tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post828053744395978348..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: एक हसीना थी - ओम प्रकाश शर्मा विकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-2538241326418242932019-03-02T15:15:18.623+05:302019-03-02T15:15:18.623+05:30जी मैंने विक्रांत का यह पहला उपन्यास पढ़ा था। उपन्य...जी मैंने विक्रांत का यह पहला उपन्यास पढ़ा था। उपन्यास मुझे भी पसंद आया इसलिए इसे औसत से थोडा अच्छा कहा है। इस उपन्यास को पढ़ने के बाद लेखक के दूसरे उपन्यास अगर मुझे मिलते तो शायद मैं उन्हें भी खरीद कर पढ़ता लेकिन अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-82731233141198484522019-03-02T01:27:23.454+05:302019-03-02T01:27:23.454+05:30मुझे तो पसंद आया ये नॉवेल बीच बीच में कई जगह धीमा ...मुझे तो पसंद आया ये नॉवेल बीच बीच में कई जगह धीमा हुआ कथानक का पेस पर ओवरऑल अन्य न पढ़े जा सकने वाले विक्रांत सीरीज के नोवेल्स से बेहतर है।AMIT WADHWANIhttps://www.blogger.com/profile/11271850733573286398noreply@blogger.com