और उसे लगा कि प्यार एक उदास-सी चीज है, और बहुत प्यारी सी चीज है उदासी।
कमरे की ओर लौटते हुए उसका पाँव एक गमले से टकराकर छिल गया। उसके हाथ-पाँव अक्सर इसी तरह चीजों से टकराते रहते हैं। शायद इतनी ऊँचाई से उसकी आँखें नीचे आई रुकावटों को नहीं देख पातीं।
अब वह उदास ही नहीं, आहत भी था। उदास और आहत, दोनों होना उस कुल मिलाकर प्रेम को परिभाषित करता जान पड़ा।
- मनोहर श्याम जोशी, कसप
वाह...।
ReplyDeleteबहुत सटीक और सार्थक।
जी आभार....
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