नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

अपने कमजोर अंत के साथ भी मनोरंजन करने में सफल होता है 'ध्रुव खत्म' | राज कॉमिक्स | जॉली सिन्हा

 संस्करण विवरण:

फॉर्मैट: ई बुक | पृष्ठ संख्या: 64 | प्रकाशक: राज कॉमिक्स | प्लैटफॉर्म: किंडल | कथा: जॉली सिन्हा | चित्र: अनुपम सिन्हा | इंकिंग: विनोद कुमार | सुलेख एवं रंग संयोजन: सुनील पाण्डेय  

कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न | किंडल

कॉमिक बुक समीक्षा: ध्रुव खत्म | राज कॉमिक्स | जॉली सिन्हा

कहानी 

राजनगर में होने वाले गैंगवार से सभी लोग परेशान थे। ऐसे में जब प्राचीन जगन्नाथ टेकरी मंदिर भी इस गैंगवार के कारण ध्वस्त हो गया तो बाबा भूतभूति ने एक फैसला कर लिया। 

उन्होंने अब यज्ञ के माध्यम से  मृत्यु को शशरीर धरती पर बुलाने की तैयारी कर ली थी। उनका इरादा मृत्यु को धरती पर बुलाकर  राजनगर के अपराधियों को लीलने का था। 

और फिर मृत्यु असल में राजनगर में देखी जाने लगी। ध्रुव, जो कि इन सब बातों में विश्वास नहीं करता था, भी इस चीज से परेशान था। वह उस प्राणी से लड़ चुका था जो खुद को मृत्यु कहकर राजनगर में अपराधियों को मार रही थी।

क्या सचमुच मृत्यु धरती पर आ चुकी थी?
मृत्यु और ध्रुव के बीच हुए इस टकराव का क्या नतीजा निकला?
आखिर मृत्यु ने ध्रुव को खत्म करने का फैसला क्यों किया?


विचार 

कहते हैं व्यक्ति को उसके कर्मों का फल मिलता है। अच्छे कर्म करेगा तो अच्छा फल मिलेगा और बुरे कर्म करेगा तो बुरा फल मिलेगा। कर्मों के फल की यह मान्यता लगभग हर धर्म में मिल जाती है। लेकिन जब व्यक्ति असल संसार की हालत देखता है तो कई बार यह मान्यता खोखली नजर आती है। लोग बुरे कर्म करते चले जाते हैं और शायद ही उनको इसका कोई फल मिलता दिखता है। ऐसे में कई बार लोग परेशान होते हैं और यह सोचने लगते हैं कि क्या हो कि अगर उन बुरे कर्मों को करने वाले लोगों को उनके किये का फल कोई दैवीय शक्ति इसी धरती पर देने लगे। ऐसा ही कुछ राजनगर के लोग भी सोच रहे थे जब वहाँ पर गैंगवार बढ़ने लगा था। उस गैंगवार की चपेट में मासूम लोग और अब तो भगवान भी आने लगे थे। 

ऐसे में बाबा भूतभूति द्वारा मृत्यु का आव्हान किया गया और फिर जो हुआ वह 'ध्रुव खत्म' की कहानी बनती है।  चूँकि यह ध्रुव की कॉमिक है तो आपको पता है कि इस मृत्यु के पीछे कोई न कोई राज है और पाठक इस राज को जानने के लिए कॉमिक पढ़ते चले जाते हैं। ध्रुव का मृत्यु और उसके मातहतों से टकराव होता है जो कि रोमांचक है। ध्रुव दिमाग से काम लेने वाला सुपरहीरो है और उसके दिमाग की कलाबाजियाँ आपको इस कॉमिक में भी देखने को मिलती है। वहीं कॉमिक में यह भी देखने को मिलता है कि कैसे लोगो की मान्यताओं का दोहन करने के लिए हर वक्त लोग मौजूद रहते हैं। ऐसे में लोगों को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि वह विश्वास करें अंधविश्वास नहीं। किसी भी खबर को किस तरह चैनल आजकल मनोरंजन की तरह परोसने लगे हैं और लोग उसे किस तरह से मनोरंजन की तरह देखने लगे हैं यह भी इसमें दर्शाया है। श्वेता और उसकी माँ का चैनल को देखते हुए होने वाला वार्तालाप ज्यादातर घरों की कहानी बन चुका है। 

कॉमिक बुक के अंत में रहस्य उजागर होता है तो आपको हैरान कर देता है। लोगों के खाने के दाँत और दिखाने के दाँतों के विषय में सोचने के लिए मजबूर भी कर देता है। इस कॉमिक में ध्रुव के पुराने कॉमिक 'वूडू'  और नागराज के पुराने कॉमिक 'केंचुली' का भी जिक्र है जिसके कारण जिन पाठकों ने इन दो कॉमिक बुक्स को नहीं पढ़ा है वह भी इस कॉमिक को पढ़ने के बाद उन्हें पढ़ना चाहेंगे। 

