नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

चाचा चौधरी और डायनासोर - प्राण | डायमंड कॉमिक्स

संस्करण विवरण

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 100 | प्रकाशक: डायमंड कॉमिक्स 



'चाचा चौधरी और डायनासोर' डायमंड कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित प्राण द्वारा रचित चाचा चौधरी की चित्रकथाओं का संकलन है। इस संकलन में उनकी सोलह चित्रकथाएँ संकलित हैं। यह चित्रकथाएँ 4 पृष्ठ से लेकर 11 पृष्ठ तक लंबी हैं। आइए पहले चित्रकथाओं के नाम जान लें। ये हैं:
  1. चाचा चौधरी और जैंगो (11 पृष्ठ) 
  2. चाचा चौधरी और डायनासोर (7 पृष्ठ)
  3. बीनी का मोटापा (5 पृष्ठ) अच्छी 
  4. जल कन्या (6 पृष्ठ)
  5. गाउस और उसका बेटा (6 पृष्ठ)
  6. साबू के ऑटोग्राफ (5 पृष्ठ)
  7. सरस्वती देवी का स्कूल (5 पृष्ठ)
  8. कार और स्टार (4 पृष्ठ) 
  9. साबू और मगरमच्छ (5 पृष्ठ)
  10. खतरनाक नॉक्स (8 पृष्ठ)
  11. बीनी के जेवर (11 पृष्ठ)
  12. कमांडो xx9 (4 पृष्ठ)
  13. गेंद (4 पृष्ठ)
  14. गोरखधंधा (6 पृष्ठ)
  15. दौड़ो (5 पृष्ठ)
  16. खोजबीन (4 पृष्ठ)

यह सभी चित्रकथाएँ बाल वर्ग के लिए लिखी हैं और इसलिए इनकी कहानी सीधी सादी ही है। इन कथाओं में चाचा और साबू कहीं पर लोगों की मुसीबत हल करते दिखते हैं तो कहीं गले पड़ गई मुसीबत से निपटते दिखते हैं। चाचा चौधरी की पत्नी बीनी हैं जिन्हें लगता है कि चाचा चौधरी किसी काम के नहीं हैं और अक्सर इस चित्रकथाओं में चाचा चौधरी को डाँटते हुए दिख जाती हैं। 'बीनी का मोटापा' में वो मुख्य किरदार हैं और यह चित्रकथा रोचक बन पड़ी है।एक दो चित्रकथाएँ बीनी के जेवर और गोरखधंधा में भी वो हैं जो कि रोचक है। बीनी और चाचा के बीच के  सीन मनोरंजक बन पड़े हैं। चाचा चौधरी अपने तेज दिमाग के लिए जाने जाते हैं। इस संग्रह में मौजूद कुछ चित्रकथाओं जैसे गेंद और सरस्वती देवी का स्कूल में इसकी झलक दिखती है जो कि अच्छा लगा। 

इसके अतिरिक्त बाकी की रचनाएँ भी पठनीय हैं। चूँकि यह छोटी हैं तो जल्द ही खत्म हो जाती हैं। कई जगह पढ़कर लगता है जैसे जानबूझकर इन्हें छोटा रखा गया है ताकि यह ज्यादा न खिंचे। उदाहरण के लिए खतरनाक नॉक्स में लेखक चाहते तो इसे एक अच्छी खासी कॉमिक बुक में बदल सकते थे जहाँ नॉक्स के कहर से चाचा चौधरी और साबू शहर को बचाते लेकिन उन्होंने रास्ते में ही बारूद से भरा ड्रम साबू को दिलवाकर कथानक को जल्द निपटा दिया। इसके अलावा चित्रकथाएँ ज्यादा सादी हैं या इसमें संयोग अधिक होता है। ऐसे में चाचा चौधरी को अपने कम्यूटर से तेज दिमाग को चलाने का कम ही मौका इधर मिलते दिखता है। अगर उनकी दिमागी कसरत और अधिक इधर होती तो बेहतर होता।

चित्रकथाओं का आर्टवर्क प्राण के टिपिकल स्टाइल में है। यह आर्टवर्क मुझे पसंद आता है तो मुझे अच्छा लगा। ,

अंत में यही कहूँगा कि अगर आपको हल्की फुलकी चित्रकथाएँ पढ़ने का शौक है तो आप इनका आनंद ले पाएँगे। मेरे लिए यह एक ठीक ठाक संकलन रहा।  पर अगर आप जटिल, घुमावदार कथानक पढ़ने के आदी हैं या ऐसे कथानक की अपेक्षा चित्रकथाओं से करते हैं तो इसे पढ़ते हुए शायद आपको वो आनंद न आये। 

अमेज़न में मौजूद चाचा चौधरी के कॉमिक बुक्स:

चाचा चौधरी - कॉमिक बुक्स


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