नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

ऑन द हेज ऑफ मिडनाइट लिली - नितिन मिश्रा

संस्करण विवरण:
फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशक: प्रतिलिपि 

पुस्तक लिंक: प्रतिलिपि 

समीक्षा: ऑन द हेज ऑफ मिडनाइट लिली | नितिन मिश्रा | Review: On the hedge of midnight lily | Nitin Mishra

कहानी

वेद अपनी जिंदगी से काफी खुश हुआ करता था। वह एक लेखक था जिसके उपन्यास पाठकों के बीच काफी प्रसिद्ध थे। उसकी एक खूबसूरत बीवी नीना थी जिसे वह जितनी मोहब्बत करता था उतनी ही मोहब्बत वह भी उसे करती थी। 

लेकिन फिर उनके बीच का रिश्ता बदल गया। 

अब नीना की लाश वेद की स्टडी में पड़ी हुई थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। 

आखिर नीना लाश में तब्दील कैसे हुई? 

उनके बीच के रिश्ते में आए बदलाव का कारण क्या था?


मुख्य किरदार

वेद सबरवाल - एक प्रसिद्ध अपराध कथा लेखक 
नीना - वेद की पत्नी 
कपिल मोटवानी - वेद का दोस्त और वकील 
मेहर - एक पत्रकार जो वेद का साक्षात्कार लेने आयी थी 
लतिका - एक युवती 
कबीर - लतिका का प्रेमी 

मेरे विचार

ऑन द हेज ऑफ मिडनाइट लिली लेखक नितिन मिश्रा की उपन्यासिका/लम्बी कहानी है। यह उपन्यासिका लेखक द्वारा प्रतिलिपि पर दो भागों में प्रकाशित है। 

ऑन द हेज ऑफ मिडनाइट लिली असल में एक रात की कहानी है। उपन्यासिका के केंद्र में वेद है जो कि नामी गिरामी लेखक है। कहानी की शुरुआत में पाठक को पता चलता है कि वेद की स्टडी में उसकी पत्नी की लाश पड़ी है। उस पत्नी की, जिसे वेद ने कभी बेइंतेहा चाहा था। यह पढ़ते ही पाठक यह जानने के लिए व्याकुल हो जाते हैं कि जिस पत्नी से वेद को इतना प्यार था वह उसकी स्टडी में क्यों और कैसे मरी पड़ी हुई है? कहानी के पहले भाग में पाठकों को इसी कारण का पता लगता है और कहानी के अंत तक आते आते लेखक नितिन मिश्रा कहानी में ऐसा ट्विस्ट ले आते हैं कि आप खुद को कहानी का दूसरा भाग पढ़ने से रोक नहीं पाते हो। जहाँ कहानी का पहला भाग काफी हद तक फ्लैश बैक में था क्योंकि वर्तमान रात तक पहुँचने की घटनाएँ उसमें पाठकों के सामने खुलती है वहीं कहानी का दूसरा भाग इस एक रात के आगे होने वाली घटनाओं को बयान करता है। 

कहानी के पहले भाग का ट्विस्ट जहाँ एक आपको हैरत में डालकर यह सोचने पर मजबूर करता है कि 'आखिर ये हुआ क्या?' वहीं दूसरे भाग में आते नए किरदार कथानक के रहस्य को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। कहानी में लतिका नाम के किरदार की एंट्री होती है। पहले पहल तो ये एंट्री एक इत्तेफाक लगती है लेकिन फिर कुछ न कुछ खटकता है और आप जानना चाहते हो कि इस घर में आखिर चल क्या रहा है। इस रहस्य को जानने के लिए आप इतनी तेजी से कथानक को पढ़ते चले जाते हो कि कई बार आपको खुद को याद दिलाना पड़ता है कि पढ़ते हुए साँस लेना भी जरूरी है। 

उपन्यासिका का शीर्षक ऐसा है जो रुचि जगाता है।  यह शीर्षक मुख्य किरदार वेद की स्टडी के बाहर मौजूद मिडनाइट लिली के बाड़े से आता है। कहानी में इसका भी काफी महत्व है। 

 प्लॉट  के विषय में एक बात रोचक है। लेखक जानते हैं कि इस तरह का प्लॉट कई लेखकों ने पहले भी इस्तेमाल किया है और वह यह बात कहानी में बताना नहीं भूलते हैं। लेखक ने इस प्लॉट को अपना एक ट्विस्ट दिया है जो मुझे पसंद आया। 
 
किरदारों की बात करूँ तो यह नितिन मिश्रा की दूसरी रचना है जो उन्होंने लेखक को लेकर लिखी है। वेद एक अमीर लेखक है जिसकी हिन्दी में आज के वक्त में कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। आजकल उपन्यासों के चलते इतनी दौलत इकट्ठा करना थोड़ा सा मुश्किल है। लेकिन  चूँकि लेखक ने ये नहीं बताया है कि लेखक किस भाषा में लिखता है तो विश्वास किया जा सकता है। वैसे लेखक ने बताया है कि वेद की रीडरशिप लाखों में है और अगर ऐसा किसी लेखक के साथ होता है तो उसका दौलतमंद होना कोई बड़ी बात नहीं है।  कहानी में नीना का किरदार सबसे महत्वपूर्ण है। यहाँ इतना ही कहूँगा कि वो मुझे पसंद आया। बाकी के किरदार जैसे लतिका, कपिल, कबीर कहानी को आगे बढ़ाने के लिए उतने ही दर्शाये गए हैं जितनी उनकी जरूरत है। 


कहानी की कमी की बात करूँ तो इसकी कमी आखिर का हिस्सा कहा जायेगी। एक बार जब एक किरदार उजागर हो जाता है तो कहानी अपना सारा रोमांच खो देती है और आगे का हिस्से में केवल किरदारों द्वारा घटना को सिलसिलेवार रखना ही है। यह हिस्सा थोड़ा जल्दी खत्म होता तो अच्छा रहता क्योंकि एक दम से तेज रफ्तार रोमांचक कथानक के बाद आई यह शिथिलता थोड़ी खलती है। कहानी के अंत में एक तगड़ा ट्विस्ट लेखक ने देने की कोशिश की है लेकिन वह उतना प्रभाव नहीं डाल पाती है क्योंकि उसका संकेत (क्लू) लेखक काफी पहले दे देते हैं और उस क्लू को पढ़ने के बाद ही यह अंदाजा हो जाता है कि वो ट्विस्ट क्या होगा। इस ट्विस्ट को बेहतर तरीके से दर्शाया जा सकता था। 

अंत में यही कहूँगा कि ऑन द हेज ऑफ मिडनाइट लिली एक बेहतरीन रोमांचकथा है जिसे अगर आपने नहीं पढ़ा है तो एक बार अवश्य पढ़कर देखिए। मुझे तो यह पसंद आई। मुझे उम्मीद है इसने जितना मेरा मनोरंजन किया उतना आपका भी करेगी। लेखक की कलम से निकलने वाले दूसरे कथानकों का इंतजार रहेगा। 


पुस्तक लिंक: प्रतिलिपि


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