नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

सभ्य कहे जाने वाले, पारिवारिक लोगों द्वारा होने वाली नोच खसोट का आख्यान है 'जाँच अभी जारी है'

गजानन रैना सोशल मीडिया पर अपनी साहित्यिक टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं। अपने विशेष अंदाज में वो साहित्य और साहित्यिक हस्तियों पर टिप्पणी करते हैं। आज पढ़िए सुप्रसिद्ध लेखिका ममता कालिया की कहानी 'जाँच अभी जारी है' पर लिखी उनकी यह टिप्पणी।  

*****


मामता कालिया - रैना उवाच
ममता कालिया, स्रोत: विकिपीडिया

पिछले पचास वर्षों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण लेखिकाओं में ममता कालिया अग्रणी हैं ।

दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि विवाहपूर्व भारतभूषण अग्रवाल जी की भतीजी और विवाह के बाद रवीन्द्र कालिया जी की पत्नी होने के नुकसान  ममता जी की लेखिका को उठाने पड़े। 

उनके मित्र इनके मित्र कितने हुये, सबने देखा (अश्क जी, राकेश जी और यादव जी में एक का स्नेह ही कम नहीं,  तीनों का  सम्मिलित स्नेह तो व्यक्ति की जीवन भर के लिये मैत्री की भूख मिटाने के लिए पर्याप्त है । ) लेकिन उनके विरोधियों का विरोध जरूर इनके आड़े आया । पर खरी प्रतिभा को देर तक दबाया नहीं जा सकता।

ममता ने कविता से शुरुआत की लेकिन कविता की टीन  की छत पर ' अकविता ', ' भूखी कविता  ', 'नंगी कविता ', ' गिंसबर्ग छाप कविता ' आदि के ओले ऐसे तड़तड़ा कर गिरे कि उनका मन संभवतः कविता से खट्टा हो गया और वे कथा की ओर मुड़ गयीं । पद्य की हानि गद्य का लाभ बनी ।

बिना नारीवाद का कोई झंडा उठाये, बिना गला फाड़ कर नारा लगाये और सबसे बड़ी बात,  बिना पुरुष को गरियाये ममता ने नारी की रोजमर्रा की कठिनाइयों और नारी चेतना पर जो और जितना लिखा है, पढ़ने से ताल्लुक रखता है।

सरकारी कार्यालयों में चलने वाले औरत के शोषण पर लिख तो रहे हैं लोग ,पचीस, तीस साल से, लेकिन लिख दी ममता कालिया ने 'जाँच अभी जारी है'।

साहब,  पढकर देखें,  किस क्लिनिकल ठंडेपन से, किस निर्मम तटस्थता से रचा है औरत की, सभ्य कहे जाने वाले, पारिवारिक,  'माँ बहनों वाले' लोगों द्वारा होने वाली नोच खसोट का आख्यान,  हमारे समय की सबसे सशक्त लेखिकाओं में एक ने।

क्रूर यहाँ यही नहीं है कि नायिका का शारीरिक शोषण हो रहा है। क्रूर यहाँ यह हालात हैं,  पुरुष समाज की रची वह ब्रम्हगाँठ है कि विरोध करने की तो वो सोच ही नहीं सकती, बल्कि उसको अपनी इस छीछालेदर के लिये खुद द्वार द्वार घूमना है।


नोट: आप भी एक बुक जर्नल के लिए पुस्तकों से जुड़े अपने आलेख (800-1200 शब्द के) हमें contactekbookjournal@gmail.com पर भेज सकते हैं। फिलहाल पाँच आलेख प्रकाशित होने पर एक बुक जर्नल के तरफ से एक पुस्तक लेखक को उपहार स्वरूप दी जा रही है।

यह भी पढ़ें


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल