नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

सूरज पॉकेट बुक्स का नया सेट हुआ रिलीज

हिंदी लोकप्रिय लेखन में सूरज पॉकेट बुक्स का अपना एक अलग नाम है। वह अपनी अपराध साहित्य की पुस्तकों के लिए पाठकों के बीच जाने जाते हैं। 

हाल ही में  सूरज पॉकेट बुक्स द्वारा उनका नवीन सेट रिलीज कर दिया गया है। उनके इस नवीन में सेट इस बार तीन पुस्तकों को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया गया है। यह तीनों ही पुस्तक अपराध साहित्य हैं और अच्छे-खासे डिस्काउंट पर पाठकों के खरीदने के लिए अब उपलब्ध हो चुकी हैं। 

यह तीनों पुस्तकें निम्न हैं:

सूरज पॉकेट बुक्स का नया सेट हुआ रिलीज
सूरज पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित नवीन सेट की पुस्तकें

कातिलाना 

'कातिलाना' लेखक निखिल उप्रेती का लिखा पहला हिंदी उपन्यास है। इससे पहले निखिल कई वेब और ऑडियो शोज लिख चुके हैं और अब वो कातिलाना के माध्यम से उपन्यास लेखन की दुनिया में कदम रख रहे हैं। 

किताब परिचय

हिमालय की पहाड़ियों पर बने वेस्टवुड विला में जब स्कूल के ज़माने के छः दोस्त बरसों बाद मिलते हैं तो दिल में कई ज़ज़्बात लिए होते हैं। बरसों पुरानी दोस्ती, स्कूल के वो हसीं लम्हे ताज़ा हो जाते हैं। पर साथ ही ताज़ा हो जाता है एक पुराना ज़ख्म जो वक़्त के साथ एक नासूर बन चुका है। 

कोई है जिसने इन सभी को बड़ी चालाकी से यहाँ इकठ्ठा किया है। कोई है जो इन सभी छ: दोस्तों के अतीत से जुड़े उस राज़ का पर्दाफाश करना चाहता है। 

शनाया, मकरंद, काजल, रुचिर,  विद्या और विनीत एक एक करके उस गुमनाम क़ातिल के हाथों सज़ा पाने लगते हैं जो इन सभी से इनकी ही क्लास की साथी मेघना की मौत का बदला लेना चाहता है, जिसकी मौत को इन सभी की तरफ दुनिया आज तक ख़ुदकुशी मानती आयी थी। 

कौन है ये क़ातिल ? क्या वो अपने इस क़ातिलाना काम को अंजाम तक ले जा सकेगा ?


पुस्तक विवरण

नाम: कातिलाना | लेखक: निखिल उप्रेती | पृष्ठ संख्या: 170  | एमआरपी: 270 |  ऑफर प्राइस: 190 | पुस्तक लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स


चाल पे चाल 

'चाल पे चाल' जेम्स हैडली चेज द्वारा लिखे गए  उपन्यास 'द डॉल्स बैड न्यूज' का हिंदी अनुवाद है। यह उनकी डेविड फेनर शृंखला का दूसरा उपन्यास है। इसका अनुवाद विकास नैनवाल द्वारा किया गया है। इससे पूर्व सूरज पॉकेट बुक्स से उनका ली चाइल्ड के उपन्यास नेवर गो बैक का अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है। 

किताब परिचय

छः माह से खाली बैठे प्राइवेट डिटेक्टिव डेविड फेनर को जब उस खूबसूरत युवती के आने की खबर मिली तो उसे लगा था कि शायद अब उसे कोई केस मिलेगा। वह कहाँ जानता था कि वह औरत अपने साथ मुसीबतों और रहस्यों का ऐसा झंझावात लेकर आएगी कि उसका अपनी जान बचाना दूभर हो जाएगा। 

अब हर चाल पे उसे ऐसी चाल चलनी पड़ेगी जो उसे मौत से दूर और सच्चाई के करीब लेकर आएगा। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा था… वह हर चाल पर मौत के नजदीक और सच्चाई से दूर जाता जा रहा था…

पुस्तक विवरण

नाम: चाल पे चाल  | लेखक: जेम्स हेडली चेइज  |  अनुवादक: विकास नैनवाल |  पृष्ठ संख्या: 230 | एमआरपी: 290 |  ऑफर प्राइस: 230 | पुस्तक लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स


जुर्म का आगाज

'जुर्म का आगाज' लेखक जयदेव चावरिया का लिखा दूसरा उपन्यास है। इससे पूर्व उनका उपन्यास माय फर्स्ट मर्डर केस सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ था। 

किताब परिचय

दावत होटल में एक बिजनेस पार्टी के दौरान हीरा वर्मा और नाजिम खान, राजनगर के दो बड़े बिजनेसमैन, रेड सूटकेस की डील कर रहे थे पर कोई तीसरा मास्टरमाइंड उनकी नाक के नीचे से रेड सूटकेस उड़ा ले गया। लोग सिर्फ यह जानते थे कि रेड सूटकेस के मालिक का नाम डेविल है जिसे किसी ने कभी नहीं देखा और जिसने डेविल को देखा वह किसी को बताने के लिए जिन्दा नहीं बचा।

हीरा वर्मा और नाजिम खान को अब जल्द से जल्द रेड सूटकेस ढूँढना था वरना उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ता। कौन था वह मास्टरमाइंड जिसने हीरा वर्मा और नाजिम खान की नाक के नीचे से रेड सूटकेस उड़ा लिया ?
रेड सूटकेस में ऐसा क्या था जिसे हासिल करने के लिए सारा माफिया पीछे पड़ा था ?

हीरा वर्मा और नाजिम खान का रेड सूटकेस से क्या संबंध था ? क्या वे रेड सूटकेस को हासिल कर सके ?
रेड सूटकेस का मालिक डेविल आखिर कौन था ? 

पुस्तक विवरण

नाम: जुर्म का आगाज | लेखक: जयदेव चावरिया | पृष्ठ संख्या: 176 |  मूल्य: 270 | ऑफर प्राइस: 190 | पुस्तक लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स 


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आप इन तीनों पुस्तकों को ऊपर दिए लिंक्स के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। या फिर आप अपने ऑर्डर सीधे सूरज पॉकेट बुक्स को गूगल पे या यूपीआई के माध्यम से निम्न नंबर पर भेज सकते हैं:

9167518007


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

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