नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

समीक्षा: विराट 7

संस्करण विवरण:
फॉर्मेट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या:44 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | श्रृंखला: विराट #7 | कहानी: कमलेश्वर | कॉमिक रूपान्तर: हनीफ अजहर |  चित्रांकन: कदम स्टूडियो

समीक्षा: विराट 7 | राज कॉमिक्स | हनीफ अजहर

कहानी:

कालभैरव के गुरु प्रचंडदेव की माया से उठे तूफ़ान ने विराट और  नटवर को दो अलग अलग दिशाओं में उछाल कर फेंक दिया था। 

विराट का अभी तक पता नहीं था लेकिन परिस्थितियाँ ऐसी हुई कि नटवर को कालभैरव ने कैद कर दिया। अब कालभैरव और उसके गुरु प्रचंडदेव को विराट की तलाश थी। 

उन्होंने उसे ठिकाने लगाने की योजना बना ली थी। 

आखिर नटवर कालभैरव की गिरफ्त में कैसे आया? क्या नटवर कालभैरव की कैद से छूट पाया?

क्या कालभैरव और प्रचंडदेव विराट को ढूँढ सके? उन्होंने उसके लिए क्या योजना बना रखी थी?

ऐसे ही कई प्रश्नों के उत्तर आपको इस कॉमिक बुक में पढ़ने को मिलेंगे।

मेरे विचार:

विराट 7 जैसे नाम से ही जाहिर है विराट श्रृंखला का सातवाँ कॉमिक बुक है। विराट के ऊपर जब न्याय प्रमुख सत्यप्रिय ने अपनी बेटी यशोधरा के अपहरण का इल्जाम लगाया तो विराट ने यह प्रतिज्ञा ली कि वह तेरह दिनों में यशोधरा को खोजकर अपने आप को बेगुनाह साबित कर देगा। उसकी इसी प्रतिज्ञा के साथ शुरू हुआ एक ऐसा खतरनाक सफर जिसमें उसका मित्र नटवर भी हर खतरे का सामना कंधे से कंधा मिलाकर कर रहा था। 

विराट 7 की कहानी भी इसी सफर की है। विराट 5 में मायावी आंधी की चपेट में विराट और नटवर दोनों ही आ चुके थे। जहाँ विराट 6 में यह बताया गया था कि इस आंधी की चपेट में आने के पश्चात विराट के साथ क्या हुआ था वहीं प्रस्तुत कॉमिक विराट 7 में यह बताया गया है कि आँधी में नटवर का क्या हुआ? 

कहानी की शुरूआत में संक्षेप में विराट और नटवर के बिछड़ने की कथा बताने के साथ ही नटवर की हाल की स्थिति का विवरण दिया जाता है। बीच में इस श्रृंखला की अब तक की कहानी भी अतिसंक्षेप में बताई जाती है। ऐसे में जो इसे सीधे पढ़ रहे हैं कम से उनके लिए कहानी ऐसी नहीं होती है कि उन्हें कुछ पता ही न हो। हाँ, कॉमिक्स का पूरा लुत्फ़ लेना हो तो मैं यही कहूँगा कि शुरू से पढ़ें।


प्रस्तुत कॉमिक में हमें काफी बातें पता चलती हैं। नटवर और राजवैद्य की पुत्री पल्लवी के बीच प्रेम का पुष्प भी पल्लवित हो चुका यह इस कॉमिक में पता चलता है। वहीं कॉमिक में ऐसा कुछ होता है कि नटवर कैद कर लिया जाता है जहाँ नटवर को एक और राज पता चलता है जिससे उनके समक्ष कालभैरव के एक और षड्यंत्र के ऊपर से पर्दा उठ जाता है। 

साथ ही साथ दुर्जन जो पहले कालभैरव का वफादार था और जिसका मन अब संशय में था वह भी अपने निर्णय को पक्का कर एक पाला चुन लेता है। 

नटवर को कैसे छुड़ाया जाता है और हमारे नायकों की टोली को अपने उद्देश्य की सफलता के लिए किन किन मुसीबतों से जूझना पड़ता है यह कॉमिक बुक में देखना रोचक रहता है। उनकी कुछ योजनायें सफल तो कुछ असफल भी होती हैं जो कि आगे की कहानी के लिए भूमिका का काम करती हैं।

कहा जाता है कि एक से भले दो और दो से भले तीन। अब आगे की कॉमिक में यही देखना है कि यह कहावत कितनी चरितार्थ होती है। 

कहानी में चतुरा नाम की दासी की एक बार और एंट्री हुई है। वह जब आती है नायकों के लिए मुसीबत लेकर आती है। उसे देखकर यही सोच रहा था कि आज का जीवन कितना सरल है? आज चतुरा जैसे किरदारों से हमें केवल दफ्तर में ही सचेत रहना पड़ता है और वहाँ भी जान पर न बन आती है। लेकिन उस वक्त तो ऐसे किरदारों से बचकर रहने में ही भलाई होती रही होगी। आदमी हर किसी को शक की निगाहों से देखता होगा क्योंकि क्या पता कौन कैसा निकल जाये? फिर ऐसे माहोल में दास दासी अगर ताकतवर व्यक्ति के नजदीक हो तो उनके पास कितनी ताकत रहती थी यह देखना भी रोचक है। चतुरा चाहे तो फिलहाल किसी की भी ऐसी तैसी रखने का सामर्थ्य रखती है।


आजकल ऐसी व्यस्था सरकारी दफ्तरों में अक्सर देखी जाती है। चपरासी जी चाहें तो किसी की भी गोट अफसर से फिक्स कर काम करवा सकते हैं और किसी का भी काम अटका सकते हैं। कभी कभी सोचता हूँ कि क्या कुछ बदलता है? ताकत के आस पास का जो सामाजिक ढाँचा होता है वह शायद एक जैसा ही रहता है। आपका क्या विचार है?

