आज का उद्धरण
सन्देह यों ही एक ऐसा सर्प होता है जिसका फन हो या न हो, नज़र पड़ते ही सारे शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। जब तक सामने रहता है तब तक किसी भी तरह मन से अलग नहीं किया जा सकता।
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संदेह से परे फिर कुछ नहीं होता..सत्य कथन..।
ReplyDeleteजी आभार..
Deleteचार आंँखों का खेल आपकी आंँखों से देखा । आकर्षक लगा ।
ReplyDeleteजी आभार....
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