नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

भारतीय मिथकों का इस्तेमाल कर रचा गया रोमांचक सुपर हीरो उपन्यास है अमोघ

 संस्करण  विवरण

फॉर्मैट: ई-बुक  | पृष्ठ संख्या: 150  | प्रकाशन: फ्लाईड्रीम्स प्रकाशन

पुस्तक लिंक: अमेज़न

समीक्षा: अमोघ - अनुराग कुमार सिंह


कहानी

ओम दल का संस्थापक श्रीनगर का क्राइम फाइटर धनुष जब दिल्ली पहुँचा तो उसे पता नहीं था कि वह किस मामले में फँसने जा रहा है। 

कुछ दिनों पहले अपहृत प्रहरी रहीम जब वापिस मिला तो उसके द्वारा सुनाई गयी कहानी ने सबके होश उड़ा दिये। रहीम के अनुसार दुनिया में तबाही आने वाली थी क्योंकि किसी ने अमोघ चक्र का इस्तेमाल कर अब तक सुप्त आसुरी शक्तियों को जगाने का फैसला कर लिया था। 

धनुष और उसके साथियों के लिए इस बात पर विश्वास करना मुश्किल था। लेकिन फिर हालात ऐसे पैदा हो गए कि आँखों देखी बातों पर विश्वास करना पड़ा। 

परिस्थितयाँ ऐसी हुई कि आसुरी शक्तियाँ जागृत हो गयी और वह दुनिया पर कब्जा पाने लगी। 

अब मानवों की रक्षा की जिम्मेदारी धनुष और दिल्ली के सुपर हीरो आग्नेय और वेदिका के ऊपर आन पड़ी थी। 

आखिर यह आसुरी शक्तियाँ जागृत कैसे हुई? 
यह अमोघ चक्र क्या था? 
मानवों और असुरों के बीच छिड़े इस युद्ध का परिणाम क्या रहा? 
क्या इस सुपर हीरो की यह तिकड़ी मानवों की रक्षा कर पाई?

किरदार 

धनुष - श्रीनगर का लोकप्रिय क्राइम फाइटर जिसने ओम दल नाम की संस्था बनाई थी जो पूरे भारत में अपराध के खिलाफ लड़ रही थी
अर्णव - पुलिस अफसर जो कि आग्नेय नाम का सुपर हीरो भी था 
अवनि गौड़ - एक खोजी पत्रकार जो वेदिका नाम की सुपर हीरोइन थी 
महर्षि पुरोहित - एक बड़े ऋषि जिन्होंने यज्ञ शाला में बैठकर पूरे भारत वर्ष में नजर रखते थे। उन्होंने ही पुरातन भारतीय विज्ञान पर आधारित शक्तियाँआग्नेय और वेदिका को दी थीं 
शिखा - अर्णव की पड़ोसन 
कमांडर बैरल - किलर काउन्सिल का सदस्य। किलर काउन्सिल अपराधियों की एक गुप्त संस्था थी 
प्रवीण - ओम दल की दिल्ली यूनिट का मुख्य प्रहरी 
रहीम - ओम दल का सदस्य 
जाकिर - रहीम का दोस्त 
गोलू, स्वीटी - प्रहरी 
यासिर दाईक - एक इस्लामिक उपदेशक जिसके उपदेशों के चलते कई लोग उग्र नीतियाँ अपना रहे थे। जिहादी इस्लामिक का संस्थापक 
अशरफ - यासिर दाईक का आदमी 
कल्प काया - आग्नेय का पुराना दुश्मन 
प्रोफेसर व्यास - एक वैज्ञानिक जिन्होंने मिथ मैप का आविष्कार किया था

