नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

लाश के टुकड़े, हत्यारे बाल

लाश के टुकड़े और हत्यारे बाल वैसे तो दो अलग अलग कॉमिक्स हैं लेकिन मैंने दोनों को एक दिन के अंतराल में पढ़ा था। दोनों ही कॉमिक्स राज के थ्रिल,हॉरर, सस्पेंस श्रृंखला के हैं। इस पोस्ट में मैं दोनों के विषय में बात करना चाहूँगा।


1. लाश के टुकड़े

रेटिंग : 2 /5
कहानी : 2.5/5
आर्टवर्क : 1.5/5
कॉमिक अप्रैल 13,2018 और अप्रैल 26,2018 को पढ़ा गया

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक
पृष्ठ संख्या : 48
प्रकाशक : राज कॉमिक्स 
श्रृंखला : थ्रिल हॉरर सस्पेंस
आईएसबीएन: 9788184917406
लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन:  संजय अष्टपुत्रे,   सम्पादन : मनीष चन्द्र गुप्त 

विपुल,गोविन्द,अस्थाना और मंजरेकर के बीच में गहरी मित्रता थी। एक दिन उनके बीच में जब इस बात की बहस निकली कि भूत-प्रेत होते हैं या नहीं तो गोविन्द को छोड़कर सभी ने एक तरीके से उनके अस्तित्व को मानने से इनकार कर दिया।

गोविन्द, जो कि इन शक्तियों पर विश्वास करता था, ने फैसला किया कि वो अपने दोस्तों को इन शक्तियों के अस्तित्व का एहसास दिलाकर रहेगा।

लेकिन वो कहते हैं न कि हमे सोच समझकर अपनी इच्छा जाहिर करनी चाहिए। न जाने कौन सी कब पूरी हो जाए और हमे पछताने का मौका न मिले।

ऐसा ही कुछ इन चारों के साथ हुआ।

अब इन चारों के जान के लाले पड़े हुए हैं। एक ऐसी शक्ति इनके पीछे पड़ी है जो इन्हें लील कर ही चैन लेगी।

आखिर गोविन्द अपने दोस्तों को किधर लेकर गया था? 

उधर ऐसा क्या हुआ कि इनकी जान के लाले पड़ गए ? 

क्या ये चारों बच पाएंगे?

इनकी इस हालत के पीछे कौन ज़िम्मेदार है?

इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस कॉमिक को पढ़कर मिलेंगे।

राज कॉमिक्स के थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला का ये कॉमिक पढ़ा। कॉमिक की शुरुआत बेहतरीन थी। एक रास्ते पर तीन सालों से एक ही दिन ट्रेन के साथ दुर्घटना होती है। इस घटना में लोग आत्मा का हाथ बताते हैं। मुझे इस घटना ने शुरुआत में ही बाँध लिया था।  क्यों ये घटनाएं होती है? आखिर उधर क्या हुआ था? इससे लोगों को निजाद कैसे मिली? ऐसे कई प्रश्न मेरे मन में उठ रहे थे।और मुझे लगा था कि इसी के चारो ओर कहानी बुनी गई होगी। मुख्य किरदार इसी रहस्य का पता लगाने जाते होंगे और उधर अलौकिक शक्तियों से उन्हें दो चार हाथ करने होते होंगे। लेकिन ऐसा नहीं था। ये बात मुख्य किरदारों के बीच में केवल बहस करने के लिए इस्तेमाल की है। व्यक्तिगत तौर पर इस ट्रेन वाले किस्से में मेरी ज्यादा रूचि है। अगर लेखक इसे डेवलप करे और अच्छे से प्रस्तुत कर सकें तो बेहतरीन कहानी बन सकती है।

बहरहाल, प्रस्तुत कॉमिक की कहानी औसत है। इसमें चार मुख्य किरदार हैं जो आपस में बहस कर रहे हैं। ऐसी बहस आपने मैंने हर किसी ने कभी न कभी अपने दोस्तों से की होगी। इसी बहस से कहानी बढ़ती जाती है और भयावह मोड़ ले लेती है। किरदारों के साथ जो भी होता है वो अगर आप खुद के साथ होने की कल्पना करें तो यकीनन डर आपको लगेगा।

