नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

एक तरह की खानापूर्ति है 'ताऊजी और काला नाग'

संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशक: डायमंड कॉमिक्स | शृंखला: ताऊजी | प्लैटफॉर्म: प्रतिलिपि

कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि 


समीक्षा - काला नाग | डायमंड कॉमिक्स

कहानी 

काला नाग के आदमियों ने शहर में आतंक मचा रखा था। कोई भी उसके सामने खड़े उठने की जुर्रत नहीं करता था। 

लेकिन जब काले नाग के आदमियों द्वारा ताऊजी के साथी रुमझुम का अपहरण हो गया तो ताऊजी ने इस काले नाग से निपटने की ठान ली। 

आखिर कौन था ये काला नाग? 

क्या ताऊजी रुमझुम को छुड़ा पाये?


विचार


प्रतिलिपि पर आजकल काफी कॉमिक बुक्स पढ़ रहा हूँ। वहाँ पर तुलसी और डायमंड कॉमिक्स काफी मौजूद हैं तो  गाहे बगाहे उन्हें पढ़ता रहता हूँ। कॉमिक्स पढ़ते हुए मैंने एक बात नोटिस की है कि कभी कभी डायमंड वाली कॉमिक्स पढ़ता हूँ तो उन्हें पढ़कर ऐसा लगता है जैसे उस वक्त कोई डायमंड वालों पर कॉमिक बनाने के लिए जबरदस्ती दवाब डाल रहा था और वह जैस तैसे बेमन कार्य करके कॉमिक के नाम पर कुछ भी प्रकाशित कर देते थे। हाल ही में मैंने डायमंड द्वारा प्रकाशित ताऊजी शृंखला का कॉमिक काला नाग पढ़ा और उसे पढ़कर भी मुझे यही लगा कि जैसे डायमंड वालों ने जबरदस्ती बस खानापूर्ति के लिए इस कॉमिक बुक को निकाला हो।

कॉमिक बुक के कथानक की बात करूँ तो कॉमिक बुक की शुरुआत काफी अच्छी है। एक खूँखार गैंग है जिसका सरगना काला नाग है और यह गैंग शहर में आतंक मचाए हुए है। इस गैंग के अपराधी एक खोखली पहाड़ी में बड़े खुफिया तरीके से रहते हैं और अपराध करके वापिस उस पहाड़ी में चले जाते हैं। कॉमिक चूँकि ताऊजी शृंखला का है तो यह बात तो तय है कि अब इस काला नाग की गैंग और काला नाग से ताऊजी की टक्कर होने वाली है।  लेकिन यह टक्कर क्यों होगी और वह किस तरह होगी और इस टक्कर का क्या नतीजा होगा यह इस शरुआत को पढ़कर आप जानना चाहते हो। कुछ रोमांचक होगा यह उम्मीद आप बनाकर आगे बढ़ते हो। लेकिन कुछ एक पैनलों के बाद ही लेखक आपकी उम्मीद पर पानी फेर देता है।
 
शुरुआत में ही एक अटपटी बात आपको यह लगती है कि काले नाग के आदमी जब डकैती डालने बैंक में दाखिल होते हैं तो उन्होंने चेहरे पर कोई मास्क नहीं लगाया होता है। यानि उन्हें इस बात का कोई डर नहीं है कि उन्हें कोई पहचान लेगा। आप सोच सकते हो कि काले नाग के लोग काफी शेरदिल हैं जो ऐसे जा रहे हैं लेकिन जिस लुटेरे को बैंक लूट कर उसी शहर में रहना है उसका मास्क न पहना बेवकूफी ही जान पड़ता है। भई पैसे लूट भी लोगे तो खर्च करने शहर में ही जाना होगा? तब क्या करोगे? 

 खैर कहानी आगे बढ़ती है और कथानक में डकैती के दौरान ही एक चीज को लेकर अपराधियों को थोड़ा संशय होता है तो डकैतों के बॉस द्वारा कहा जाता है कि उसने शेरु को उस बात की निगरानी के लिए रखा था। लेकिन ऐसा कहते हुए बॉस को दिखाया नहीं गया है। ऐसा लगा जैसे लेखक को उसी वक्त याद आया कि ऐसा कुछ भी करना था और बिना पहले वाला पैनल बनाए उसने यह बात लिख दी। 

कथानक की एक कमी कहानी में संयोगों की अधिकता भी है। जहाँ रुमझुम बंद होता है उसके बगल में वह गुप्त रास्ता रहता है जहाँ से काला नाग पहाड़ी में आता जाता था। वहीं संयोग से वह उसी वक्त उस रास्ते से प्रकट होता है जब रुमझुम वहाँ से बाहर निकलने वाला होता है। यह बात ही हास्यास्पद है कि अपने गुप्त कमरे में उस काले नाग ने एक ऐसा रोशनदान दिया है जो कि बगल वाले कमरे में खुलता है। अगर मैं कालनाग होता तो मेरी कोशिश यह रहती कि वह कमरा हर जगह से बंद हो ताकि कोई ताँक-झाँक न करें। 


वहीं यह संयोग इतने में ही नहीं रुकता। जब रुमझुम अपराधियों की कैद से आजाद हो जाता है तो वह संयोग से ताऊजी को देख लेता है। 

