यातिलब्ध लेखक ज्याँ पाल सार्त्र ने राष्ट्रपति से अनुकंपा के लिये दरख्वास्त दी, जेने बच गये।

1949 तक जेने पाँच उपन्यास और तीन नाटक लिख चुके थे । उन्होंने कई कवितायें भी लिखीं ।

सार्त्र  का लेख, " Existential Development " पढ कर जेने बहुत प्रभावित  हुये थे और पाँच साल तक उन्होंने कुछ नहीं लिखा ।


- गजानन रैना

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लेखक परिचय:

गजानन रैना

गजानन रैना बनारस से हैं। वह पढ़ने, लिखने, फिल्मों  व संगीत के शौकीन हैं और इन पर यदा कदा अपनी खास शैली में लिखते भी रहते हैं। 

एक बुक जर्नल में मौजूद उनके अन्य आलेख: गजानन रैना

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2 Comments
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  1. आपके इस ब्लॉग पर बहुत समय के बाद आई । बहुत सारी पोस्ट्स और बुक्स की जानकारी पढ़नी बाकी हैं । रैना जी के आलेख से एक लेखक के व्यक्तित्व के गुण के साथ दुर्गुणों के बारे जानकारी से यही लगा कि सिक्के दो पहलू की कहावत बिलकुल सही है ।

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    1. जी सही कहा। एक बुक जर्नल पर आपका पुनः स्वागत है। आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहेगी। आभार।

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