नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

साहित्य विमर्श प्रकाशन की पुस्तकों का प्री ऑर्डर शुरू





साहित्य विमर्श प्रकाशन द्वारा दो पुस्तकों का प्री ऑर्डर शुरू किया गया है। प्री ऑर्डर के तहत आप इन पुस्तकों को आकर्षक दामों में क्रय कर सकते हैं। इस बार साहित्य विमर्श प्रकाशन पाठकों के लिए एक पुस्तक कथेतर साहित्य में और एक पुस्तक बाल साहित्य में लेकर आया है। यह पुस्तकें निम्न हैं:


समथिंग सर्पीला 

 

सुनील कुमार 'सिंक्रेटिक' 'बनकिस्सा' और 'बात बनेचर' जैसी सफल किताबों के लेखक हैं। अपनी इन किताबों में उन्होंने जानवरों की कहानियाँ कहकर हमारे समाज में फैली विसंगतियों को उजागर किया था। लेकिन सुनील सोशल मीडिया में जिसके लिये सबसे ज्यादा जाने जाते हैं वह है साँपों के विषय में उनके अथाह ज्ञान। सोशल मीडिया में उनके ये लेख पाठकों के बीच काफी प्रसिद्ध रहे हैं। 

अब सुनील अपनी नवीन किताब समथिंग सर्पीला लेकर आए हैं। साँप एक ऐसा जीव है जिसे लेकर कई तरह की भ्रांतियाँ समाज में फैली हुई हैं। यही कारण है कि लोग उनसे अकारण ही डरते हैं। सुनील की नवीन किताब में वह साँपों के प्रति फैली इन्हीं भ्रांतियों को नष्ट करते दिखते हैं। यही कारण है किताब के विषय में कहा गया है: डरा वही जो पढ़ा नहीं अर्थात अगर आप इस पुस्तक को पढ़ लेंगे तो समझ जाएंगे कि साँप इतने भी बुरे नहीं होते जितना उन्हें बना दिया गया है। 


पुस्तक विवरण:
पृष्ठ संख्या: 206  | मूल्य: 199 | प्री ऑर्डर कीमत: 175 (डिलिवरी फ्री) | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श | अमेज़न

इसके अतिरिक्त सुनील कुमार सिंक्रेटिक की अन्य पुस्तकों पर भी प्रकाशक द्वारा अच्छा खासा डिस्काउंट दिया जा रहा है जो कि निम्न है:

कॉम्बो 1: बनकिस्सा + समथिंग सर्पीला | एम आर पी: Rs, 349/- | डिस्काउंट रेट: Rs, 275/- (फ्री डिलिवरी)

कॉम्बो 2: बात बनेचर + बनकिस्सा  | एम आर पी: 399/- | डिस्काउंट रेट: Rs. 249/- (फ्री डिलिवरी)

कॉम्बो 3: बात बनेचर + समथिंग सर्पीला  | एम आर पी: 448/- | डिस्काउंट रेट: Rs. 299/- (फ्री डिलिवरी)

कॉम्बो 4: समथिंग सर्पीला + बनकिस्सा + समथिंग सर्पीला | एम आर पी: 598/- | डिस्काउंट रेट: Rs. 399/- (फ्री डिलिवरी)

इन कॉम्बो को आप निम्न नंबर पर व्हाट्सऐप्प के माध्यम से संपर्क कर ऑर्डर करके प्राप्त कर सकते हैं:
9310599506


पानी का बदला



पानी का बदला लेखिका मीनू त्रिपाठी का पाँचवा कहानी संग्रह है। इससे पहले उनके कच्ची मिट्टी, 'अर्जुन और नीम का पेड़', 'चिट्ठी', 'आभार तुम्हारा','मैं न कहती थी' उनके अब तक प्रकाशित संग्रह है। 

अपने नवीन संग्रह पानी का बदला में मीनू त्रिपाठी की बीस चुलबुली कहानियों को एकत्रित किया गया है। इन कहानियों में हास्य, चुलबुलापन तो है ही साथ ही नैतिकता, पर्यावरण और आदतों के बारे में भी बात की गई है।

‘कुछ अच्छा हो जाए’, ‘कुहू हँस पड़ी’, ‘दरवाजे के पीछे कौन’ जैसी कहानियाँ बालमन को बड़ी कुशलता से हमारे सामने रख देती हैं।

‘जलपरी से मुलाकात’ कहानी में जलपरी, चालवी और उसकी बाँसुरी हमें किसी और लोक में ले जाती है। मन करता है बाँसुरी की मीठी धुन सी कहानी चलती ही जाए।

‘कौन जीता कौन हारा’ कहानी में खरगोश और कछुए के बीच एक बार फिर रेस होती है उसका क्या परिणाम रहा यह जानना बड़ा ही रोचक है।

संग्रह में निम्न कहानियाँ हैं: 

‘पानी का बदला‘, ‘जलपरी से मुलाकात‘, ‘कुहू हँस पड़ी‘, ‘दरवाजे के पीछे कौन...‘, ‘साइकल‘, ‘गुलाब की चोरी‘, ‘राखी का उपहार‘, ‘कुछ अच्छा हो जाए‘, ‘हैप्पी वाला बर्थ डे‘, ‘ब्राउनी स्वादिष्ट है‘, ‘मिट्ठू लौट आया...‘, ‘तिरंगे का सम्मान‘, ‘रौनक किस्से?‘, ‘यादगार बर्थडे..‘., ‘फ़ैन्सी ड्रेस‘, ‘मीकू की पिचकारी‘, ‘मोबाइललेरिया‘, ‘कौन जीता कौन हारा‘, ‘आदत बदलें‘, ‘विजेता’ 

पुस्तक विवरण:
पृष्ठ संख्या: 142  | मूल्य: 165/- | प्री ऑर्डर कीमत: 120/- | पुस्तक लिंक: साहित्य विमर्श


तो यह थी साहित्य विमर्श की नवीन प्रस्तुति। आप इन पुस्तकों 27 अगस्त 2022 तक प्री ऑर्डर कर सकते हैं। पुस्तकें 28 अगस्त 2022 से बाद ही डिस्पैच की जाएंगी। 

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