नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

1411 | फेनिल कॉमिक्स | फेनिल शरेडीवाला और वीरेंद्र कुशवाहा | बजरंगी

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 40  |  प्रकाशक: फेनिल कॉमिक्स | शृंखला: बजरंगी #1 

टीम

लेखक:  वीरेंद्र कुशवाहा, फेनिल शेरडीवाला |  चित्रांकन: आनंद जाधव | रंग सज्जा: हरेन्द्र सिंह सैनी | शब्दांकन: दयाक सिंधी | मुख्य पृष्ठ: आनंद जाधव, योगेश पुगाँवकर | संपादन: फेनिल शेरडीवाला

कॉमिक बुक लिंक: फेनिल कॉमिक्स | फेनिल कॉमिक्स: सस्ता संस्करण 


1411 | फेनिल कॉमिक्स | फेनिल शरेडीवाला और वीरेंद्र कुशवाहा | बजरंगी

कहानी 

देवीपुर जिंदारी यौद्धाओं द्वारा बसाया गया गाँव था जहाँ जंगल के बीचों बीचों रहते जिंदारी यौद्धाओं के वंशज अपना जीवन बिता रहे थे।

पर इन दिनों देवीपुर के गाँववासी परेशान था। जंगल में वन दस्युओं का आतंक बढ़ता जा रहा था और फॉरेस्ट गार्ड  तक उन्हें रोकने में असफल थी। वो बाघों का शिकार कर उनकी खाल बेचने का कार्य धड़ल्ले से कर रहे थे। 

वहीं देवीपुर के सरपंच भीमा का बेटा वज्र विदेश से लौटकर अपने गाँव वापस आ चुका था।

वज्र को जब गाँव की स्थिति पता चली तो वो विकल हो गया।

लेकिन वो कहाँ जानता था कि कोई था जो उसके खिलाफ भी साजिश कर रहा था।

ऐसे कोई जो उसकी जान लेना चाहता था।

आखिर वज्र की जान कौन लेना चाहता था?

क्या देवीपुर के वासी अपनी परेशानियों से निजाद पा पाए?



मेरे विचार 

फेनिल कॉमिक्स की जासूस बलराम के कॉमिक पढ़ने के बाद उनके द्वारा प्रकाशित कोई भी कॉमिक बुक पढ़ने का मौका नहीं लग पाया था। इस बार दीवाली के वक्त कोई कॉमिक खरीदने का मन किया तो फेनिल कॉमिक्स का ख्याल आया और उनके द्वारा प्रकाशित बजरंगी और फौलाद शृंखला के सस्ते संस्करण मैंने मँगवा लिए। 

 1411 बजरंगी शृंखला का पहला कॉमिक बुक है।  भारतीय कॉमिक बुक्स की बात की जाए तो कई प्रकाशनों ने ऐसे किरदार बनाए हैं जिनका घर जंगल होता है और उनका मुख्य काम प्रकृति का दोहन करने वाले मनुष्यों के होश ठिकाने लगाना होता है। ऐसे किरदारों का एक तय फॉर्मैट होता है जिस पर कहानियाँ लिखी जाती है। नायक जंगल का रक्षक रहता है और वहाँ रहे वन्य जीवों और वन वासियों को शोषकों से निजात दिलाता है। बजरंगी भी इसी फॉर्मैट पर लिखा गया है। कॉमिक बुक के केंद्र में देवीपुर नाम का गाँव है। शृंखला का पहला कॉमिक बुक देवीपुर के इतिहास, वहाँ की संस्कृति और वहाँ के हाल से पाठक का परिचय करवाता है।  बजरंगी कौन है और क्यों को देवीपुर के निवासियों के आदरणीय है। बजरंगी को लेकर एक बार फिर चर्चा क्यों चल पड़ी है और गाँव में हाल फिलहाल में क्या क्या हुआ है ये कॉमिक बुक से पता लगता है। 