मेरे विचार 

कॉमिक बुक्स पढ़ना मुझे बचपन से ही पसंद रहा है। चित्रों और टेक्स्ट के माध्यम से कही गयी कहानियों ने हमेशा ही मेरी कल्पना की उड़ान को पंख दिये हैं। कॉमिक बुक में सुपर हीरो के विषय में पढ़ते हुए मैं अक्सर खुद की कल्पना एक सुपर हीरो की तरह की करने लगता था। लेकिन फिर जब बढ़ा हुआ तो कॉमिक पढ़ना कम होता गया। कॉमिक पढ़ता तो था लेकिन सच बताऊँ इनसे संतुष्टि कम ही मिलती थी। कॉमिक की जगह अब उपन्यासों ने ली थी। इसका एक कारण यह भी है कि कॉमिक की कहानी कुछ पृष्ठों की होती है और पढ़ना शुरू करते ही यह खत्म हो जाती है। वहीं उपन्यास में आप कहानी में ज्यादा डूब सकते हैं। ऐसे में मैं हमेशा सोचा करता था कि अगर इन कॉमिक किरदारों को लेकर एक वृहद कथानक लिखा जाए तो कितना बढ़िया हो। सुपर हीरोज को लेकर लिखे उपन्यास पढ़ने का बड़ा मन होता था। विदेशों में ऐसा होता आ रहा है। कॉमिक का उपन्यासिकरण न भी हो लेकिन इन कॉमिक किरदारों पर बनी फिल्मों का उपन्यासिकारण होता है। इसके चलते इन किरदारों को लेकर लिखे गए उपन्यास पढ़ने का मौका प्रशंसकों को मिल जाता है। वह किरदारों को इस कारण काफी गहराई से जान पाते हैं। हिंदी कॉमिक इंडस्ट्री की बात करूँ तो शायद डायमंड कॉमिक्स ने अपने किरदारों (ताऊ जी, लंबू मोटू इत्यादि) को लेकर बाल उपन्यास लिखे थे लेकिन उपन्यास शायद ही किसी ने लिखा हो। हिंदी में यह एक ऐसा जॉनर है जो अब तक अनछुआ था। लेकिन अनुराग कुमार सिंह अब इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। वह सुपर हीरोज जॉनर के उपन्यास लिख रहे हैं फिर भले ही वह खुद के किरदारों को लेकर ये कार्य कर रहे हैं। 


अमोघ अनुराग कुमार सिंह का लिखा दूसरा सुपर हीरो नॉवल है। अपने कॉमिक बुक्स के लिए प्रसिद्ध अनुराग कुमार सिंह ने इस बार तकनीक और भारतीय मिथकों का इस्तेमाल कर एक नवीन सुपर हीरो संसार रचा है जिससे गुजरने में मुझे मज़ा आया। 

वैसे तो जब कोई लेखक किसी शृंखला की शुरुआत करता है तो हम लोग यही उम्मीद लगाते है कि वह उस शृंखला के नायकों की कहानी शुरुआत से कहेंगे लेकिन अनुराग कुमार सिंह अमोघ में ऐसा करने से बचे हैं। अमोघ के केंद्र में तीन सुपर हीरों धनुष, आग्नेय और वेदिका हैं जो कहानी के शुरू होने तक अपने अपने क्षेत्र में काफी अनुभव अर्जित कर चुके होते हैं। सुपर हीरो के तौर पर उन्होंने अपने लिए एक मुकाम बना लिया है और ऐसे में उपन्यास पढ़ते हुए आपको कई बार लगता है कि आप किसी नई दुनिया में दाखिल हो चुके हो। ऐसी दुनिया जिसमें आपके आने से पहले काफी कुछ घटित हो चुका है। अगर आप किसी नए शहर में रहने के लिए गए हैं तो आप इस भावना से जरूर परिचित होंगे जो कि इस उपन्यास की कहानी पढ़ते हुए महसूस होगी। ऐसे वक्त आपको हर चीज नया महसूस होती है। लोग नए, भाषा नई और शहर की फितरत नई। आपको खुद शहर से सामंजस्य बनाना पड़ता है। यहाँ भी ऐसा कुछ होता है। 

