नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

फूल का रहस्य - एस सी बेदी

किताब फरवरी 21,2019  से फरवरी 22,2019 के बीच पढ़ी गई

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 80
प्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स
आईएसबीएन: 9789388094023




पहला वाक्य:
शाम का समय था।

वह दिखने में केवल एक गुलाब का फूल था। वह वृद्धा जब राजन इक़बाल के पास पहुँची तो उसने उन्होंने बताया कि उसके अन्दर देश की मौत छिपी हुई थी। देश के दुश्मन उस फूल को पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे।

आखिर क्या था उस फूल का रहस्य? आखिर कौन थी यह वृद्धा और उसका फूल से क्या रिश्ता था?
उस फूल के पीछे कौन लोग पड़े थे? वो लोग क्या चाहते थे?
क्या राजन इकबाल इस बात का पता लगा पाये?


मुख्य किरदार :
मुकेश - एक युवक
चिंग-मिंग - चीनी लोग जो कि स्मगलिंग में कार्यरत थे
देवदत्त - एक डकैत
मोहिनी - देवत्त की प्रेमिका और साथी डकैत
शिव और चंदर - दो भाई
रौनक - एक फूल बेचने वाला
चम्पा - रौनक की प्रेमिका
क्राइम-चीफ - एक अपराधिक संगठन का मुखिया
राजन इकबाल शोभा सलमा - सीक्रेट एजेंट्स
नईम - देवदत्त का साथी
अनवर - देवदत का साथी

फूल का रहस्य एस सी बेदी जी की सबसे नई पेशकश है।  यह लघु उपन्यास राजन इकबाल श्रिंखला का उपन्यास है और इस बात के लिए खास है कि इसमें राजन  की असली जोड़ीदार शोभा की वापसी दिखाई गई है। इससे पहले राजन के साथ रजनी नाम की किरदार ही दिखाई जा रही थी।

कहानी की बात करें तो जैसा कि किताब के शीर्षक से पता चलता है कि किताब एक फूल के विषय में है।  एक फूल है जिसके कारण भारत की मौत हो सकती है।  इस फूल के पीछे अपराधी भी हैं और राजन इकबाल भी हैं।  यह फूल क्या है? यह फूल किसके पास था? यह फूल जिनके पास था उनके हाथों से  निकलकर कहाँ गया? फूल को क्यों देश की मौत कहकर सम्बोधित किया जा रहा है? ऐसे ही कई प्रश्नों के उत्तर कथानक देता है।

कथानक में एक्शन भरपूर है। देवदत्त मोहिनी के होने से डकैती वाला कोण भी इस कथानक में आ जाता है जो कि इसे रोचक बनाता है। बाकी राजन इकबाल हैं तो लड़ाई होनी ही है। अंत में कहानी में ट्विस्ट भी आता है जो कि कहानी में रोमांच लाता है।

फूल से देश की मौत कैसी होगी, इसका अंदाजा आसानी से हो सकता है। यह अंदाजा मैंने लगा दिया था और वही ठीक निकला।

उपन्यास में इकबाल का मजाकिया अंदाज  तो है लेकिन उतना नहीं है जितना कि मुझे पसंद है। मुझे इसकी कमी लगी। यह सब इसलिए भी है क्योंकि इस किताब में देवदत्त मोहनी और बाकी किरदार भी हैं। कहानी छोटी है और सबको उनकी जगह मिली है तो इस कारण इकबाल को कम जगह मिलती है। ऐसा नहीं है कि इकबाल की झख नहीं है, वो है लेकिन उसने मुझे इतना प्रभावित नहीं किया।

उपन्यास में रजनी को हटाकर शोभा को लाया गया है। शोभा अब तक कहाँ थी और रजनी अब कहाँ चली गई है? यह प्रश्न ऐसे हैं जिनका सही सही जवाब पाठक के रूप में मुझे इस लघु उपन्यास से तो नहीं मिल पाया। इन दोनों बातों का जिक्र कथानक में किरदार करते हैं लेकिन कुछ भी पता नहीं चलता है। मैं चाहता था कि ये जवाब मुझे मिले। उम्मीद है अगले उपन्यासों में इन दोनों बातों में ही रोशनी डाली जाएगी।

