tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post8959027391626161480..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: रूहों का शिकंजाविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-27785553237055958822019-12-23T07:41:01.192+05:302019-12-23T07:41:01.192+05:30वाह!! फिर तो उसे एक बार जरूर पढ़ना चाहूँगा। जल्द ही...वाह!! फिर तो उसे एक बार जरूर पढ़ना चाहूँगा। जल्द ही पढ़ता हूँ।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-57693662140447629242019-12-22T17:55:24.394+05:302019-12-22T17:55:24.394+05:30जी जितना मुझे पता है उस हिसाब से नागायण खत्म हो चु...जी जितना मुझे पता है उस हिसाब से नागायण खत्म हो चुका है केवल 9 भागो का ही है।अमनhttps://www.blogger.com/profile/09553676590729222753noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-15960630493132861152019-12-22T17:52:50.656+05:302019-12-22T17:52:50.656+05:30जी वो बिंदु मुझे खूबसूरत लगा। इसीलिए मैंने लेख में...जी वो बिंदु मुझे खूबसूरत लगा। इसीलिए मैंने लेख में विशेषकर अंत का जिक्र किया था। मूर्ती वाली बात स्पोइलेर हो सकती थी तो मैंने केवल अंत लिखकर ही अपनी बात रख दी। दुनिया में कई ऐसी चीजें हैं जिनकी हम व्याख्या नहीं कर सकते हैं। इसलिए सम्भावनाओं से इनकार नहीं कर सकते हैं। लेकिन ने उसी सम्भावना को दर्शाया है जो कि शायद एक तरह की उम्मीद जगाती है।इनसान इसी उम्मीद के सहारे तो जीता है।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-74216146618685069822019-12-22T12:41:07.300+05:302019-12-22T12:41:07.300+05:30काफी पहले पढ़ा था. रोचक कहानी है, लेकिन आखिरी दृश्...काफी पहले पढ़ा था. रोचक कहानी है, लेकिन आखिरी दृश्य में लेखक जबरन हमें आत्माओं के अस्तित्व पर विश्वास दिलाने की कोशिश करता है. मूर्ति का गिरना संयोग भी हो सकता था.. लेकिन... राजीव सिन्हाhttp://sahityavimarsh.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-53883350919188877812019-12-22T11:42:12.647+05:302019-12-22T11:42:12.647+05:30किरिगी का कहर बेहतरीन है। यह भी मैंने पढ़ा हुआ है। ...किरिगी का कहर बेहतरीन है। यह भी मैंने पढ़ा हुआ है। जल्द ही दुबारा पढूँगा। आत्माओं के ऊपर आपके विचारो से सहमत हूँ। कुछ व्यक्तिगत अनुभव भी ऐसे रहे हैं कि मानने का दिल करता है लेकिन अगर मानने लगो तो फिर रात में निकलना दूभर हो जाये। वैसे कई बार तो लगता है शहरों में आते जाते हमे आत्मा दिखेगी भी तो हमे पता कैसे चलेगा। गाँव या कस्बों में रहते थे तो कम से कम मालूम होता था कौन जीवित है या नहीं। इसलिए मृत व्यक्ति दिखे तो लग जाता था कुछ गड़बड़ है। शहरों में दिखे भी तो पता ही न होगा। हा हा हा। विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-44429877170004741722019-12-22T11:39:24.305+05:302019-12-22T11:39:24.305+05:30जी मैंने इन दोनों को ही पढ़ा है। उस वक्त इन्हें पढ़क...जी मैंने इन दोनों को ही पढ़ा है। उस वक्त इन्हें पढ़कर मुझे बहुत मजा आया था। मुझे याद है मैं उन दिनों अपने घर से दिल्ली सर्दियों की छुट्टियों में आया था और नानी के घर छत में धूप का आनन्द लेते हुए इस श्रृंखला को पढ़ा था। अद्भुत अनुभव था।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-61499863929305526232019-12-22T11:37:51.985+05:302019-12-22T11:37:51.985+05:30जी नागायण पढ़ने की मेरी भी इच्छा है लेकिन मुझे अभी ...