नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

नयन रहस्य - सत्यजित राय | मुक्ति गोस्वामी

संस्करण विवरण 

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 114 | प्रकाशक: रेमाधव प्रकाशन | शृंखला: फेलूदा 

पुस्तक लिंक: अमेज़न





कहानी 

सुनील तरफदार प्रदोष मित्र उर्फ फेलू का प्रशंसक था। वह एक जादूगर भी था जो अपने जादू के शो के लिए फेलू को आमंत्रित करने आया था।

फेलू तोपशे और जटायू के साथ शो में आए और वहाँ उन्हें उस चमत्कारी बालक ज्योतिष्क के विषय में पता चला। 

अब कई लोग ज्योतिष्क से मिलना चाहते थे और सुनील फेलू की मदद चाहता था।

फेलू को भी लगता था कि ज्योतिष्क खतरे में हो सकता है। उसके पीछे लोग पड़ सकते हैं।

आखिर ये कौन लोग थे जो ज्योतिष्क से मिलना चाहते थे?

ये क्यों ज्योतिष्क से मिलना चाहते थे? क्या सचमुच उसे कोई खतरा था?


किरदार 

प्रदोष मित्र उर्फ फेलूदा - एक जासूस 
तपेश रंजन मित्र उर्फ तोपशे - फेलू का छोटा भाई 
लाल मोहन गांगुली उर्फ जटायू - फेलू और टोपशे के मित्र और प्रसिद्ध रहस्य रोमांच कथा लेखक 
सुनील तरफदार - एक जादूगर
नयन सरकार उर्फ ज्योतिष्क - एक आठ नौ वर्ष का बालक जो सुनील के साथ जादू के शो में आता था
श्रीनाथ - फेलु के घर में काम करने वाला सहायक 
भगीरथ - सुनील का दरबान
शंकर हुबलीकर - सुनील का दोस्त और मैनेजर
हरिपद - जटायू के ड्राइवर
असीम सरकार - नयन के पिता
सैम केलरमैन - एक अमेरिकी इंप्रेसारियो 
नंदलाल बसाक - सैम का भारतीय साथी 
देवकीनंदन तिवारी - टी एच सिंडीकेट में पार्टनर 
हेनरी हजसन - एक जुआरी 
तारक नाथ ठाकुर - एक धनाढ्य व्यक्ति जो नयन को अपने पास रखना चाहता था
गोवांगी - युगांडा का एक नागरिक जो तारकनाथ के साथ रहता था
हिंगोरानी - टी एच सिंडीकेट में पार्टनर 


विचार 

'नयन रहस्य' सत्यजित राय द्वारा लिखित किशोर उपन्यास है। उपन्यास रेमाधव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है और उपन्यास का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद मुक्ति गोस्वामी द्वारा किया गया है। अनुवाद अच्छा किया गया है और पढ़ते हुए इस बात का अहसास नहीं होता कि आप एक अनुवाद पढ़ रहे हैं। 

अगर आप फेलू से परिचित नहीं हैं तो इतना बता दूँ कि प्रोदोष मित्तिर उर्फ फेलूदा सत्यजित राय का प्रसिद्ध किरदार है जिसे लेकर उन्होंने किशोरों के लिए कई कहानियाँ और लउपन्यास लिखे हैं। फेलू अपने छोटे भाई तोपशे और रोमांचक उपन्यासों के प्रसिद्ध लेखक लाल मोहन गांगुली उर्फ जटायु के साथ मिलकर उन मामलों को सुलझाते हैं जो कि लोग उनके पास लेकर आते है। बाद में इन मामलों को तोपशे लिखता है और पाठक उसी की नजर से इन्हें देखता है।   

प्रस्तुत उपन्यास भी एक ऐसे ही मामले की कथा को पाठकों के सामने रखता है। नयन रहस्य 14 छोटे छोटे अध्यायों में बँटी कहानी है जिसके शुरुआत में तोपशे बताता है कि कुछ समय से फेलू परेशान चल रहे हैं। इस दौरान जटायू भी उधर रहते हैं। परेशानी का कारण पाठक को पता चलता है और साथ ही नए मामले की बात भी पता चलती है। 

