नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

मास्टर साहब - मृणालिनी श्रीवास्तव | चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: पेपरबैक | पृष्ठ संख्या: 40 | प्रकाशन: चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट | चित्र: अजंता गुहाठाकुरता | संपादक: सुभद्रा मालवी

पुस्तक लिंक: अमेज़न

 

कहानी

दिनेश आजकल गाँव आया हुआ था। गाँव में काफी चीजें बदल गई थीं लेकिन नहीं बदले तो मास्साब। आज भी वह बच्चों को शिक्षा देने का कार्य उसी तरह करते थे जितना वह उसके वक्त में करते थे। आज भी वह अपने एक छात्र निहाल को याद करते नहीं थकते थे। 

आखिर कौन था निहाल? 

मास्साब उसे क्यों याद करते थे?


मेरे विचार

आजकल चूँकि वृहद कथानक पढ़ने का वक्त नहीं लग पा रहा है तो मैं बाल साहित्य की पुस्तकें अधिक पढ़ रहा हूँ। वैसे भी इन पुस्तकों को अपने पुस्तकालय में रखे हुए काफी वक्त हो गया था। इसी क्रम में मैंने मृणालिनी श्रीवास्तव की कहानी 'मास्टर साहब' को पढ़ा। यह कहानी चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट द्वारा 1999 में प्रकाशित की गई थी। तब से लेकर अब तक 15 से ऊपर संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। 

हर व्यक्ति के जीवन में एक अच्छे शिक्षक का महत्व होता है। एक अच्छा शिक्षक न केवल बच्चों को पढ़ाता है बल्कि साथ ही कई बार उन्हें एक सही  दिशा को देकर उनका जीवन भी पूरी तरह से बदल देता है। 

प्रस्तुत कहानी भी एक ऐसे ही मास्टर साहब और उनके एक शिष्य निहाल की है।  कहानी का कथावाचक एक अन्य शख्स दिनेश है जो कि मास्टर साहब और अपने सहपाठी निहाल की कहानी बता रहा है।

मास्टर साहब जिन्हें बच्चे बड़े मास्टर साहब के नाम से ही जानते थे अपनी सख्ती के लिए जाने जाते थे। शरारती बच्चों को सजा देने से भी वह करताते नहीं थे। ऐसे में जब एक शरारती बच्चा निहाल उनकी कक्षा में पढ़ने आता है तो उसकी शरारतें कैसी होती हैं और मास्टर साहब किस तरह से उसकी शरारतों से निपटते हैं यही कहानी बनती हैं। 

वैसे तो कहानी मास्टर साहब और निहाल की है लेकिन कथावाचक यह कहानी बड़े होकर सुना रहा है। ऐसे में उसके बचपन और अब जब वो बड़ा हो चुका है तो इस समय के बच्चों के बचपन में क्या क्या बदलाव आया है यह भी दिखता है। 

कहानी पठनीय है लेकिन अगर कमी की बात करूँ वह यही होगी कि अभी मास्टर साहब और निहाल के समीकरण में आते बदलाव को दर्शाने के लिए एक बड़ी घटना को ही दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त भी कुछ और घटनाएँ होती तो रोचकता बढ़ती और जितना गहरा लगाव मास्टर साहब का निहाल से हो गया था वो अधिक तर्कसंगत होता। एक शिक्षक के जीवन में कई छात्र आते हैं और ऐसे में किसी विशेष छात्र से उसे लगाव हो जाए और उसे वह उसके जाने के वर्षों बाद भी याद रहे तो आप यह सोचते हैं कि उनके इस गहरे रिश्ते का क्या कारण होगा। अभी एक घटना से वह रिश्ता इतना गहरा प्रतीत होता न लगता है। ऐसे में अगर यह गहराई दर्शाने के लिए कुछ और कारण घटनाओं के माध्यम से दिया होता तो बेहतर होता। 

इसके अतिरिक्त कहानी में आखिर में एक तरह का ट्विस्ट देने की कोशिश की गई है। लेकिन जिस तरह से निहाल गाँव से कटा रहता है और कथावाचक के अनुसार मास्टर साहब से उसका उतना रिश्ता भी नहीं रह जाता है तो वह  ट्विस्ट इतना तर्कसंगत नहीं लगता है। यहाँ ये जरूर कहना चाहूँगा कि ट्विस्ट जो दर्शाया गया है वो निहाल के बचपन के किरदार से मेल जरूर खाता है इस कारण पढ़ते हुए आप ट्विस्ट की कमी को नजरंदाज कर देते हैं। पर फिर भी ट्विस्ट थोड़ा तर्क संगत होता और समीकरण को दर्शाने के लिए कुछ और घटनाओं का प्रयोग किया जाता तो कहानी और अच्छी बन सकती थी।  

कहानी में चित्रांकन अजंता गुहाठाकुरता द्वारा किया गया है जो कि कहानी को आकर्षक बना देते हैं। 

अंत में यही कहूँगा कि कहानी रोचक और पठनीय है। एक शिक्षक किस तरह से अपने छात्रों के जीवन की दिशा बदल देते हैं यह इसे बखूबी दर्शाती है। 


पुस्तक लिंक: अमेज़न


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