जी नागायण पढ़ने की मेरी भी इच्छा है लेकिन मुझे अभी पक्का पता नही है कि वो श्रृंखला समाप्त हुई है या नहीं। राज कॉमिक्स की दिक्कत यह है कि श्रृंखला शुरू तो कर देते हैं लेकिन खत्म नहीं कर पाते। मुंबई में कॉमिक्स की दिक्कत तो है। मैं तीन साल(2012- 2015) मुंबई रहा था। उस वक्त राज कॉमिक्स के ऑनलाइन स्टोर से ही कॉमिक्स मँगवाता था। कभी कभी अमेज़न से भी मँगवा लेता था। वैसे चर्च गेट स्टेशन और वी टी स्टेशन पर मिल जाती थी कॉमिक्स भी।<br />हाँ, आत्माओं और भूतों के मामले में मेरा भी कुछ ऐसा ही है। बीच का।कभी कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि विश्वास हो जाता है और कभी सब मन का वहम लगता है।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-58254665242197846162019-12-22T10:42:12.662+05:302019-12-22T10:42:12.662+05:30किरगी का कहर, सुपर कमांडो ध्रुव और नागराज , प्रतिश...किरगी का कहर, सुपर कमांडो ध्रुव और नागराज , प्रतिशोध की ज्वाला यही नाम याद आ रहे हैं अभी..वैसे गुरप्रीत सिंह जी वाली बुक्स भी बेहद अच्छी हैं ।<br />आत्माओं के बारे में बहुत सुना और पढ़ा है । इस अवधारणा को मनौवैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर नकारने का मन करता है तो कभीकभार की देखी-सुनी घटनाओं पर मन मानता भी है ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-64194434342229092902019-12-21T22:21:59.636+05:302019-12-21T22:21:59.636+05:30बचपन से काॅमिक्स पढने की रूचि रही है। बहुत से काॅम...बचपन से काॅमिक्स पढने की रूचि रही है। बहुत से काॅमिक्स पढे हैं पर अब नाम से याद नहीं। <br />मैं दो काॅमिक्सों का अवश्य जिक्र करूंगा दोनों पार्ट हैं।<br />1. मैंने मारा ध्रुव को<br />2. हत्यारा कौन?<br /> दो पार्ट में लिखी गयी यह बहुत रोचक काॅमिक्स है।<br />धन्यवाद।<br />-गुरप्रीत सिंहSVN Libraryhttps://www.blogger.com/profile/04832636538076957762noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-50560373781912192642019-12-21T22:11:22.819+05:302019-12-21T22:11:22.819+05:30मैने राज कॉमिक्स के कुछ ही कॉमिक्स पढ़े है।
मैं मु...मैने राज कॉमिक्स के कुछ ही कॉमिक्स पढ़े है।<br /><br />मैं मुंबई मे रहता हूँ और यहा दुकानों मे राज कॉमिक्स अब लुप्त हो चुके है।<br /><br />बचपन मे तो दिख भी जाते थे, पर माता-पिता उन्हें पढ़ने नही देते थे।<br /><br />काफी ढूंढने पर मुझे एक सेकंड हैंड विक्रेता से कुछ कॉमिक्स मिली थी। <br /><br />उनमे 2 हॉरर सस्पेंस थ्रिलर श्रृंखला की थी।<br /><br />वही 2 नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव की खास श्रृंखला नागायण की थी।<br /><br />हॉरर सस्पेंस थ्रिलर श्रृंखला ठीक थी, वही नागायण पड़ना मेरे लिए मुश्किल हो गया था। <br /><br />पढ़ते समय मैं एक काफी सख्त नियम का प्लान करता हूँ, जो है कि कहानी कितनी भी बेकार क्यों न हो, उसे पूरा खत्म जरूर करना।<br /><br />नागायण ने मुझे मजबूर लगभग मजबूर कर दिया यह नियम तोड़ने के लिए।<br /><br />मेरी मुख्य परेशानी थी असंख्य संवाद।<br /><br />ऐसे मैने काफी तारीफ़ सुनी है नागायण शृंखला की,<br /><br />और शायद मेरा टेस्ट आपसे अलग है, एक बार पढ़कर देखिएगा।<br /><br />यह श्रृंखला स्टैंड एलोन है। इसमे नागराज और कमांडो ध्रुव के पूर्व के कॉमिक्स के कुछ रेफेरेंस है, पर उन्हें भी समझा दिया गया है।<br /><br />रही बात भूतों कि, तो इस मामले मे मैं बीच मे कही हूँ।<br />अमनhttps://www.blogger.com/profile/09553676590729222753noreply@blogger.com