यह मामला है नयन और  जादूगर सुनील तरफदार का। जादूगर सुनील तरफदार द्वारा अपने शो में आमंत्रित करने के बाद यह तिकड़ी किस तरह ज्योतिष्क उर्फ नयन से तो परिचित होती ही है साथ ही चतुरलोभियों से भी होती है। ये चतुरलोभी कौन हैं? वह नयन को क्यों पाना चाहते हैं? और किस तरह फेलू इनसे नयन को बचाने की कोशिश करते हैं। फिर बचा पाते हैं भी या नहीं? यही सब इस उपन्यास का कथानक बनता है। स्वार्थ के चलते कैसे व्यक्ति सही गलत भी भूल जाता है यह इधर देखने को मिलता है। 

फेलू शृंखला के उपन्यासों में रहस्य रोमांच तो होता ही है साथ ही फेलू और उसके साथियों के मामलों के वजह से अलग अलग जगह की यात्रा भी पाठक करते हैं। प्रस्तुत उपन्यास का अधिकतर हिस्सा (यानी 14 में से 8 अध्याय) जहाँ  कलकत्ता में ही घटित होता हैं वहीं बाद के छह अध्याय दक्षिण भारत के मद्रास शहर में घटित होता हैं। जब किरदार मद्रास में स्नेक पार्क और महाबलीपुरम घूमने जाते हैं तो पाठक भी इस संस्मरण को पढ़कर उनके साथ इन जगहों पर घूम रहे होते हैं।  

अक्सर फेलूदा के कारनामों में रहस्य और रोमांच रहता है लेकिन प्रस्तुत उपन्यास में ऐसा नहीं है। उपन्यास पठनीय जरूर है लेकिन उपन्यास के शुरुआती हिस्से में रहस्य या रोमांच की कमी लगती है। इक्का दुक्का घटनाएँ जरूर होती हैं लेकिन वो कम हैं और आपको लगता है कि इन्हें अधिक होना चाहिए था। इसके बनिस्पत मद्रास में बसाया गया हिस्सा अधिक रहस्यमय और रोमांचक बन पड़ा है। यहाँ न केवल रहस्य ही खुलते हैं लेकिन कई दूसरे रोमांचक प्रसंग भी घटित होते हैं। कहानी के आखिर में एक ट्विस्ट भी लेखक द्वारा दिया गया है जो कि रोचक है। साथ ही यह भी रोचक है कि इस ट्विस्ट का पूर्वलक्षणा लेखक द्वारा पहले ही कर दी गई थी जो कि अधिकतर पाठक शायद भाँप नहीं पाएँगे। 

उपन्यास के किरदारों की बात करें तो फेलू, तोपशे और जटायू के बीच का समीकरण रोचक है। इसके अतिरिक्त चतुरलोभियों के भी किरदार रोचकता से गढ़े गए हैं। जटायू के चलते फेलू शृंखला के उपन्यासों में हास्य रहता है और यह उपन्यास भी उन तत्वों से अछूता नहीं है। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि राय साहब को जटायू को केंद्र में रखकर भी एक उपन्यास लिखना चाहिए था। एक अच्छा कॉमेडी ऑफ एरर्स  बन सकता था। कहानी में एक किरदार गोवांगी है जिसके चलते थोड़ा रोमांच बढ़ जाता है। उपन्यास में उसकी उपस्थिति थोड़ा कम है। थोड़ा भय और रोमांच अधिक पैदा करने के लिए इसके प्रयोग अधिक किया जा सकता था। 

अंत में यही कहूँगा कि नयन रहस्य एक बार पढ़ सकते हैं। इस शृंखला के अन्य रचनाओं की तुलना में इसमें रहस्य और रोमांच की थोड़ा कमी खली। जबकि इसमें किरदार इतने थे कि यह कमी नहीं होनी चाहिए थी। क्योंकि चतुरलोभियों के चलते ही कई रोमांचक प्रसंग उपन्यास में खड़े किये जा सकते थे। ऐसा होता तो उपन्यास एक रोलर कोस्टर राइड ही बन जाता है पर ऐसा नहीं हुआ। 

अगर फेलू शृंखला के उपन्यास आप पढ़ना शुरू कर रहे हैं तो मेरी राय यही रहेगी कि बाकी उपन्यासों को पहले पढ़िएगा। इसे बाद के लिए बचाकर रख सकते हैं। ऐसा नहीं है कि ये बुरा है। बस उतना रोमांचक और रहस्यमय नहीं बन पाया जितना कि इस कहानी के साथ बन सकता था। 


पुस्तक लिंक: अमेज़न 


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