tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post108268711859878062..comments2024-03-27T04:25:14.049+05:30Comments on एक बुक जर्नल: मानसरोवर 1.1 - मुंशी प्रेमचंदविकास नैनवाल 'अंजान'http://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-80801693565812046322020-02-22T07:44:09.766+05:302020-02-22T07:44:09.766+05:30जी आभार। इस वर्ष प्रेमचन्द जी को पूरा पढ़ने का मन ह...जी आभार। इस वर्ष प्रेमचन्द जी को पूरा पढ़ने का मन है। उन सभी कृतियों के विषय में लिखूँगा। काफी कुछ सीखने और समझने को मिल रहा है। आभार।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6624276145362245599.post-78025650096424587942020-02-21T22:22:18.768+05:302020-02-21T22:22:18.768+05:30बेहद सुखद अनुभूति हुई मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियो...बेहद सुखद अनुभूति हुई मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियों की गहन और हृदयस्पर्शी समीक्षाएँ पढ़ कर । लगा ब्लॉग की पोस्ट नही हिन्दी साहित्य के किसी कक्षा कक्ष में बैठ कर व्याख्यान सुन रहे हो । <br /><br /><br />Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.com