इसके बाद तो कहानी बचती ही नहीं है। लेखक की कृपा से रुमझुम को काले नाग जैसे खूँखार गैंग से आजादी मिल जाती है और उसी लेखक की कृपा से ताऊजी बिना कोई मेहनत किए रुमझुम तक पहुँच भी जाते हैं। अगर यहाँ पर रुमझुम और ताऊजी से लेखक थोड़ी मेहनत करवाते तो कथानक रोमांचक बन सकता था। लेकिन लेखक को शायद यह मंजूर नहीं था।  अब ताऊजी को केवल काले नाग के घर पहुँचना है और उसे कब्जे में ले लेना ही होता है। 


जब ताऊजी रुमझुम के साथ काले नाग के घर पहुँचते हैं तो काला नाग अपने साथियों के साथ बाहर की निगरानी करता रहता है। यह एक और अटपटी बात है। मुझे यह बात समझ में नहीं आई कि जो व्यक्ति अपने आदमियों के सामने काले नाग के रूप में ही आता था वह इतनी जल्दी अपनी पहचान उन्हें क्यों बताएगा। विशेष रूप से तब जब गुप्त रास्ते के बारे में केवल उसे ही पता हो और उसके आदमी न जानते हो। उसका ऐसा करना तो गैंग को तोड़ने के समान ही है।  रुमझुम को तो रास्ते का संयोग से पता लगा था लेकिन उसके साथी तो उसके बताए ही उसके घर पहुँचे होंगे। 

कहानी आगे बढ़ती है तो एक और अटपटी बात आप पाते हैं। जो रुमझुम अभी तक गुंडों से बचकर भाग रहा था वह ताऊजी के आने से बिना ताऊजी की मदद के उन्हें पछाड़ते हुए भी दिखता है। इस दौरान वह इतनी शक्तियाँ दिखाता है कि उसकी इन शक्तियों  को देखकर आप यह जरूर सोचने लगते हो कि इतनी शक्तियों का इस्तेमाल उसने तब क्यों नहीं किया जब बैंक लूटा जा रहा था? हो सकता है कि इसके पीछे कोई कारण हो लेकिन ऐसा कारण कॉमिक में दिया गया नहीं है तो यह कहानी की कमजोरी ही प्रतीत होती है।

किसी भी रोमांचकथा का सबसे रोचक भाग उसका अंत होता है लेकिन इधर ताऊजी खलनायको पर भारी पड़ते ही दिखते हैं। बाद में तो वह रुमझुम जो पहले डरा सहमा लग रहा था वही खलनायकों की खाट खड़ी कर देता है। ऐसा होने से अंत भी उतना प्रभावी नहीं रह जाता है। अच्छी रोमांचकथा के लिए नायक की टक्कर का खलनायक जरूरी है यह बात लेखक को समझनी चाहिए। अगर नायक बड़ी आसानी से खलनायक से पार पा ले तो वह रोमांचकथा अच्छी नहीं रह जाती है। 

अभी तो, कॉमिक पढ़कर ऐसा लगा जैसे लेखक के जो मन में आया उसने लिख दिया। कॉमिक में लेखक का नाम नहीं है और शायद इसिलिये उसने सोचा होगा कुछ भी घिस दो क्या फर्क पड़ता है। 

आर्ट की बात करूँ तो डायमंड कॉमिक्स का अपना एक आर्ट स्टाइल रहा है और इस कॉमिक में भी वैसा ही टिपिकल आर्ट दिखता है। मुझे इस आर्ट से ज्यादा परेशानी नहीं होती है लेकिन जो लोग याथार्थवादी आर्ट पसंद करते हैं उन्हें शायद ये पसंद न आए। हाँ आर्ट में एक ही चीज थी जो मुझे अटपटी लगी। 

कहानी में एक सीन आता है जिसमें डकैत बैंक के मैनेजर को मार देते हैं। बैंक का मैनेजर इससे पहले अपनी टेबल पर अपनी कुर्सी पर बैठा होता है जब उसको बैंक में डकैती का पता लगता है। इसके बाद वह कहीं पर खड़ा होकर फोन मिलाता हुआ दिखता है। वह खड़ा होकर कहाँ गया यह आपको पता नहीं चलता है।  जहाँ तक मेरा अंदाजा है टेलीफोन का बंदोबस्त भी मैनेजर की टेबल पर ही होना चाहिए। लेकिन इधर ऐसा नहीं है। ऐसे में जब मैनेजर को गोली मारी जाती है तो वह दरवाजे और टेबल के बीच पड़ा हुआ दिखता है जो कि आपको सोचने पर मजबूर कर देता है कि वह उठा क्यों था और क्या वह बाहर से कॉल कर रहा था। अगर बाहर से कॉल कर रहा था तो कोई भी मैनेजर ऐसा क्यों करेगा। फोन तो वह अपने कक्ष में ही रखेगा। अपनी टेबल के नजदीक ताकि जरूर पड़ने पर जल्दी से उठा ले। इस हिस्से को बेहतर तरीके से दर्शाया जा सकता था। 

1.रुमझुम मैनेजर को डकैती के बारे में बताता है,2.मैनेजर पुलिस को फोन कर रहा है, 3. गोलियाँ चली, 4. मैनेजर मारा गया



अंत में यही कहूँगा कि ताऊजी और काला नाग प्लॉटहोल्स से भरा ऐसा कॉमिक था जो कि शायद न प्रकाशित हुआ होता तो बेहतर होता। कहानी का विचार तो अच्छा तो लेकिन उस पर बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत थी। अभी तो ऐसा लगता है जैसे लेखक और प्रकाशक द्वारा केवल खानापूर्ति ही कर दी गयी है। 

कॉमिक बुक लिंक: प्रतिलिपि 

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