नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

23rd जून प्रोडक्शन | प्रिंस कॉमिक्स | सैय्यद एम रजा

संस्करण विवरण

फॉर्मैट: पैपरबैक | पृष्ठ संख्या: 16 | प्रकाशन: प्रिंस कॉमिक्स | लेखक: सैय्यद एम रजा | चित्रांकन: जय खोहवाल | इफ़ेक्ट्स: यासमीन खान | डिजिटल कैलीग्राफी: एन बाबू | संपादक: मोहित मिश्रा



कहानी

रोहित रंजन एक सुपर मोडल और टी वी ऐक्टर था जो टीवी और विज्ञापन करते करते ऊब गया था। अब वह किसी फिल्म में काम करना चाहता था। 

ऐसे में जब उसे 23rd जून प्रोडक्शन हाउस की तरफ से एक चिट्ठी मिली तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने रोहित के समक्ष एक शर्त रखी थी जिसे पूरी करके वह उनकी फिल्म का नया हीरो हो सकता था। 

23rd प्रोडक्शन हाउस हॉरर फिल्में बनाने के लिए विख्यात थे और वह अक्सर ऐसी शर्ते रखा करते थे। यही कारण था रोहित ने उनकी शर्त को पूरा करने का फैसला कर लिया। 

आखिर रोहित को फिल्म का नायक बनने के लिए कौन सी शर्त को पूरा करना था?
क्या वह प्रोडक्शन हाउस की शर्त को पूरा कर पाया?

मेरे विचार

फिल्मी दुनिया चकाचौंध की दुनिया है। यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ एक मौका आपको रंक से राजा बनाने की काबिलियत रखता है। यही कारण है कि अपनी आँखों में सपने लेकर कई युवा इस दुनिया में दाखिल होने के आते हैं और येन केन प्रकारेण इस दुनिया में दाखिल होने की कोशिश करते हैं। कुछ भाग्यशाली ही फिल्मों में दाखिला पा पाते हैं और बाकी सब मेहनत करते ही रह जाते हैं। ऐसे में अगर किसी ऐसे व्यक्ति को जो कि काफी वक्त से इस दुनिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा है एक ऐसा मौका मिले जिससे वह अपने इस सपने को पूरा कर सकता हो तो उसके द्वारा उस मौके को हासिल करने के लिए कुछ भी कर गुजरना आम सी बात है। 

प्रस्तुत कॉमिक बुक ऐसे ही एक युवा कलाकार रोहित रंजन की है जो कि विज्ञापन और टीवी में नाम कमा चुका है लेकिन वह फिल्मो में अब तक नहीं आ पाया है। ऐसे में जब उसे फिल्मों में आने का मौका मिलता है तो उस मौके को पाने के लिए वह क्या करता है यही कॉमिक बुक की कहानी बनती है। यहाँ ये बता दूँ कि उसे रोल पाने के लिए कुछ अतरंगी चीज नहीं करनी होती है। उसे एक निश्चित वक्त में बस एक जगह पर पहुँचना होता है। कॉमिक का कथानक उसके जगह पहुँचने और वहाँ उसके साथ घटित हुए घटना को ही दर्शाता है। इस सफर में उसके साथ क्या दिक्कतें पेश आती हैं और वह इससे कैसे पार पाता है यह देखना रोचक होता है। कई बार हम अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए इतने ज्यादा उत्साहित रहते हैं कि हमारा ध्यान केवल उस इच्छा की पूर्ति पर ही केंद्रित हो जाता है। ऐसे में हम कई बार बिना सोचे समझे काम करने लगते हैं और इसका खामियाजा हमें उठाना पड़ता है। इस कॉमिक में भी यही बात देखने में आती है। 

यह कॉमिक बुक 14 पृष्ठों का है और कॉमिक बुक रोमांचक है लेकिन इसका अंत जल्दबाजी में किया गया लगता है। आखिर का हिस्सा मेरे ख्याल से और रोमांचक किया जा सकता था। हम अभी नायक को खाली प्रोडक्शन हाउस में दाखिल होते हुए ही देखते हैं। वहाँ उसके साथ क्या होता है यह दर्शाया जाता तो बेहतर होता। इसके बाद कहानी में वह ट्विस्ट लाया जा सकता था जो कि लाया गया है। वहीं कहानी के एक हिस्से में रोहित किसी पर बंदूक तान देता है। लेकिन जहाँ तक मेरा ख्याल है एक व्यक्ति प्लेन में लाइसेन्स वाला हथियार भी कैबिन में नहीं ले जा सकता है। कॉमिक में दर्ज है कि लिमिटेड लगेज के कारण वह जल्दी ही चेकिंग से वैटिंग लाउन्ज पहुँच गया था। यानि उसके पास कोई ऐसा सामान नहीं था जिसे उसने चेकइन काउन्टर पर रजिस्टर करवाया हो। ऐसे में टैक्सी में उसके हाथ में रिवाल्वर आना अटपटा था। उस सीन में रिवॉल्वर की जगह किसी और चीज का प्रयोग दर्शाया जा सकता था। 

एक और रोचक चीज मुझे लगी जो कमी तो नहीं है फिर भी जिसने मुझे ठिठकने पर मजबूर कर दिया। कहानी में बेदनी बुगयाल का जिक्र है जो कि उत्तराखण्ड के चमोली जिले में है। यहाँ पर एक काल्पनिक शहर जामनगर में इसे दर्शाया गया है। पढ़ते हुए मैं सोच रहा था कि अगर कहानी को चमोली जिले में ही बसाया होता तो ज्यादा ठीक न रहता। 

कॉमिक बुक का आर्ट अच्छा है और कहानी के साथ न्याय करता है। कहानी में पहाड़ी इलाके हैं और इन्हे अच्छे से दर्शाया गया है। इन चित्रों को देखकर मेरा मन भी जामनगर की पहाड़ियों में जाने का हो गया था। 

अंत में यही कहूँगा कि कॉमिक बुक पठनीय है और पाठक का मनोरंजन करता है। कॉमिक बुक एक बार पढ़ा जा सकता है अगर 14 पृष्ठ की कॉमिक के लिए 90 रुपये देना आपको न खलता हो तो।

यह भी पढ़ें




FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल