ऐसी बहुत सी बातें होती हैं जो लिखी नहीं जातीं, जिनको लेकर लिखना उचित भी नहीं होता। जिनको लेकर लिखना मनुष्य की रूचि के विरुद्ध है। ... जड़ के जिस प्रकार धरती के अन्दर छुपे रहने से वृक्ष का सौन्दर्य बढ़ जाता है उसी प्रकार कटु सत्य के छुपे रहने से जीवन का सौन्दर्य भी बढ़ता है।
किताब लिंक: पेपरबैक
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-01-2021) को "अभी बहुत कुछ सिखायेगी तुझे जिंदगी" (चर्चा अंक-3938) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जी चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार...
Deleteअद्भुत लेखक ! रचनाओं का अंत हिला कर रख देता है पाठक को
ReplyDeleteजी सही कहा...आभार...
Deleteसटीक
ReplyDeleteजी सही कहा....
Deleteबिमल मित्र अपने आप में एक निराले लेखक हैं बहुत ही महीनता के साथ कहानियों को उपसंहार तक पहुँचाते हैं साहब बीबी ग़ुलाम, बेगम मेरी बिस्वास, रोकड़ जो मिली नहीं - - सभी एक से बढ़ कर एक।
ReplyDeleteजी सही है.... हर वर्ष उनकी कोई न कोई रचना मैं अक्सर पढ़ लेता हूँ.....
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