अब कहानी में गोल माल ये मुझे लगा कि लाश जब पूरी थी तब वो केवल वापस आ रही थी। उसने किसी को नुक्सान नहीं पहुँचाया। लेकिन जब लाश के टुकड़े किए गए तो वो मरने मारने पर उतारू हो गई। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे लाश के टुकड़े न होते तो कहानी आगे नहीं बढ़ती। और शीर्षक कुछ और रखना पड़ता।

हाँ, कहानी का अंत भी मुझे लगा बेहतर चित्रित किया जा सकता था। हमे अंत दिखाई देता है। वो किरदार उस अंत तक कैसे पहुँचा ये भी दर्शाते तो कहानी के कुछ पृष्ठ जरूर बढ़ते लेकिन वो और डरावनी हो जाती।

 एक चीज और भी मुझे खली थी। कथानक इतना छोटा था कि मुख्य किरदारों के साथ मेरा कुछ भावनात्मक लगाव नहीं था। मुझे उनके विषय में कुछ पता होता तो शायद अनुभव दूसरा होता। चीजें हो भी काफी तेजी से रही थी। फिर चारों में से केवल विपुल के ही परिवार के विषय में हम जान पाते हैं। बाकी तीनों को के विषय में इतना कुछ नहीं जान पाते हैं। अगर सबके विषय में जानकारी और मिलती तो बढ़िया रहता।  चित्रकथा में ये मुमकिन नहीं हो पाता है इतना समझता हूँ लेकिन थोड़ा बहुत भी कुछ होता तो बढ़िया रहता।

कहानी के आर्टवर्क की बात करें तो आर्टवर्क औसत से थोड़ा कम लगा। किरदारों की शक्लें टेढ़ी मेढ़ी हैं। क्योंकि कॉमिक पुराना है तो पेपर क्वालिटी भी उस हिसाब से है। मुझे लगता है थोड़ा और अच्छा आर्टवर्क होता तो कहानी और अच्छी बन सकती थी। उसका प्रभाव और बढ़िया पाठकों पर पढ़ता।

कॉमिक के विषय में ये ही कहूँगा कि कॉमिक की कहानी औसत से मुझे थोड़ी ठीक लगी और एक बार पढ़े जाने लायक है। हाँ, कहानी पढ़ते हुए अगर आप सोचे कि ये सब आपके साथ हो तो कैसा रहे तो पढ़ते समय डर भी आपको लगेगा। 



2. हत्यारे बाल 

रेटिंग : 3.25/5
कहानी 2.75/5
आर्टवर्क : 4/5

कॉमिक अप्रैल 14,2018 और अप्रैल 26,2018 को पढ़ा गया 



संस्करण  विवरण:
फॉर्मेट : पेपरबैक 
पृष्ठ संख्या : 32
प्रकाशक : राज कॉमिक्स 
श्रृंखला : थ्रिल हॉरर सस्पेंस 
आईएसबीएन :9789332410459
लेखक : तरुण कुमार वाही, चित्रांकन : विनोद कुमार, सम्पादक: मनीष गुप्ता


सैम मुसीबतों का मारा था। वो एक हारा हुआ इनसान था। ग्लानि से उसका मन इतना पीड़ित था कि उसने अपनी ज़िन्दगी का अंत करने की ठान ली। लेकिन फिर उसे योगीराज मिले। उन्होंने उसे मार्ग दिखाया जिससे उसकी सारी मुसीबतें खत्म हो सकती थी।

क्या सैम मुसीबतों से छुटकारा पा पाया? आखिर उसे किस बात का गम था? 