राजन इकबाल के कथानक आपने अगर पढ़े हैं तो यह समझ सकते हैं कि यह काफी सरल होते हैं।  यह सरलता इसमें भी है। किरदारों को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती है। जहाँ जहाँ मुख्य चीजें होती है वहाँ वहाँ कोई न कोई मुख्य किरदार मिल जाता है। यह सब अब रुकना चाहिए। उदाहरण के लिए इसमें वृद्धा पुलिस स्टेशन के लिए निकलती है तो पहले उसे बीच में देवदत्त और मोहिनी मिल जाते हैं।  ये दोनों राजन इकबाल के साथी ही हैं। फिर वो खुद राजन इकबाल के घर में पहुँच जाती है। अपराधी उसका पीछा करते हुए उधर पहुँच जाते हैं और सीक्रेट एजेंट के सामने उस पर बन्दूक तान देते हैं।  एक अनुभवी सीक्रेट एजेंट के होते ऐसा होना कुछ जँचता  नहीं है।  पहले तो कोई भी उनके घर में दाखिल हो रहा है।  कुछ तो सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। इनके न जाने  कितने दुश्मन होंगे? ऐसे में तो कोई भी इन्हें मार सकता है। अपराधी आते हैं अपना काम करते हैं और निकल भी जाते हैं।  बीच में रोकने की कोशिश होती है लेकिन उसमे भी बचपना दिखता है। अपराधी भागते हैं। एजेंट्स ने इन्हें देखा है। थानों में या रास्ते में नाकाबंदी हो सकती थी। भाग कर जाने के कुछ ही रास्ते होंगे। उधर धर पकड़ करवाई जा सकती थी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता है।

ऐसे ही आखिर में देवदत्त और मोहिनी को जब अपराधी पकड़ लेते हैं तो उनकी तलाशी नहीं लेते हैं जो कि  उन पर भारी पड़ती है। एक शातिर अपराधी अपनी कैदियों की तलाशी न लेना मुझे जमा नहीं।

ऐसी कई चीजें थी जो कि सहूलियत के हिसाब से कर दी गई हैं। मुझे लगता है इन पर थोड़ा काम और होना चाहिए था।

अंत में यही कहूँगा कि अगर आप राजन इकबाल श्रृंखला के उपन्यास पढने के शौक़ीन हैं तो शायद आपको यह पसंद आये। लेकिन अगर आप वयस्कों के लिए लिखे गये अपराध साहित्य पढ़ते हैं तो आपको इसका कथानक साधारण लगे।

मेरी रेटिंग : 2/5

 वैसे मैं राजन इकबाल श्रृंखला के उपन्यासों को बाल उपन्यासों में रखता हूँ, पर इसमें चूँकि ड्रग्स का जिक्र है। और उपन्यास में शुरूआती कुछ शब्द वयस्कों वाले हैं तो इसके विषय में इधर लिख रहा हूँ।

अगर आपने इस उपन्यास को पढ़ा है, तो आपको यह कैसा लगा? अपने विचारों से मुझे जरूर अवगत करवाईयेगा। अगर आपने इस उपन्यास को नहीं पढ़ा है तो आप इसे निम्न लिंक पर जाकर मँगवा सकते हैं:
पेपरबैक
किंडल
 एस सी बेदी जी के दूसरे उपन्यास भी मैंने पढ़े हैं। उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं :
एस सी बेदी

 राजन इकबाल श्रृंखला के दूसरे उपन्यासों के प्रति मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
 राजन-इकबाल

हिन्दी पल्प साहित्य के दूसरे उपन्यासों के प्रति मेरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
हिन्दी पल्प साहित्य
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