tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post3106156485805369986..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: वहशी - सुरेन्द्र मोहन पाठकविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-9184236294981195052016-04-05T09:15:12.335+05:302016-04-05T09:15:12.335+05:30जीतेन्द्र सर मैं mouthshut में आपकी समीक्षा पढता र...जीतेन्द्र सर मैं mouthshut में आपकी समीक्षा पढता रहता हूँ। मैं खुद को समीक्षा लिखने के काबिल तो नहीं समझता बस जो विचार आते हैं उन्हें ही इधर उकेर देता हूँ। आपकी टिपण्णी मुझे प्रोत्साहित करेगी। शुक्रिया।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-50212877289268766152016-04-04T14:04:50.162+05:302016-04-04T14:04:50.162+05:30बहुत अच्छी समीक्षा विकास जी । 'वहशी' मुकेश...बहुत अच्छी समीक्षा विकास जी । 'वहशी' मुकेश माथुर सीरीज़ का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है और सुरेन्द्र मोहन पाठक के श्रेष्ठ उपन्यासों में सम्मिलित होता है । यह उपन्यास लीगल थ्रिलर के शौकीनों के साथ-साथ वकीलों और कानून के रखवालों को भी पढ़ना चाहिए । मैंने स्वयं भी इस उपन्यास की समीक्षा अंग्रेज़ी में लिखी है । जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.com