आज वो पाँचों बहुत खुश थे। डेविड,एलेना,पीटर, हेलेन और इंस्पेक्टर ईगल। आज उन सब  ने मिलकर अपनी साजिश को कामयाब कर दिया था। उनके रास्ते का काँटा जिम्मी अब दुनिया में नहीं था। डेविड और पीटर उसकी दौलत के वारिस बन चुके थे। सभी पाँच-पाँच करोड़ के मालिक। लेकिन वो नहीं जानते थे उनकी इस ख़ुशी को जिम्मी की निगाहें देख रही थी। उसकी रूह तड़प रही थी अपना बदला पूरा करने के लिए।

क्या जिम्मी अपने पे हुए अत्याचार का बदला ले पाया? उसने ये बदला कैसे लिया।

हत्यारे बाल के अन्दर दो मुख्य कहानी चलती हैं। सैम और जिम्मी की। कहानी बढ़िया है और मुझे पसंद आई। कहानी में भवनात्मक पहलू भी है जो कि कहानी से पाठक को जोड़ते हैं। विशेषकर जिम्मी और उसकी माँ के बीच के संवाद बहुत अच्छे लिखे गए हैं। वो मुझे पसंद आए। कहानी का अंत भी दिल को छू देने वाला था।

कहानी एक तरफ बदले की है जो दर्शाती है कि बुरे काम का बुरा नतीजा होता है। जिम्मी की आत्मा से आप सहानुभूति रखते हैं। इसका एक कारण ये भी है कि वो बदला तो ले रहा है लेकिन इस दौरान जिनको मारता है उनकी मौत का उसे दुःख भी होता है। उसे इसमें कुछ मजा नहीं आ रहा है। बस वो सजा देने का काम कर रहा है। ये बात मुझे पसंद आई।

वहीं दूसरी तरफ सैम की कहानी है। उसका किरदार ज्यादातर अच्छा है। वो दयालु भी है और दिल का सच्चा भी है। पूरे कॉमिक में वो पश्चताप की अग्नि में झुलसता हुआ दिखाई देता है इसलिए कॉमिक में जो काम वो बाल पाने के लिए करता है वो मुझे इतना नहीं जँचा। शायद अच्छे से अच्छा इनसान भी कभी न कभी स्वार्थ के चलते बुरा कर देता है। यही लेखक शायद दर्शाना चाहता होगा लेकिन मुझे बात कुछ जमी नहीं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सैम की ज़िन्दगी में जो बुरा घटा वो एक छोटे से अपराध के कारण हुआ था। अब वही आदमी जो इसी के लिए पश्चताप कर रहा है दूसरा अपराध करेगा ये बात मेरे गले से नीचे नहीं उतरती है। ये मुझे कहानी का कमजोर बिंदु लगा। और ये एक ऐसा बिंदु भी है जो पूरी कहानी का रुख बदल देता है तो मुझे लगता है इसमें ज्यादा मेहनत होनी चाहिए थी क्योंकि उससे इसमें सुधार हो सकता था।

कॉमिक के आर्टवर्क की बात करूँ तो आर्टवर्क और कलर स्कीम मुझे पसंद आई। विशेषकर लाश के टुकड़े पड़ने के बाद तो इसका आर्टवर्क काफी अच्छा लगता है।

अगर कॉमिक को आपने नहीं पढ़ा है तो एक बार पढ़िएगा।


अगर आपने भी इन कॉमिक्स को पढ़ा है तो आपको ये कैसे लगे? अपने विचारों से मुझे कमेंट्स के माध्यम से जरूर बताइयेगा।

अगर आप इन कॉमिक्स को मंगवाना चाहते हैं तो ये कॉमिक्स आपको राज कॉमिक्स की साईट पे मिल जाएँगी। इनके लिंक निम्न हैं:
लाश के टुकड़े- राज कॉमिक्स लिंक
हत्यारे बाल - राज कॉमिक्स लिंक


इस ब्लॉग में मैं कॉमिक्स के विषय में भी अक्सर लिखता रहता हूँ। आप उनके विषय में निम्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
कॉमिक्स
मैं अक्सर राज की थ्रिल हॉरर सस्पेंस श्रृंखला के कॉमिक्स पढ़ता रहता हूँ। उनके विषय में मेरी राय आप निम्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं:
थ्रिल हॉरर सस्पेंस
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