कथानक की शुरुआत अर्णव, जो कि वास्तव में सुपर हीरो आग्नेय है, के घर से होती है जहाँ धनुष नाम का क्राइम फाइटर अपने दिल्ली प्रवास के दौरान रह रहा है। वह एक जरूरी मिशन के चलते उधर आया है जिसमें आगे चलकर वेदिका, जो कि आम जीवन में खोजी पत्रकार  अवनि गौड़ है, भी शामिल हो जाती है। कहानी का पहला अध्याय भले ही हल्का फुल्का है और इन किरदारों की नोक झोंक पाठकों को देखने को मिलती है लेकिन दूसरे अध्याय से ही लेखक एक्शन का डोज पाठकों को देने लगते हैं। एक के बाद एक रोमांचकारी घटनाएँ होती हैं और कहानी में ट्विस्टस भी आते हैं जो कि उपन्यास के साथ आपको बांधकर रखते हैं। उपन्यास में जिस तरह से लेखक ने भारतीय मिथकों का इस्तेमाल किया है वह भी उपन्यास में रोमांच बनाए रखता है। फिर वह असुर हो, अमोघ चक्र हो, यज्ञ शाला में मौजूद भारतीय वैज्ञानिक परंपरा से निर्मित अस्त्र शस्त्र हो, श्रीकृष्ण का इस कहानी से सम्बन्ध हो, वह पहेलियाँ हो जिन्हे उन्हे अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुलझाना था या वह माया हो जिससे नायक जूझते हैं। यह सभी प्रसंग रोमांचक है और जिस तरह से लेखक ने इन्हें अपने कथानक में गूँथा है वह सराहनीय है। 

कथानक के दौरान वेदिका, आग्नेय और धनुष के गुजरे जीवन की बातें भी लेखक बताते चलते हैं जो कि उनके अब तक के उनके जीवन के प्रति पाठक की उत्सुकता जागृत करता है। पाठक के रूप में मैं उम्मीद करूँगा कि इन तीनों किरदारों की ऑरिजिन स्टोरी भी लेखक लिखे। धनुष ने अपने ओम दल को किस तरह स्थापित किया। उसमें क्या परेशानियाँ आई और अब वह आर्थिक रूप से उस दल को कैसे चला पा रहा है। यह कुछ ऐसे सवाल है जिस पर लेखक लिखे तो वह इस किरदार को और गहराई देगा। वहीं अवनि और अर्णव अपनी अद्भुत ताकत मिलने के पहले कैसे थे और ताकतें मिलने के बाद कैसे इस जीवन से सामंजस्य बना पाए और शुरुआती पलों में उनसे किस प्रकार की गलतियाँ हुई यह सब कुछ देखना भी इन किरदारों से लोगों को जोड़कर रखेगा। 

उपन्यास में जितने खास नायक उतने ही खास इसके खलनायक भी हैं। इसका मुख्य खलनायक यासिर दाईक किस किरदार से प्रेरित है यह तो नाम से ही जाना जाता है। वहीं यासिर के अलावा कई और छोटे छोटे खलनायक इस उपन्यास में मौजूद हैं जो कथानक में रोमांच की कमी नहीं होने देते हैं। उपन्यास में मौजूद यह खलनायक भी दो तरह के हैं। एक तकनीकी ताकतों के इस्तेमाल से शक्ति लेने वाले और दूसरे भारतीय मिथकों पर आधारित असुर और आसुरी माया। 

तकनीक का इस्तेमाल करके बने खलनायकों जैसे कोल, राहू केतु, कल्प काया के द्वारा किये गए कारनामें एक तरह से विज्ञान गल्प पढ़ने का अहसास आपको दिलाते हैं। इनकी शक्तियाँ हैरतंगेज हैं और जिस तरह नायक इनसे मुकाबला करते हैं वह भी पढ़ना रोमांचकारी होता है। उपन्यास में राहु-केतु की जुगलबंदी विशेष तौर पर मुझे मनोरंजक लगी और उसे पढ़ते हुए बरबस ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।  उम्मीद है लेखक ऐसे खलनायक आगे भी लाते रहेंगे। 

