- कृष्ण बलदेव वैद, अब्र क्या चीज है? हवा क्या है?
जब भी किताबों के पन्ने पलटता हूँ , कई किरदारों से रूबरू हो जाता हूँ , कुछ में अपनों को कुछ में दूसरों को पाता हूँ, एक किताब के जरिये न जाने कितनी जिंदगियाँ जी जाता हूँ। - विकास 'अंजान'
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Friday, February 5, 2021
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बिल्कुल सही।
ReplyDeleteजी....
Deleteवैद जी की बात काफ़ी हद तक सही है । उन्माद में प्रायः तर्क एवं विवेक गौण हो जाते हैं जिसका अनुचित लाभ स्वार्थी तत्व ही उठाते हैं । यह बात बड़े सब्र के साथ और बड़ी बारीकी से ग़ौर करने पर ही पता लगती है । विचार को साझा करने के लिए आभार विकास जी ।
ReplyDeleteजी आभार.....
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