कॉमिक बुक की शुरुआत बजरंगी द्वारा शिकारियों द्वारा शिकार हो रहे बाघ को बचाने से होती है। बजरंगी के इस कृत्य को एक ग्रामीण युवक देख लेता है। इस पश्चात कॉमिक बुक की कहानी बैक फ्लैश में चली जाती है और पाठकों का परिचय वज्र से होता है। वज्र गाँव के मुखिया भीमा का लड़का है। वो कई वर्षों बाद गाँव लौटा है। उसके साथ गाँव में क्या होता है? वह गाँव में जाकर क्या करता है? यह सब कॉमिक बुक में पता चलता है। कॉमिक में ऐसी घटनाएँ भी होती हैं जो कि कथानक में रहस्य पैदा करती हैं। ऐसे किरदार होते हैं जिनके विषय में पढ़ते हुए आप ज्यादा जानना चाहेंगे। 44 पृष्ठ की कॉमिक बुक में कथानक ऐसा है जो कि अंत तक अपने आप को पढ़वाकर मानता है। 

कॉमिक बुक की कमी की बात करूँ तो कई प्लॉट पॉइंट्स ऐसे हैं जो कि फिल्मों में कई बार प्रयोग किये गए हैं। हीरो का आना। गाँव के दबंग से उसकी सीना जोरी अक्सर एक (खूबसूरत बाला के चक्कर में ) होना। व्यक्तिगत तौर पर मुझे इन चीजों से इतना फर्क नहीं पड़ता है लेकिन ये चीजें कहानियों में ऐसे ही आम है जैसे भारत में दाल चावल। विदेश की फिल्म अवतार भी इससे नहीं बच पाई थी। तो ये तो फिर भी कॉमिक बुक है। फिर भी इनसे बचा जाता तो बेहतर ही होता। कान्फ्लिक्ट दिखाने का दूसरा तरीका हो सकता था। 

इसके अतिरिक्त कॉमिक बुक में इक्का दुक्का वर्तनी और व्याकरण की गलतियाँ हैं। उदाहरण के लिए कॉमिक में वैद्य को वैध लिखा है जो कि दो बिल्कुल अलग चीजें होती हैं। इसके अतिरिक्त एक डायलॉग है 'वो आपके ही गाँव के लोग थे जिसने शिकारियों को बाघ की खाल बेची है।' जो कि 'वो आपके ही गाँव के लोग थे जिन्होंने शिकारियों को बाघ की खाल बेची है।' होना चाहिए था। इसके अतिरिक्त भी एक दो गलतियाँ और थीं। 

कॉमिक बुक का शीर्षक 1411 है जो कि भारत में बची हुई बाघों की संख्या है। शीर्षक कॉमिक बुक के एक किरदार के संवाद से आता है। चूँकि कॉमिक बुक में बाघों का शिकार एक महत्वपूर्ण बिंदु है तो औचित्यपूर्ण कहा जा सकता है। 

कॉमिक बुक की आर्ट की बात करूँ तो यह काम चलाऊ ही कही जाएगी। व्यक्तिगत तौर पर्स मुझे आर्ट से इतना फर्क नहीं पड़ता लेकिन फिर भी मैं कहूँगा कि कॉमिक बुक क्योंकि दृशयात्मक माध्यम है तो आर्ट का औसत से बेहतर होना जरूरी हो जाता है। प्रस्तुत कॉमिक बुक में सुधार की काफी संभावनाएँ हैं। किरदारों के चेहरे में पृष्ठ बदलने के साथ बदलाव होता दिखता है जो कि नहीं होना चाहिए था और भावों का चित्रण भी और बेहतर हो सकता था। 

अंत में यही कहूँगा कि कॉमिक बुक अपनी कमियों के बावजूद पढ़े जाने लायक है। कथानक आपको बाँधकर रखता है। साथ ही कॉमिक बुक आगे के भागों के लिए भी उत्सुकता जगाता है। अगर नहीं पढ़ा तो पढ़कर देख सकते हैं। 


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