कहानी की कमियों की बात करूँ तो एक दो चीजें थीं जो मुझे खटकी। अगर मैं किसी को कैद करूँगा तो क्या उसके पास कोई पंछी छोडूँगा? शायद नहीं। लेकिन इधर कहानी बढ़ाने के लिए ऐसा किया गया है जिसे देखकर लगता है उधर कुछ बेहतर सोचा जा सकता था। दूसरी बात जिस जगह का पता माया द्वारा छुपाया गया है उस जगह से पंछी निकलने के कैसे कामयाब हुआ यह बात भी सोचनीय है। लगता नहीं है कि कोई अनुभवी तांत्रिक इतनी छोटी बात पर ध्यान नहीं देगा।

कहानी में एक और बात खटकी। कालभैरव कॉमिक में तीन लोगों को देखते ही जान से मारने का आदेश देता है। इसमें दो व्यक्तियों का तो समझ आता है क्योंकि दो को तो उसने कैद किया था लेकिन तीसरे के विषय में उसका ये आदेश समझ नहीं आता है। क्योंकि उस वक्त तक उसे यह नहीं पता था कि वह भी शामिल होगा। तो तीसरे के विषय में वो आदेश दिया जाना मुझे खटका था। मुझे मालूम है यहाँ नाम मैं नहीं दे रहा हूँ लेकिन अगर आपने कॉमिक पढ़ी है तो आप समझ जायेंगे। पढ़ी नहीं है तो फिर पढ़िए। अभी के लिए तो इतना समझिये कि आदेश उनके लिए दिया जाना चाहिए था जिस पर शक हो। अगर शक हो गया है तो वह क्यों हुआ है यह दिखलाया जाना चाहिए था कि नहीं दिखलाया जाता है। उस वक्त तक उस शक का कोई आधार नहीं था। 

एक और चीज पढ़ते हुए मेरे मन में आयी थी। कहानी पर उसका फर्क नहीं पड़ता है लेकिन मुझे लगा तो लिख रहा हूँ। इस श्रृंखला के शीर्षक काफी साधारण हैं। विराट के साथ संख्या जोड़कर काम का निपटारा किया गया है। मुझे लगता है हर एक भाग को ऐसा नाम दिया जाता जो उस कॉमिक की कहानी दर्शाए तो अच्छा होता। 

अगर आर्टवर्क की बात करूँ तो इस कॉमिक में भी पहले कॉमिक के भाँति जो आर्टवर्क किया गया है वह उम्दा है। कदम स्टूडियो का काम कमाल का है। हर किरदार की शक्ल से पहचाना जा सकता है कि धारावाहिक में किस व्यक्ति ने उसे निभाया था। यह एक बारीक काम है जिसे करने में वाकई मेहनत लगी होगी और जिसे इतनी अच्छी तरह से करने के लिए वो तारीफ़ के हकदार हैं। हाँ, मैं इस स्टूडियो का ऐसा काम भी पढ़ना चाहूँगा जिसमें किरदार आधुनिक युग के हों और कॉमिक धारावाहिक पर आधारित न हो। वह देखने के रोचक रहेगा। अगर आपको किसी कॉमिक्स या सीरीज का नाम पता है तो मुझे बताइयेगा। 

अंत में यही कहूँगा कि विराट की अन्य कॉमिक बुक्स की तरह विराट 7 ने मेरा पूरा मनोरंजन किया है और मैं इससे पूरी तरह संतुष्ट हूँ। इसका नाम विराट 7 जरूर है लेकिन कहानी नटवर पर ज्यादा फोकस रखती है। विराट कॉमिक्स के आखिरी आठ पृष्ठों में आता है। विराट का यह कॉमिक जहाँ पिछले भाग से कहानी को बहुत ही अच्छी तरह से आगे बढ़ाता है वहीं दूसरी तरफ अगले भाग के प्रति उत्सुकता जगाने में कामयाब होता है। कसे हुए कथानक के साथ यह आपका भरपूर मनोरंजन करती है। यही इसकी सफलता है। 

अगर आपने यह श्रृंखला नहीं पढ़ी है तो अब तक के भाग पढ़कर मैं यही कहूँगा कि इसे एक बार अवश्य पढ़िएगा।

पाठकों के लिए सवाल

क्या आप भी कॉमिक बुक श्रृंखलाएँ पढ़ना पसंद करते हैं? अपनी पसंदीदा श्रृंखला का नाम मुझे कमेन्ट कर बताने की कृपा कीजियेगा?

आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी।

यह भी पढ़ें:


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल