नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

अनुराग कुमार 'जीनियस'


अनुराग कुमार 'जीनियस'

अनुराग कुमार 'जीनियस' जी उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर देहात की तहसील डेरापुर के अंतर्गत आने वाले एक छोटे से गाँव महोई (पुराना नाम महुआ) में रहते हैं। 

उनकी शुरुआती शिक्षा गाँव में ही हुई। इसके पश्चात श्री गांधी विद्यालय इंटर कॉलेज झींझक से उन्होंने हाईस्कूल किया। श्री राम रतन इंटर कॉलेज से उन्होंने इंटर (बारहवीं) किया। ग्रेजुएशन की पढ़ाई झींझक के श्री गौरी शंकर महाविद्यालय,जो छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर से संबंधित है,  से उन्होंने किया। फिलहाल वह एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं।

अपने नाम के आगे लगाये जीनियस के विषय में जब उनसे पूछा गया तो एक बुक जर्नल को दिये साक्षात्कार में उन्होंने कहा:

अपने नाम के साथ मैं जीनियस क्यों लिखता हूँ! इसके दो मुख्य कारण है। पहला कारण तो यह है कि  मैं जिस क्षेत्र से आता  हूँ वहाँ आज भी जात पात छुआछूत (हालाँकि अब पहले से थोड़ा बहुत कम हुआ है। पर लोगों में जितनी जागरूकता आनी चाहिए उतनी अभी भी नहीं आई है) का माहौल है। लोग एक दूसरे में भेदभाव करते हैं। मुझे यह कभी पसंद नहीं आया। मेरी बोलचाल, उठना बैठना उन सभी लोगों से होता था जो मेरी विचारधारा के हैं। वे सभी वर्गों से आते हैं। पर कई लोगों को यह पसंद नहीं था। आज भी नहीं है। लोग आकर मुझसे कहते थे कि तुम पंडित हो तुम्हें यह शोभा नहीं देता। वे ऐसे कहते जैसे मैंने कोई अपराध किया हो। मुझे ऐसी बातों से चिढ़ होने लगी और मैंने अपने नाम के आगे लिखे चतुर्वेदी (पहले मैं अनुराग कुमार चतुर्वेदी लिखता था) को हटा दिया। मैं अपना पूरा नाम ही बदलना चाहता था। उस समय मैं उपन्यास बहुत पढ़ता था और चाहता था कि उन उपन्यासकारों के जैसा ही मेरा कोई नाम हो। इसीलिए मैंने  समीर का नॉवेल जब पढ़ा तो अपना नाम झील रख लिया था। झील नाम से मैंने कई कहानियाँ दिल्ली प्रेस पत्र समूह में भेजी थी। हालाँकि  इस नाम से कोई कहानी छपी नहीं। मैं भी इस नाम से संतुष्ट नहीं था। एक दिन मैंने पढ़ते वक्त जीनियस शब्द देखा जो मुझे रोचक लगा और मैंने अपने नाम के आगे झील की जगह जीनियस जोड़ दिया।



अनुराग  कहानियाँ और उपन्यास दोनों ही लिखते रहे हैं। उनकी पहली रचना एक उपन्यास था जिसका नाम बदला था जो कभी पूरा नहीं हुआ। वहीं घड़ी चोर उनकी वह प्रथम रचना थी जो चंपक पत्रिका में सन 2007 में छपी थी।

आप अनुराग जी ईमेल के माध्यम से सम्पर्क कर सकते हैं। उनका ईमेल पता है:
anuragkumargenius77@gmail.com


उनकी मुख्य कृतियाँ निम्न हैं

कहानियाँ 


  1. घड़ी चोर,सही राह (चम्पक 2007 नवम्बर के प्रथम और द्वीतीय अंक में प्रकाशित) 
  2. सुनील की बुद्धिमानी (चम्पक 2009 नवम्बर में प्रकाशित)
  3. संस्कार (सरस सलिल में 2008 में प्रकाशित ) 
  4. विशवासघात (सरस सलिल 2008 में प्रकाशित)
  5. डिटेक्टिव मोहिनी (अमेज़न)
  6. प्लैटफॉर्म पर कत्ल (अमेज़न)
  7. अनोखी चोरी (अमेज़न)

उपन्यास 


  1. एक लाश का चक्कर (अमेज़न)
  2. एक्सीडेंट एक रहस्यकथा (अमेज़न)
  3. किस्मत का खेल  (अमेज़न)
  4. आई लव हेट स्टोरी (अमेज़न)
  5. मुर्दे की जान खतरे में (अमेज़न)

(रचनाओं के नाम पर क्लिक कर एक बुक जर्नल पर मौजूद उन पर लिखी टिप्पणी पढ़ी जा सकती है।)




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