भारतीय मिथकों पर आधारित असुरों और माया से नायकों और उनके साथियों की भिड़ंत एक अलग तरह का रोमांच पैदा करती है। नायक इन इन असुरों से किस तरह लड़ेंगे यह देखना रोचक रहता है। वहीं द्वारका पहुँचने से पहले मायावी टापू में घटित होने वाले प्रसंग विशेष तौर पर रोमांचक है।  

उपन्यास की कमी की अगर बात करूँ तो एक दो छोटी सी बातें मुझे लगी जिनमें सुधार हो सकता था। 

लेखक क्योंकि कॉमिक्स लिखते हैं तो उनके इन किरदारों में कुछ विशेष प्रसिद्ध कॉमिक किरदारों की झलक मिलती है। यह इसलिए भी है क्योंकि आपको अचानक इस दुनिया में लाया गया है। इनकी उत्पत्ति की कहानी चूँकि आपको पता नहीं है तो आप उन किरदारों से इनके साम्य निकालने लगते हैं जिनके विषय में आपको पता है। उम्मीद है लेखक जितना ज्यादा इन किरदारों पर काम करेंगे उतना अधिक वह उन प्रसिद्ध किरदारों की छाँव से निकलते चले जाएँगे और अपना एक अलग अस्तित्व पाठक के मन में बना पाएँगे। 

उपन्यास की दूसरी बड़ी कमी मुझे यह लगी कि लेखक इसमें वेदिका को ज्यादा जरूरी काम नहीं दिया। वह एक तरह से कम महत्वपूर्ण नजर आती है। चूँकि वह भी इस तिकड़ी की सदस्या थी तो अगर उसको भी एक महत्वपूर्ण कार्य दिया जाता तो बेहतर होगा।

इसके इतर जो चीज पाठकों को खटक सकती है वह इसमें मौजूद किरदारों की अधिकता है। चूँकि यह कम पृष्ठों का एक्शन से भरा हुआ उपन्यास है और ऊपर से एक नई दुनिया है जिसमें घटनाक्रम तेजी से घटित होता है तो उपन्यास में आते इन किरदारों के साथ तारतम्य बैठाना थोड़ा अटपटा लग सकता है। यह इसलिए भी है क्योंकि इसमें तीन सुपर हीरो एक साथ मौजूद हैं। ऐसे में चीजों जल्दी में घटित हुई सी लग सकती हैं। मुझे पाठक के तौर पर लगता है कि अगर अमोघ प्रकाशित करने से पहले लेखक धनुष, वेदिका और आग्नेय को लेकर अलग-अलग उपन्यास लिख चुके होते तो तब इन तीनों को लेकर लिखे इस उपन्यास में यह बात न होती। 

अंत में यही कहूँगा कि अमोघ के रूप में लेखक अनुराग कुमार सिंह एक नई दुनिया और नए किरदारों की रचना करने में सफल हुए हैं। अब यह उनके ऊपर है वह इन्हें कितनी गहराई देते हैं। शुरुआती उपन्यास में चूँकि एक्शन ज्यादा है तो इनके मानवीय पहलू और उनकी मनः स्थितियों , केवल माया वाले हिस्से को छोड़कर, से पाठक वाकिफ नहीं हो पाता है। उम्मीद है आने वाले वाले में इन पहलुओ पर वह रोशनी डालेंगे। वहीं यह भी उम्मीद रहेगी कि पाठकों को त्रिमूर्ति शृंखला की तरह इन किरदारो से दोबारा मिलने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

पुस्तक लिंक: अमेज़न


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