नेवर गो बैक | लेखक: ली चाइल्ड | शृंखला: जैक रीचर | अनुवादक: विकास नैनवाल

समीक्षा: मनहूस सिक्का | तुलसी कॉमिक्स | कंचन

संस्करण: 

फॉर्मैट: ई-बुक | प्रकाशक: तुलसी कॉमिक्स | लेखक: कंचन | चित्रांकन:  महेंद्र सिंह गांवडी 

लिंक: प्रतिलिपि

समीक्षा: मनहूस सिक्का

कहानी

त्रिलोक मक्कड़ को लगता था कि वह सिक्का उसके लिए काफी भाग्यशाली था। वह अपना हर फैसला उसे उछाल कर ही लेता था। और अब उसने अपनी जिंदगी बदलने का फैसला ले लिया था। 

अब वह कुछ ऐसा करना चाहता था जिससे उसके ऊपर दौलत की बरसात होती। और इसमें यह सिक्का उसकी मदद करने वाला था।

लेकिन क्या ये सिक्का सच में इतना भाग्यशाली था या फिर यह था एक मनहूस सिक्का।

विचार

मनहूस सिक्का तुलसी कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित  कॉमिक बुक है जो कि प्रतिलिपि पर पढ़ने के लिए मुफ़्त में उपलब्ध है। कॉमिक बुक कंचन नाम की लेखिका ने लिखी है और इसका सम्पादन प्रमिला जैन द्वारा किया गया है। यह दोनों ही नाम मेरे लिए बिल्कुल नए हैं। नाम देखकर लग रहा है जैसे यह कोई ट्रेड नाम होंगे लेकिन फिर भी मैं इन नामों के विषय में जरूर जानना चाहूँगा। 

कॉमिक बुक की बात करूँ तो इसकी कहानी त्रिलोक मक्कड़ नाम के व्यक्ति को केंद्र में रखकर लिखी गयी है। त्रिलोक का मकसद जल्द से जल्द अमीर बनना है। अमीर बनने के लिए वह अपराध का सहारा लेता है और अपराध करना है या नहीं इसका निर्णय वह सिक्का उछाल कर करता है। उसका यह निर्णय उसकी जिंदगी में क्या भूचाल लाता है यही कॉमिक बुक का कथानक बनता है। 

त्रिलोक मक्कड़ के अलावा इस कहानी में त्रिलोक की पत्नी आरती भी मुख्य किरदार के रूप में है जो कि अपने भटके हुए पति को रास्ते पे लाना चाहती है। वह एक पारंपरिक भारतीय नारी है जो अपने पति के लिए कुछ भी कर सकती है लेकिन  कानून को मानने वाली भी है और इस कारण वह चाहती है कि उसका पति खुद को कानून के हवाले कर दे। इसके लिए वह ब्लू स्टार नाम के जासूस का सहारा लेती है जो त्रिलोक को ढूँढने निकल पड़ता है। 

डिटेक्टिव का किरदार मुझे रोचक लगा। वैसे भी डिटेक्टिव मुझे पसंद ही आते हैं तो इससे मिलना भी अच्छा था। पढ़ते हुए मैं यही सोच रहा था कि ब्लू स्टार के कारनामे दर्शाती कॉमिक बुक या कहानी संग्रह मुझे पढ़ने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा। 
 
कथानक तेज रफ्तार है। जहाँ एक तरफ त्रिलोक द्वारा किए गए अपराध आपको उसका अंत जानने के लिए विवश करते हैं वहीं आप ये भी देखना चाहते हैं कि ब्लू स्टार आरती द्वारा दिया गया कार्य कैसे पूरा करेगा। त्रिलोक एक ऐसी बेकाबू गाड़ी की तरह है जिसका अंत आप जानते हैं लेकिन आप देखना चाहते हैं कि वह कैसा होगा। 

हाँ, कहानी पढ़ते हुए आप खुद को यह सोचने से नहीं रोक पाते हैं कि त्रिलोक का उस सिक्के के ऊपर इतना विश्वास करने का कारण क्या था? यह कारण इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि कहानी में कई बार सिक्के के चलते मक्कड़ को परेशानी ही उठानी पड़ती है लेकिन फिर भी सिक्के पर उसका अगाध विश्वास खत्म नहीं होता है। ऐसे में कारण का पता न होने के चलते पाठक की नजर में मक्कड़ एक बेवकूफ व्यक्ति दिखने लगता है। मुझे लगता है कि अगर कॉमिक कुछ पैनल मक्कड़ की जिंदगी में सिक्के का महत्व का कारण दर्शाने के लिए खर्च किए होते तो अच्छा रहता।  संपादिका को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था। 

कहानी के कुछ हिस्से जैसे मूर्ति लूटने का प्लान, ब्लू स्टार का क्रशर में फेंके जाने के बाद बचने का प्रसंग इत्यादि मुझे बचकाने लगे थे। वहाँ पर थोड़ा सोचकर बेहतर लेखन किया जा सकता था।  

कॉमिक बुक में चित्रकारी महेंद्र सिंह गावंडी की है जो कि कहानी के साथ न्याय करती है। 

अंत में यही कहूँगा कि इस कहानी के ऊपर बताए बिंदुओं पर काम होता तो यह और अच्छा कॉमिक बन सकता था। कॉमिक एक बार पढ़ा जा सकता है लेकिन इससे ज्यादा उम्मीद न लगाई जाए तो बेहतर होगा।  

लिंक: प्रतिलिपि

FTC Disclosure: इस पोस्ट में एफिलिएट लिंक्स मौजूद हैं। अगर आप इन लिंक्स के माध्यम से खरीददारी करते हैं तो एक बुक जर्नल को उसके एवज में छोटा सा कमीशन मिलता है। आपको इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ये पैसा साइट के रखरखाव में काम आता है। This post may contain affiliate links. If you buy from these links Ek Book Journal receives a small percentage of your purchase as a commission. You are not charged extra for your purchase. This money is used in maintainence of the website.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

चाल पे चाल