नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

प्रतियोगिता #1

स्रोत :  पिक्साबे

'जो दिखता है वो बिकता है' यह कथन हमेशा से ही प्रासंगिक रहा है। आज के समय में जब हम लोग सूचनाओं के सैलाब से घिरे हुए हैं तो ऐसे में यह कथन और भी ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है। हर कोई नजर में आना चाहता है लेकिन ऐसा सभी के लिए मुमकिन नहीं हो पाता है। ऐसे में कई ऐसी चीजों से व्यक्ति उस वक्त महरूम हो जाता है जब उसे उनकी तलाश थी।

यहाँ एक बुक जर्नल में भी हमारा मानना है कि कई बार जो दिखता है वो बिकता जरूर है लेकिन जरूरी नहीं कि केवल वही अच्छा  हो। कई बार कई अच्छी चीजें कम दिखती हैं और इस कारण उनकी पहुँच कुछ सीमित लोगों तक रह जाती है। 

किताबों के मामले में तो कई बार मेरे देखने में आया है कि ऐसी कई किताबें होती हैं जो कि अचानक ही आपसे टकरा जाती हैं। जब आप उन्हें पढ़कर खत्म करते हैं तो आपके मन में सबसे पहला ख्याल यही आता है कि: 

क्यों ये किताब आपको पहले न मिली?

क्यों इस किताब के विषय में लोग बातें नहीं करते हैं?

क्यों ये किताब इतनी अंडररेटड हैं?

ये किताबें न किसी बेस्ट सेलर लिस्ट का हिस्सा बनती हैं और न ही कभी कोई लेख ही इन पर देखने को मिलता है। लेकिन फिर भी जब यह किताब आपकी ज़िंदगी में दाखिल होती हैं तो कई चर्चित किताबो को किनारे कर आपके मन के कोने में एक जगह बना देती हैं।

आप शायद इनके विषय में कइयों को बताते भी हैं लेकिन ज्यादातर पाठक इनकी जानकारी खुद तक ही महफूज रख देते हैं और यह किताब फिर इसी इंतजार में रह जाती हैं कि कोई पाठक आएगा और आकर उनके सफ़हे पलटेगा और फिर सोचेगा : 

क्यों ये किताब मेरी ज़िंदगी में पहले नहीं आई?

क्यों लोग इस किताब के विषय में ज्यादा बात नहीं कर रहे हैं?

क्यों अब जाकर मुझे इसके विषय में पता चल रहा है?

तो दोस्तों 'एक बुक जर्नल' की यह पहली प्रतियोगिता ऐसी ही अंडररेटड किताबों को उभारने की एक मुहिम है। हमारा प्रयास है की ऐसी ही भीड़ में खोई हुई किताबों को एक विस्तृत पाठकवर्ग के समक्ष लाया जाए। और इस काम में हमें आपकी मदद की जरूत है।

आपसे हमें एक लेख की दरकार है। एक लेख जिसमें मौजूद हो ऐसी ही पाँच अंडररेटड किताबों की दास्तान। आप हमें ऐसी पाँच किताबों के विषय में लिख भेजिए जो कि आपकी नजर में अंडररेटड हैं। ऐसी किताबें जिनके विषय में आपको लगता है कि यह उतनी नहीं दिखती जितनी की दिखनी चाहिए। जिनके विषय में आपको लगता हो कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इनके विषय में जानना चाहिए था। ऐसी ही किताबों के ऊपर हमें आपसे लेख चाहिए जिसमें निम्न बातें दर्ज हों:

वह किताबें कौन सी हैं ?

वह किताबें पकी ज़िंदगी में कैसे आई? हम किताब की आपकी ज़िंदगी में आने की कहानी भी सुनना चाहेंगे।

और इन किताबों में ऐसा क्या था कि यह आपके मन के कोने में एक अपनी जगह बनाने में सफल हुई? 

यह किताबें किसी भी भाषा में लिखी हो सकती हैं लेकिन अगर उनका हिन्दी या अंग्रेजी अनुवाद मौजूद हो  तो बेहतर होगा। 

लेख की भाषा:

'एक बुक जर्नल' के ज्यादातर पाठक हिन्दी या अंग्रेजी भाषी हैं। इसलिए लेख आप हिन्दी या अंग्रेजी में से अपनी पसंद की किसी भी भाषा में लिख कर भेज सकते हैं। लेख के साथ अपना नाम और अपना संक्षिप्त परिचय लिखना न भूलिएगा।

शब्द सीमा:

लेख की शब्द-सीमा निर्धारित नहीं की गई है लेकिन चूँकि इंटरनेट में ज्यादा लंबे लोग नहीं पढ़ते हैं और ज्यादा छोटे लेख इन किताबों के साथ न्याय नहीं पाएंगे तो लेख 700-1500 शब्द के बीच में ही हो।

पुरस्कार:
सबसे बेहतरीन तीन लेखों को हमारी और से 500 रुपये मूल्य तक का गिफ्ट वाउचर उपहार स्वरूप दिया जाएगा।


आपके लेखों का हमें इंतजार रहेगा। लेख प्राप्त होते ही उन्हे एक बुक जर्नल पर भी प्रकाशित किया जाएगा।


लेख भेजने की अंतिम तारीक 30 सितंबर 2020 है।


अपने लेख आप हमें निम्न ई-मेल आई डी पर मेल कर सकते हैं:

contactekbookjournal@gmail.com

आपका मेल मिलते ही हम लेख मिलने की पुष्टि मेल का जवाब देकर करेंगे। अगर एक दिन के भीतर जवाब नहीं आता है तो आप हमसे हमारे फेसबुक पृष्ठ द्वारा सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। 

हमारे फेसबुक पृष्ठ का लिंक निम्न है:

एक बुक जर्नल 

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4 Comments
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  1. बहुत अच्छा आमन्त्रण है. बहुपठित व बहुचर्चित पुस्तकों की चर्चा पुनः-पुनः होती है, इस प्रवृत्ति के चलते बहुतेरी अच्छी किताबों की चर्चा नही हो पाती तो अनेक उत्सुक पाठक अन्त्य अच्छी पुस्तकों के बारे में नही जान पाते. इस प्रतियोगिता में जितने लोग शामिल होंगे, उससे पाँच गुनी अल्पचर्चित किताबों पर चर्चा होगी.

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    1. जी, आभार। आपके लेख का इन्तजार रहेगा।

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  2. अच्छी पहल है। क्या पाँच किताबों के बारे में 700 से 1,500 शब्दों में लिखना है?

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    1. जी, पूरा लेख 700-1500 के शब्दों का होना चाहिए यानी पाँचों किताबों के विषय में आपको इन्हीं 700-1500 शब्दों के भीतर लिखना है।

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