जो कहना है, वह कभी खत्म नहीं होता। छपने पर लगता है छुटकारा मिल गया है, मगर ऐसा होता नहीं। दुबारा लिखने की इच्छा होती है। कोई भी लेखक अपनी जिंदगी का सर्वश्रेष्ठ लेखन नहीं करता। यही तो कारण है लगातार लिखते रहने का। हमने अब तक जो लिखा है, वह अच्छा नहीं है, यही समझना होगा और यह मानना होगा कि हमने जो लिखा है, उसे छोड़कर सर्वश्रेष्ठ लिखने का दायित्व आने वाली पीढ़ियों का है।
- विनोदकुमार शुक्ल (नया ज्ञानोदय फरवरी 2020 में प्रकाशित आसाराम लोमटे के लेख आकाश धरती को खटखटाता है से )
उपयोगी विचार।
ReplyDeleteजी आभार....
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