अगर कथानक की कमी की बात करूँ तो यही कहूँगा कि ध्रुव खत्म का कथानक तो रोचक है लेकिन इसका अंत थोड़ा कमजोर हो गया है । जिस तरह से अंत को समझाने की कोशिश की गयी है वह संतुष्ट नहीं कर पाती हैं।  कॉमिक बुक में जो चीजें घटित होती हैं उन्हें आखिर में विज्ञान और अफ्रीकी तंत्र कला वूडू से समझाने की कोशिश की गयी है। काफी चीजें समझा भी दी गयी हैं लेकिन कुछ चीजें रह जाती हैं और लेखक उस विषय में चुप रह जाते हैं या फिर कारण बताते भी हैं तो वह कमजोर सा प्रतीत होता है। 

जैसे कि कॉमिक में बताया गया कि मृत्यु ने जिन जीवों से ध्रुव पर हमला करवाया था वह असल में थे और उन्हें विशेष तरह से पैदा किया गया था। लेकिन खलनायक उन जीवों को लड़ाई के दौरान हवा से पैदा करने में कैसे सफल हुआ इस पर कोई बात नहीं की गयी है। वहीं बाबा भूतभूति द्वारा मृत्यु को बुलाने का कार्य भावावेश में लिया गया था। ऐसे में खलनायकों द्वारा इतने जल्दी ऐसे जानवरों का न केवल निर्माण करना बल्कि उनका उन्हें इस तरह से पालना पोसना की वह खुद को नरक के जीव समझे थोड़ा असंमभव सा प्रतीत होता है। हाँ, अगर बाबा से खलनायक की मिलीभगत दर्शाते तो शायद ठीक रहता या लेखक द्वारा कुछ बेहतर कारण दिया जाना चाहिए था। 

आखिरी लड़ाई में जब तक खलनायक के चेहरे पर मास्क रहता है तब तक लोहे की जंजीरों को बिना छुये वह उनको नियंत्रण कर पाता है और उनसे ध्रुव को कैद करने में भी कामयाब हो जाता है लेकिन मास्क हटने के बाद ऐसा वो नहीं करता है। बाद के एक सीन में वो ध्रुव को जंजीर को पकड़ कर मारता भी है तो उसके लिए भी जंजीर को उसे हाथ से छूकर ध्रुव की दिशा में फेंकना पड़ता है। यह चीज भी मुझे अटपटी लगी। 

इसके अलावा खलनायक पर ध्रुव को शक इसलिए होता है क्योंकि मृत्यु द्वारा किए गए कत्ल वाली दोनो जगहों वह कुछ चीजें छोड़ देता है। यह बात भी मुझे नहीं जमी। एक जगह चीज छूटना समझ आती हैं लेकिन दोनो जगह चीज छूटना तो लेखक की ध्रुव के लिए राह आसान करना सा प्रतीत होता है। अगर मैं दो चीजों का इस्तेमाल करके कोई कार्य करूँगा तो चाहे कितना भी बौड़म होऊँ मैं यह तो ध्यान रखूँगा कि कार्य समाप्त होने के बाद दोनो चीजें अपने साथ ले जाऊँ। विशेषकर तब जबकि मुझे उस कार्य के लिए उन चीजों के हुए इस्तेमाल को छुपाना हो।  पर यहाँ ऐसा नहीं था। मुझे लगता है लेखक को ध्रुव को उस बात तक पहुँचने के लिए कोई बेहतर क्लू देना चाहिए था।  

ऊपर वाली चीजों को दरकिनार रखें तो ध्रुव खत्म की कहानी मुझे पसंद आई। कथानक पाठक के तौर पर आपको बांधकर रखता है और अंत तक इसे पढ़ते चले जाने के लिए विवश कर देता है। कॉमिक बुक में श्वेता और उसकी माँ के बीच का वार्तालाप भी मौजूद है जो कि मनोरंजक है। घर में कैसे बड़े लोग अंधविश्वास को पोसते हैं और फिर गलत होने पर किस तरह खुद को बचाते हैं इससे यह दिखता है। श्वेता की माँ का आखिर का डायलॉग बरबस ही आपके चेहरे पर हँसी ला देता है। 

कॉमिक बुक का आर्टवर्क अनुपम सिन्हा का है और कथानक के साथ न्याय करता है। 

अंत में यही कहूँगा कि ध्रुव खत्म एक रोचक कॉमिक है। शुरू से ही आप पर यह अपनी पकड़ बना लेता है। आपको पता रहता है कि मृत्यु के अचानक आने के पीछे कोई न कोई राज होगा और आप उस राज को जानने के लिए कथानक को पढ़ते चले जाते हो। अगर नहीं पढ़ा तो एक बार पढ़कर देख सकते हैं। 


कॉमिक बुक लिंक: अमेज़न | किंडल


यह भी पढ़ें


FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल