tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post3045305175642304053..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: ऑनर किलिंग - वेद प्रकाश शर्माविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-80792660624625008652021-12-27T07:05:17.828+05:302021-12-27T07:05:17.828+05:30आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा रहेगी।आपकी टिप्पणी की प्रतीक्षा रहेगी।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-83730129924914915242021-12-25T11:05:19.293+05:302021-12-25T11:05:19.293+05:30'ऑनर किलिंग' उपन्यास मेरे पास लम्बे समय से...'ऑनर किलिंग' उपन्यास मेरे पास लम्बे समय से बिना पढे हुये रखा हुआ है।<br /> कुछ पृष्ठ पढे तो लगा नहीं की यह सम्पूर्ण वेद जी ने ही लिखा हो।<br /> उपन्यास पढने की कोशिश रहेगी।Sahitya Deshhttps://www.blogger.com/profile/00778279212944198512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-9925804818299123712019-07-20T06:25:39.907+05:302019-07-20T06:25:39.907+05:30मैं उपन्यास खरीद कर ही पढ़ता हूँ। लेखक का उपन्यास ब...मैं उपन्यास खरीद कर ही पढ़ता हूँ। लेखक का उपन्यास बिकेगा नहीं तो वो लिखेगा ही क्यों?? विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-82904071052153069292019-07-19T22:32:36.595+05:302019-07-19T22:32:36.595+05:30ऑनलाइन पढ़ सकते हैं क्याऑनलाइन पढ़ सकते हैं क्याDr. Rajkaranhttps://www.blogger.com/profile/11203822862354756333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-66806991910959781402019-03-23T09:01:59.178+05:302019-03-23T09:01:59.178+05:30जी उपन्यास की कमी जासूसी न होना नहीं थी। उपन्यास म...जी उपन्यास की कमी जासूसी न होना नहीं थी। उपन्यास में कुछ जगह अनावश्यक खिंचाव था जिस कारण गति की कमी आई। कई जगह ऐसी चीजें थी जिनका कोई तर्क नहीं था। उपन्यास के अंत का अंदाजा भी आसानी से हो जाता है क्योंकि वैसा अंत या वैसे किरदारों का अंत कई फिल्मों में दर्शाया गया है। मुझे लगा था कि कुछ नया होगा। उपन्यास का शीर्षक समाज में मौजूद एक कुप्रथा के ऊपर जरूर है लेकिन उपन्यास के आधे में यह चीज गौण हो जाती है। ऐसे में यह लगता है जैसे शीर्षक केवल उसको भुनाने के लिए रखा गया था जो मुझे ठीक नहीं लगा।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-75414034031829759582019-03-22T22:39:44.016+05:302019-03-22T22:39:44.016+05:30वेद प्रकाश के उपन्यासों में रोचकता और प्रवाह लाजवा...वेद प्रकाश के उपन्यासों में रोचकता और प्रवाह लाजवाब होता है । आभार उनके उपन्यास के इस परिचय के लिए । जासूसी उपन्यास होता तो शायद आपकी समीक्षा की रेटिंग बेहतर होती ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.com