tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post1561895206942641029..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: अनुपमा का प्रेम - शरतचन्द्र चट्टोपाध्यायविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-14367735911248509072020-11-24T11:01:48.990+05:302020-11-24T11:01:48.990+05:30जी आभार। शरत बाबू को पढ़ना सुखद रहता है। लेख आपको प...जी आभार। शरत बाबू को पढ़ना सुखद रहता है। लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा।<br />आभार।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-40255636282700886532020-11-24T09:37:23.089+05:302020-11-24T09:37:23.089+05:30आपने बहुत अच्छी समीक्षा प्रस्तुत की है विकास जी । ...आपने बहुत अच्छी समीक्षा प्रस्तुत की है विकास जी । मैं शरतचंद्र का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ । इस पुस्तक की तीन कहानियों में से 'देवघर की स्मृतियाँ' को छोड़कर शेष दोनों कहानियाँ मैंने (बहुत पहले) पढ़ी थीं और दोनों ने ही मेरे हृदय को जीत लिया था । शुक्रिया आपका पुरानी यादों को ताज़ा करने के लिए ।जितेन्द्र माथुरhttps://www.blogger.com/profile/15539997661147926371noreply@blogger.com