नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

प्रतिष्ठित कार्टूनिस्ट नायराण देबनाथ का हुआ निधन


नारायण देबनाथ, स्रोत: विकिपीडिया


प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट और लेखक नारायण देबनाथ का मंगवार 18 जनवरी को कलकत्ता में एक लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 96 साल के थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें कोलकता के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहाँ उन्होंने अपनी आखिरी साँस ली। 

कौन थे नारायण देबनाथ

नारायण देबनाथ का जन्म 25  नवंबर 1925 को शिबपुर हावड़ा में हुआ था। यहीं उन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर हिस्सा व्यतीत किया था। बचपन से ही उनको कला का शौक था। यही कारण था कि उन्होंने पाँच साल तक इंडियन आर्ट कॉलेज में फाइन आर्ट्स की पढ़ाई की लेकिन फिर डिग्री पूरी करने से पहले उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और वह फ्रीलांस काम करने लगे। 1950 में एक दोस्त के माध्यम से वह एक प्रकाशन देव साहित्य कुटीर के संपर्क में आए जहाँ उन्होंने कई पुस्तकों के लिए इलसट्रेशन बनाए। 

1962 में अपने प्रकाशन के सुझाव पर उन्होंने कॉमिक बुक इंडस्ट्री में कदम रखा और हांडा-भोंडा नामक चरित्रों का निर्माण किया। यह नाम भी प्रकाशन द्वारा सुझाया गया। यह कॉमिक बुक शुकतारा नाम की बाल पत्रिका में छपा और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने कई उपन्यासों के लिए इलसट्रेशन बनाए और कई कॉमिक बुक स्ट्रिपस बनाई। अपने कार्यकाल में वह एक नामी इल्सट्रेटर के रूप में प्रख्यात थे।  

नारयाण देबनाथ विशेष तौर पर अपने बनाए कार्टून चरित्रों हांडा-भोंडा (1962), बटुल-द ग्रेट (1965) और नोन्टे-फोन्टे (1969) के लिए जाने जाते थे।  उनके पास हांडा-भोंडा कॉमिक्स श्रृंखला के लिए एक व्यक्तिगत कलाकार द्वारा सबसे लंबे समय तक चलने वाली कॉमिक्स का रिकॉर्ड है, जिसने लगातार 60 साल पूरे किए।

नोन्टे फोन्टे, बटुल द ग्रेट और हांडा-भोंडा


पुरस्कार

अपने कार्य के लिए नारायण देबनाथ को अपने जीवन काल में कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था जिसमें से प्रमुख साहित्य अकादमी पुरस्कार (2013), बंग विभूषण (2013), पद्म श्री (2021) शामिल थे। 2015 में रबीन्द्र भारती विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डी लिट की उपाधि भी प्रदान की गयी थी। 



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