tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post7605666680198284177..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: राजन इकबाल की वापसी (गोलियों का बाज़ार) - शुभानन्द विकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-87265091176023621082019-11-26T10:47:50.204+05:302019-11-26T10:47:50.204+05:30जी आपकी तरह मैंने भी बाल उपन्यास नहीं पढ़े थे। बाद ...जी आपकी तरह मैंने भी बाल उपन्यास नहीं पढ़े थे। बाद में राजा से कुछ लिए थे। लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-38203944081429918542019-11-25T13:59:42.667+05:302019-11-25T13:59:42.667+05:30अच्छी समीक्षा है |मैंने बचपन में बाल उपन्यास नही प...अच्छी समीक्षा है |मैंने बचपन में बाल उपन्यास नही पढ़े | राजन-इक़बाल के बारे में इस उपन्यास से पता चला था | लघु उपन्यास है मुझे भी पसंद आया था | Rakesh Vermahttps://www.blogger.com/profile/01680306647637591609noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-8353244561060392002017-12-30T09:22:51.210+05:302017-12-30T09:22:51.210+05:30शुक्रिया, अभिषेक भाई.... वैसे मैं इन्हें समीक्षा न...शुक्रिया, अभिषेक भाई.... वैसे मैं इन्हें समीक्षा नहीं कहता...ये तो एक साधारण पाठक के विचार हैं... आप ब्लॉग पर आये अच्छा लगा.. आते रहियेगा...विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-46647420378641386222017-12-29T19:26:21.861+05:302017-12-29T19:26:21.861+05:30बढ़िया समीक्षाबढ़िया समीक्षाAbhishek Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08726175590000091026noreply@blogger.com