tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post72642490745072444..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: कत्ल की आदत - जीतेन्द्र माथुरविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-51265745127009321062021-01-02T08:57:44.224+05:302021-01-02T08:57:44.224+05:30जी इंतजार रहेगा.....जी इंतजार रहेगा.....विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-957000591272182662021-01-02T08:12:36.631+05:302021-01-02T08:12:36.631+05:30बहुत-बहुत शुक्रिया । 2020 में एक नवीन सृजन आरंभ कि...बहुत-बहुत शुक्रिया । 2020 में एक नवीन सृजन आरंभ किया था पर बात कुछ बनी नहीं, अत: उसे बंद कर दिया । अब एक नये प्लॉट के साथ पुन: आरंभ करने के लिए रूपरेखा बना रहा हूँ ।जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-69996234125873566022021-01-01T20:12:59.223+05:302021-01-01T20:12:59.223+05:30जी सर..मैं बदलाव कर देता हूँ....आभार.... उम्मीद है...जी सर..मैं बदलाव कर देता हूँ....आभार.... उम्मीद है जल्द ही कुछ नया भी पढ़ने को मिलेगा....<br />विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-87514058064717689042021-01-01T13:35:59.681+05:302021-01-01T13:35:59.681+05:30आदरणीय विकास जी, अब यह उपन्यास न्यूज़हंट या डेलीहंट...आदरणीय विकास जी, अब यह उपन्यास न्यूज़हंट या डेलीहंट पर उपलब्ध नहीं है । अतः अपने लेख में से न्यूज़हंट का संदर्भ निकाल दें । अब यह (pothi.com के साथ-साथ) Amazon Kindle पर उपलब्ध है जिसका लिंक इस प्रकार है :<br />https://www.amazon.in/%E0%A5%98%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%A4-Murder-Mystery-ebook/dp/B0899QTWF1<br />मेरा आग्रह है कि इस लिंक को लेख में न्यूज़हंट की जगह सम्मिलित कर दें ।<br />हार्दिक आभार ।<br />जितेन्द्र माथुर<br />6305607336जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-12904596493008281222016-04-05T09:25:48.665+05:302016-04-05T09:25:48.665+05:30सर मैंने कहीं पढ़ा था कि 'truth doesn't nee...सर मैंने कहीं पढ़ा था कि 'truth doesn't need defending' लेकिन अफ़सोस ये बात फिक्शन पे लागू नहीं होती। अक्सर ऐसी घटनायें होती रहती हैं जिन्हें अगर कोई उपन्यास में लिखे तो पाठक कहेगा कि 'भला ऐसा भी कभी होता है' और अगर उन्ही घटनाओं के विषय में अखबार में पढ़ेगा तो कहेगा 'देखो कोई सोच सकता था ऐसा भी हो सकता है'। मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि ह्रदय से अत्यंत उदार और दयालु व्यक्ति भी कब क़त्ल करे इस संसार में कोई नहीं बता सकता। लेकिन ये इंसानी फितरत ही है कि जब तक उसके अनुभव में ये बात न हो तो जो बात थोडा लीक से हटकर होती है तो वो उसे संभव होती नहीं लगती।<br />क्या आप कुछ और लिख रहे हैं? आपके अगले उपन्यास का इन्तजार रहेगा। <br />धन्यवाद ब्लॉग में अपनी राय देने के लिये।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-18467565026765401842016-04-04T14:00:51.598+05:302016-04-04T14:00:51.598+05:30हार्दिक आभार विकास जी जो आपने मेरे उपन्यास को पढ़ा ...हार्दिक आभार विकास जी जो आपने मेरे उपन्यास को पढ़ा और उसे समीक्षा के योग्य पाया । आपकी वस्तुपरक समीक्षा से मैं प्रभावित भी हूँ और सहमत भी । उपन्यास में विभिन्न हत्याओं के मध्य रोमांच की कमी निस्संदेह ही है और क़त्ल का उद्देश्य अधिकांश पाठकों को दुर्बल ही लगेगा । वास्तविक हत्यारे का अंत में कानून की गिरफ़्त में न आना भी अधिसंख्य पाठकों को स्वीकार्य नहीं हो सकता । मैंने हत्यारे के चरित्र को एक हाड़-मांस के बने वास्तविक संसार के व्यक्ति की अपनी परिकल्पना के आधार पर गढ़ा है और मेरी दृष्टि में ऐसे लोग होते हैं जो कि हृदय से अत्यंत उदार, उदात्त एवं संवेदनशील होते हुए भी हत्या जैसा अपराध कर बैठते हैं । जैसे अनुभव मुझे हुए थे, वैसे ही पाठकों को भी हुए हों, यह आवश्यक नहीं । जैसे लोग मैंने अपने जीवन में देखे, वैसे ही पाठकों ने भी देखे हों, यह भी आवश्यक नहीं । किन्तु आपकी समीक्षा निश्चय ही सराहनीय है । बहुत-बहुत आभार और साधुवाद । जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.com