tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post2707274976847260667..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: मून फ्रेंचाइज | राज कॉमिक्स | तरुण कुमार वाहीविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-59267302616517008872020-10-29T13:27:35.242+05:302020-10-29T13:27:35.242+05:30हाँ, ये टीनेज म्यूटेंट निन्जा टर्टल से ही प्रेरित ...हाँ, ये टीनेज म्यूटेंट निन्जा टर्टल से ही प्रेरित हैं। वाही जी का लेखन मुझे मिक्स्ड बैग लगता है। कुछ क्लिक कर जाते हैं और कुछ क्लिक नहीं कर पाते हैं।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-89746636376183272772020-10-29T12:43:57.750+05:302020-10-29T12:43:57.750+05:30वाही जी की कुछ एक छोटी-मोटी हॉरर कॉमिक पढ़ चुका हूँ...वाही जी की कुछ एक छोटी-मोटी हॉरर कॉमिक पढ़ चुका हूँ, जिनसे तो वह मुझे औसत ही लगे।<br /><br />TMNT की याद आ गई इनको देख कर।अमनhttps://www.blogger.com/profile/09553676590729222753noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-65284908788578722732020-10-29T09:00:19.708+05:302020-10-29T09:00:19.708+05:30जी धन्यवादजी धन्यवादविकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-1449551695584949452020-10-28T15:05:15.369+05:302020-10-28T15:05:15.369+05:30सार्थक पोस्ट।सार्थक पोस्ट।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-54458308090995956902020-10-28T12:37:24.948+05:302020-10-28T12:37:24.948+05:30जी फाइटर टोड्स के ये पहले कॉमिक बुक पढ़ने की कोशिश ...जी फाइटर टोड्स के ये पहले कॉमिक बुक पढ़ने की कोशिश रहेगी। वृहद कथानकों की बात से सहमत क्योंकि इतने किरदार है कि अच्छे खासे कथानक को इन्हें लेकर बुना जा सकता है। इस वृहद टिप्पणी के लिए आभार। विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-16983762898550396962020-10-28T10:45:59.272+05:302020-10-28T10:45:59.272+05:30अरे आपने कॉमिक्स को मेरी उपन्यास से ज्यादा रेटिंग ...अरे आपने कॉमिक्स को मेरी उपन्यास से ज्यादा रेटिंग दे दी पर कॉमिक्स मेरे प्रिय फाइटर टोड्स का है तो मुझे बुरा भी नहीं लगा. बल्कि बुरा ये लगा की आपने कॉमिक्स को 4 या 4.5 रेटिंग क्यों नहीं दी? फाइटर टोड्स को शुरुआती कॉमिक्स तो निश्चय ही 5 में 5 रेटिंग के हकदार हैं. चाहे वो उनका पहला कॉमिक्स 'फाइटर टोड्स' हो या 'चैम्पियन', 'जाली नोट', 'कबाड़नगर', 'करोड़पति' या 'रैपस्टार'. भोले-भाले लेकिन गजब के जांबाज ने कॉमिक्सों के स्वर्णकाल में सचमुच सभी का दिल जीत लिया था. बल्कि हास्य के मामले में राज कॉमिक्स के स्टार बांकेलाल को भी पीछे छोड़ दिया था. लोग बेसब्री के साथ फाइटर टोड्स की नई कॉमिक्सों की प्रतीक्षा करते थे. हास्य और एक्शन के धमाके से भरपूर फाइटर टोड्स के नये कारनामे का सभी को इंतजार रहता था. लेकिन बाद में आर्टवर्क चेंज होने पर लोगों का इंटरेस्ट कम होने लगा. पता नहीं क्यों आर्टवर्क चेंज किया गया. पुराने फाइटर टोड्स ही बहुत अच्छे लगते थे. लेकिन शायद 'नई दिल्ली' कॉमिक्स से फाइटर टोड्स फिर अपने पुराने रंग रूप में लौट आये. और ऐसा बाकायदा कॉमिक्स वालों द्वारा घोषणा करके किया गया. उसके बाद फिर फाइटर टोड्स के कई शानदार कॉमिक्स आये. लेकिन वो जम्बो साइज के कॉमिक्स 'फाइटर टोड्स', 'चैम्पियन' और 'जाली नोट' आज भी याद आते हैं, जिनकी कहानी भी बेहद शानदार थी और आर्टवर्क भी. फाइटर टोड्स में बहुत स्कोप है. जैसे अन्य मल्टीस्टारर कॉमिक्सों के 100 से ऊपर पृष्ठों वाले वृहद विशेषांक आते हैं, वैसे ही अच्छी कहानियों के साथ फाइटर टोड्स का भी सुपर-डुपर विशेषांक लाया जाना चाहिये. हम पहले ही हवलदार बहादुर को बहुत मिस कर रहे हैं. अब फाइटर टोड्स भी हमसे न छीने जाएँ.Brajesh Kumar Sharmahttps://www.blogger.com/profile/10375561358264601668noreply@blogger.com