tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post390958808511812986..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: आज का उद्धरणविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-42055700341623925102021-03-27T18:36:59.360+05:302021-03-27T18:36:59.360+05:30*2015 नहीं 2013 से पढ़ना शुरू किया था.....*2015 नहीं 2013 से पढ़ना शुरू किया था.....विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-35546162377730552882021-03-27T18:36:11.558+05:302021-03-27T18:36:11.558+05:30जी लेकिन मुझे लगता है सुरेन्द्र मोहन पाठक ने खुद प...जी लेकिन मुझे लगता है सुरेन्द्र मोहन पाठक ने खुद पर निरंतर बदलाव किया है। अगर वो ऐसे न करते तो अब तक अपने समाकालीन लेखकों के समान भुला दिए जाते। वहीं उनके लेखन के साथ नये वर्ग के लोग आज भी जुड़ते हैं। उदाहरण के लिए मैंने पाठक जी को 2015 के बाद पढ़ना शुरू किया। उससे पहले नहीं पढ़ता था। हाँ, मुझे लगता है उन्हें अब अपराध साहित्य से इतर भी कुछ लिखना चाहिए।<br /><br />उनका यह लेख मुझे रोचक लगा था जो कि यह दर्शाता है कि वह व्यंग्य भी अच्छे लिख सकते हैं।<br /><br /><a href="https://www.jankipul.com/2021/01/a-write-up-by-surendra-mohan-pathak.html" rel="nofollow">सरकारी नौकरी उर्फ़ एटर्नल रेस्ट: सुरेन्द्र मोहन पाठक</a>विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-36686266755772256362021-03-27T08:05:22.330+05:302021-03-27T08:05:22.330+05:30हिंदी के अमर नाटककार मोहन राकेश जी का यह कथन अक्षर...हिंदी के अमर नाटककार मोहन राकेश जी का यह कथन अक्षरशः सत्य है । इसीलिए सुरेन्द्र मोहन पाठक स्वयं को लेखन का व्यवसायी कहते हैं । जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.com